ध्यान दें:



बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 27 Oct 2022
  • 0 min read
  • Switch Date:  
बिहार Switch to English

बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग का गठन

चर्चा में क्यों 

26 अक्टूबर, 2022 को बिहार सरकार ने बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग का गठन कर दिया है। इस आयोग में अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी चक्रपाणि हिमांशु को दी गई है, जबकि राजीव कांत मिश्रा को उपाध्यक्ष बनाया गया है।   

प्रमुख बिंदु   

  • बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग ने आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है।  
  • बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग 22 सदस्यीय है। इसमें रानीगंज के विधायक अचमित ऋषिदेव, मसौढ़ी की विधायक रेखा देवी और औरंगाबाद के विधायक आनंद शंकर सिंह को शामिल किया गया है, जबकि सदस्यों में विधान पार्षद सौरभ कुमार और रविंद्र प्रसाद सिंह भी शामिल किये गए हैं।   
  • इसके अलावा 10 पदेन सदस्य और विभिन्न हितों/वर्गों के 5 सदस्य होंगे।   
  • इस आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत सभी सदस्यों का कार्यकाल भी तीन वर्षों का होगा। 

बिहार Switch to English

नालंदा विश्व धरोहर को सुरक्षित रखने का मास्टर प्लान अंतिम चरण में

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में बिहार सरकार ने नालंदा महाविहार धरोहर को सुरक्षित रखने के लिये कार्य शुरू कर दिया है। इस हेतु मास्टर प्लान तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। 

प्रमुख बिंदु 

  • नए निर्मित मास्टर प्लान के अनुसार अब इस धरोहर की तरफ भारी-भरकम गाड़ियाँ नहीं जाएंगी। इन गाड़ियों की पार्किंग के लिये नव नालंदा महाविहार के निकट स्थित झील के इर्द-गिर्द पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। 
  • इस महाविहार के 300 मीटर के आस-पास किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को प्रतिबंधित किया गया है। 
  • वहीं, धरोहर के आस-पास की अनेक दुकानों को हटाने के निर्देश दिये गए हैं तथा युवा एवं कला, संस्कृति और नगर विकास विभाग ने इसके लिये विस्तृत योजना बनाई है। 
  • उल्लेखनीय है कि 17 अक्टूबर, 2022 को प्राचीन नालंदा महाविहार के विश्व धरोहर के दर्जे पर खतरा होने की चिंता भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने जाहिर की थी। 
  • गौरतलब है कि 16 मई, 2016 को नालंदा महाविहार के अवशेष को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित किया था। 
  • विदित है कि यूनेस्को की सूची में शामिल पुरातत्त्व महत्त्व के स्थलों का मास्टर प्लान बनाकर वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर, पेरिस को भेजना पड़ता है। तय समय-सीमा में एकीकृत मास्टर प्लान नहीं भेजने पर विश्व धरोहर समिति, उस धरोहर के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण बना लेती है और उसके विश्व धरोहर के दर्जे को समाप्त कर सकती हैं। 

close
Share Page
images-2
images-2