उत्तर प्रदेश Switch to English
15वीं हॉकी सीनियर पुरुष राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2025
चर्चा में क्यों?
पंजाब ने मध्य प्रदेश को हराकर 15वीं हॉकी इंडिया सीनियर पुरुष राष्ट्रीय चैंपियनशिप, 2025 जीत ली है। वहीं उत्तर प्रदेश ने मणिपुर को हराकर तीसरा स्थान हासिल किया।
मुख्य बिंदु:
- चैंपियनशिप के बारे में:
- इस चैंपियनशिप का आयोजन 4 से 15 अप्रैल तक उत्तर प्रदेश के झाँसी स्थित मेजर ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम में किया गया।
- हॉकी इंडिया के अनुसार, टूर्नामेंट में वही डिवीज़न-आधारित प्रारूप अपनाया गया, जो सीनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप में लागू किया गया था।
- इस प्रतियोगिता में कुल 30 टीमों ने भाग लिया और इन्हें तीन डिवीज़नों — डिवीज़न A, डिवीज़न B और डिवीज़न C में विभाजित किया गया था।
मेजर ध्यानचंद
- मेजर ध्यानचंद एक फील्ड हॉकी खिलाड़ी थे जिन्होंने वर्ष 1926 से 1949 तक अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खेली।
- वह तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता थे, जिन्होंने वर्ष 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक संस्करणों में स्वर्ण पदक हासिल किया था।
- खेल में उनके असाधारण कौशल के चलते उन्हें 'हॉकी के जादूगर' की उपाधि दी गई।
- ध्यानचंद ने अपने भाई रूप सिंह के साथ मिलकर भारत के 35 गोलों की संख्या में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, जिसके चलते उन्हें 'हॉकी ट्विन्स' के नाम से भी जाना गया।
- वर्ष 1934 में ध्यानचंद को भारतीय टीम की कप्तानी से सम्मानित किया गया।
- मेजर ध्यानचंद वर्ष 1956 में सेना में मेजर पद से सेवानिवृत्त हुए और उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- हर साल 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद की जयंती पर उनके योगदान को सम्मान देने और खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
प्रसाद योजना
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने माँ पीतांबरा पीठ को प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने के लिये केंद्र सरकार की प्रसाद योजना (PRASAD Scheme) के अंतर्गत ₹44.24 करोड़ की राशि स्वीकृत की है।
मुख्य बिंदु:
- पीतांबरा पीठ के बारे में:
- पीतांबरा पीठ मध्य प्रदेश के दतिया शहर में स्थित एक हिंदू मंदिर परिसर है, जिसमें एक आश्रम भी सम्मिलित है।
- यहाँ स्थित श्री वनखंडेश्वर शिवलिंग को महाभारत काल का माना जाता है। यह मंदिर शक्ति साधना के प्रमुख केंद्रों में एक है।
- पीठ की स्थापना वर्ष 1935 में स्वामीजी महाराज द्वारा दतिया के राजा शत्रुजीत सिंह बुंदेला के सहयोग से की गई थी।
- यहाँ माँ बगलामुखी का प्रमुख मंदिर स्थित है।
प्रसाद योजना:
- पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014-15 में चिह्नित तीर्थ स्थलों के समग्र विकास के उद्देश्य से 'तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन पर राष्ट्रीय मिशन' शुरू किया गया था।
- अक्तूबर 2017 में योजना का नाम बदलकर ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्द्धन अभियान’ (यानी ‘प्रसाद’) राष्ट्रीय मिशन कर दिया गया।
- आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की हृदय (HRIDAY) योजना के बंद होने के बाद विरासत स्थलों के विकास को प्रसाद PRASHAD योजना में शामिल किया गया।
- प्रसाद योजना के तहत विकास के लिये कई धार्मिक शहरों/स्थलों की पहचान की गई है जैसे अमरावती और श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश), कामाख्या (असम), परशुराम कुंड (लोहित ज़िला, अरुणाचल प्रदेश), पटना और गया (बिहार) आदि।
- कार्यान्वयन एजेंसी: इस योजना के तहत चिह्नित परियोजनाओं को संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकार द्वारा चिह्नित एजेंसियों के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा।
- वित्तपोषण तंत्र: केंद्र सरकार सार्वजनिक वित्तपोषण के लिये शुरू किये गए परियोजना घटकों हेतु 100% वित्तपोषण प्रदान करती है।
- इस योजना के तहत परियोजनाओं की बेहतर स्थिरता के लिये कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के लिये उपलब्ध स्वैच्छिक वित्तपोषण का लाभ उठाने का प्रयास किया जाता है।
राजस्थान Switch to English
मृदा एवं खाद स्वराज अभियान
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के दक्षिणी क्षेत्र, विशेष रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्रों में "मृदा एवं खाद स्वराज अभियान" के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में महत्त्वपूर्ण पहल की जा रही है।
मुख्य बिंदु:
- अभियान के बारे में:
- इसका उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाना, जैविक खेती को बढ़ावा देना और ग्रामीण महिलाओं को खेती और नेतृत्व में सशक्त बनाना है।
- यह स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मज़बूत कदम है।
- यह अभियान राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के त्रि-संगम पर स्थित छह आदिवासी बहुल ज़िलों को कवर करेगा।
- दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा और आस-पास के क्षेत्रों में इसका मुख्य क्रियान्वयन किया जा रहा है।
- इस अभियान में गाय के गोबर और खेत की खाद को वैज्ञानिक तरीकों से उन्नत करना तथा रॉक फॉस्फेट और जैव उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना शामिल है।
- महिलाओं को निम्न कार्यों में प्रशिक्षित किया जाएगा:
- मृदा परीक्षण
- जैविक खाद निर्माण
- सहकारी समितियों का गठन और प्रबंधन
- यह अभियान राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना जैसे कार्यक्रमों से समन्वय स्थापित करता है।
- इस अभियान के अंतर्गत:
- गड्ढा निर्माण, सामग्री वितरण और सामुदायिक कार्यक्रमों के आयोजन से कृषि उत्पादकता बढ़ाई जाएगी।
- किसानों की रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटेगी और इनपुट लागत में 15-20% तक की कमी आएगी।
- फसल उत्पादन में 20-30% तक की वृद्धि संभव है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM):
- यह वर्ष 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है।
- इसका उद्देश्य देश भर में ग्रामीण गरीब परिवारों के लिये अनेक प्रकार की आजीविकाओं को बढ़ावा देने और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच के माध्यम से ग्रामीण गरीबी को खत्म करना है।
- इसमें स्वयं सहायता की भावना से सामुदायिक पेशेवरों के माध्यम से सामुदायिक संस्थानों के साथ कार्य करना शामिल है, जो DAY-NRLM का एक अनूठा प्रस्ताव है।
- यह आजीविका को प्रभावित करता है, जैसे:
- ग्रामीण परिवारों को SHGs में संगठित करना।
- प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार से एक महिला सदस्य को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करना।
- SHG सदस्यों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में सहायता करना।
- अपने स्वयं के संस्थानों और बैंकों से वित्तीय संसाधनों तक पहुँच प्रदान करना।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- 19 फरवरी, 2015 को राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले के सूरतगढ़ में राष्ट्रव्यापी ‘राष्ट्रीय मृदा सेहत कार्ड’ योजना का शुभारंभ किया गया।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश भर के किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किये जाने में राज्यों का सहयोग करना है।
- इस योजना की थीम है: स्वस्थ धरा, खेत हरा।
- इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण युवा एवं किसान जिनकी आयु 40 वर्ष तक है, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना एवं नमूना परीक्षण कर सकते हैं।
- प्रयोगशाला स्थापित करने में 5 लाख रूपए तक का खर्च आता हैं, जिसका 75 प्रतिशत केंद्र एवं राज्य सरकार वहन करती है। स्वयं सहायता समूह, कृषक सहकारी समितियाँ, कृषक समूह या कृषक उत्पादक संगठनों के लिये भी यहीं प्रावधान है।
- योजना के तहत मृदा की स्थिति का आकलन नियमित रूप से राज्य सरकारों द्वारा हर 2 वर्ष में किया जाता है, ताकि पोषक तत्त्वों की कमी की पहचान के साथ ही सुधार लागू हो सकें।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा सरकार ने राज्य के खिलाड़ियों के लिये चिकित्सा बीमा योजना शुरू की
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य के प्रत्येक खिलाड़ी को ₹20 लाख का चिकित्सा (मेडिकल) बीमा देने की घोषणा की है। यह घोषणा रोहतक के किलोई गाँव में आयोजित तीसरी अखिल भारतीय शिव कुमार स्मृति बास्केटबॉल प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह के दौरान की गई।
नोट:
- अखिल भारतीय शिव कुमार स्मृति बास्केटबॉल प्रतियोगिता स्वर्गीय श्री शिव कुमार को श्रद्धांजलि है, जिन्हें खेल और सामाजिक सेवा के प्रति समर्पण के लिये याद किया जाता है।
- शिव कुमार स्मृति स्टेडियम के विकास के लिये ₹21 लाख के विशेष अनुदान की घोषणा की गई।
मुख्य बिंदु
- एथलीटों के लिये चिकित्सा बीमा:
- हरियाणा में सभी पंजीकृत खिलाड़ियों को ₹20 लाख का चिकित्सा बीमा मिलेगा।
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इसका उद्देश्य चोट लगने या चिकित्सा संबंधी आपातस्थिति में वित्तीय सहायता सुनिश्चित करना है।
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नीतिगत सुधारों के माध्यम से खेलों को बढ़ावा देना:
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एथलीटों को नौकरी की सुरक्षा और सहायता प्रदान करने के लिये हरियाणा उत्कृष्ट खिलाड़ी सेवा नियम 2021 लागू किया गया है।
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खेल विभाग में 550 नये पद सृजित।
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224 एथलीटों को पहले ही सरकारी नौकरियों में नियुक्त किया जा चुका है।
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प्रथम श्रेणी से तृतीय श्रेणी तक के सरकारी पदों पर सीधी भर्ती में आरक्षण।
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हरियाणा भारत में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सबसे ज़्यादा नकद पुरस्कार देता है। अब तक ₹593 करोड़ की पुरस्कार राशि दी जा चुकी है और 298 खिलाड़ियों को नियमित मानदेय मिल रहा है।
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युवा एथलीटों के लिये समर्थन:
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राज्य भर में 1,489 खेल नर्सरियाँ सक्रिय हैं, जो 37,225 युवा एथलीटों को प्रशिक्षण दे रही हैं।
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मासिक भत्ता:
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8-14 वर्ष की आयु के एथलीटों के लिये ₹1,500
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15-19 वर्ष की आयु वालों के लिये ₹2,000
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वर्ष 2014 से:
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29,000 से अधिक छात्रों को ₹53.45 करोड़ की छात्रवृत्ति प्रदान की गई।
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15,634 खिलाड़ियों को खेल उपकरण वितरित किये गये।
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स्कूलों में अनिवार्य खेल:
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कम उम्र से ही संतुलित शारीरिक और मानसिक विकास सुनिश्चित करने के लिये स्कूलों में खेल को अनिवार्य बनाया जा रहा है।
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उद्देश्य: खेलों को न केवल एक पेशे के रूप में, बल्कि जीवनशैली के रूप में भी बढ़ावा देना।
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टीम वर्क, अनुशासन, त्वरित निर्णय लेने और रणनीतिक सोच जैसे गुणों के निर्माण में बास्केटबॉल जैसे खेलों की भूमिका पर ज़ोर दिया गया।
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खेलों को एक स्वस्थ, सक्रिय और जागरूक समाज बनाने के लिये आवश्यक माना जाता है।
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हरियाणा उत्कृष्ट खिलाड़ी सेवा नियम 2021
- हरियाणा उत्कृष्ट खिलाड़ी सेवा नियम 2021 हरियाणा सरकार द्वारा खेलों को प्रोत्साहन देने, एथलीटों का समर्थन करने और रोज़गार के अवसरों, वित्तीय सहायता और मान्यता के माध्यम से उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिये शुरू की गई एक नीति है।
- यह राज्य में खेल को एक स्थायी और सम्मानित कॅरियर बनाने की दिशा में एक व्यापक कदम है।
- नीति की मुख्य विशेषताएँ:
- एथलीटों के लिये सरकारी नौकरियाँ:
- खेल विभाग में 550 नये पद सृजित।
- 224 खिलाड़ियों को पहले ही सरकारी पदों पर नियुक्त किया जा चुका है।
- भर्ती में आरक्षण:
- राज्य सरकार में ग्रुप ए से ग्रुप डी के पदों पर सीधी भर्ती में एथलीटों को आरक्षण मिलता है।
- भारत में सर्वाधिक नकद पुरस्कार:
- हरियाणा विभिन्न स्तरों पर पदक विजेताओं को सबसे अधिक नकद पुरस्कार प्रदान करता है।
- मासिक मानदेय:
- अब तक 298 शीर्ष प्रदर्शन करने वाले एथलीटों को उनकी उपलब्धियों के लिये मानदेय प्राप्त हुआ है।
- छात्रवृत्ति सहायता:
- वर्ष 2014 से अब तक खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले 29,000 से अधिक छात्रों को ₹53.45 करोड़ की छात्रवृत्ति वितरित की जा चुकी है।
उत्तराखंड Switch to English
FSSAI ने चार धाम यात्रा के दौरान स्वस्थ आहार को बढ़ावा दिया
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार ने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के सहयोग से चार धाम यात्रा मार्ग पर खाद्य विक्रेताओं और भोजनालयों को भोजन में नमक, चीनी और तेल का उपयोग कम करने के लिये जागरूक करने के लिये एक अभियान शुरू किया है।
- प्रशिक्षण कार्यशालाएँ उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार, चम्बा और श्रीनगर में आयोजित की गई हैं।
चार धाम यात्रा
- यमुनोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- देवी यमुना को समर्पित।
- यमुना नदी भारत में गंगा नदी के बाद दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
- गंगोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- देवी गंगा को समर्पित।
- सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
- केदारनाथ धाम:
- स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला।
- भगवान शिव को समर्पित।
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
- भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
- बद्रीनाथ धाम:
- स्थान: चमोली ज़िला।
- बद्रीनारायण मंदिर का पवित्र धाम।
- भगवान विष्णु को समर्पित।
- वैष्णवों के लिये पवित्र तीर्थस्थलों में से एक।
मुख्य बिंदु
अभियान की मुख्य विशेषताएँ:
- उद्देश्य:
- यह फिट इंडिया मूवमेंट और नमक, चीनी और तेल की खपत में 10% की कमी के लिये प्रधानमंत्री की अपील का एक हिस्सा है।
- चार धाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के बीच स्वास्थ्य संबंधी जोखिम (जैसे, हृदयाघात, साँस लेने संबंधी समस्याएँ) को कम करने के लिये स्वास्थ्यवर्धक खाना पकाने की पद्धतियों और आहार संबंधी आदतों को बढ़ावा देना।
- कार्यान्वयन एवं निगरानी एजेंसियाँ:
- खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FDA), उत्तराखंड
- ज़िला प्रशासन, उत्तराखंड
- खाद्य विक्रेताओं के लिये आहार संबंधी दिशा-निर्देश:
- भोजन में नमक, चीनी और तेल का प्रयोग कम करना।
- पापड़, अचार और एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) युक्त चीजों से बचना।
- एमएसजी, जिसे अजिनोमोटो के नाम से भी जाना जाता है, एक व्यापक रूप से प्रयुक्त खाद्य योज्य है जो स्वाद, विशेष रूप से उमामी स्वाद को बढ़ाता है।
- यह ग्लूटामिक एसिड का सोडियम लवण है, जो कई खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से मौजूद एक एमिनो एसिड है।
- खजूर और फलों जैसे प्राकृतिक मीठे पदार्थों का प्रयोग करना।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था:
- 50 वर्ष से अधिक आयु के तीर्थयात्रियों के लिये स्वास्थ्य जाँच अनिवार्य।
- 2024 में 9.5 लाख लोगों की स्वास्थ्य जाँच की गई।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)
- परिचय:
- FSSAI खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत स्थापित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है।
- FSSAI स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करते हुए भारत में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता को विनियमित और पर्यवेक्षण करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और संवर्धन के लिये ज़िम्मेदार है।
- FSSAI का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और देश भर में आठ क्षेत्रों में इसके क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
- FSSAI के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। अध्यक्ष भारत सरकार के सचिव के पद पर होते हैं।
- कार्य एवं शक्तियाँ:
- खाद्य उत्पादों और योजकों के लिये विनियमन और मानक तैयार करना।
- खाद्य व्यवसायों को लाइसेंस एवं पंजीकरण प्रदान करना।
- खाद्य सुरक्षा कानूनों और विनियमों का प्रवर्तन।
- खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता की निगरानी और निरीक्षण।
- खाद्य सुरक्षा मुद्दों पर जोखिम मूल्यांकन और वैज्ञानिक अनुसंधान आयोजित करना।
- खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता पर प्रशिक्षण और जागरूकता प्रदान करना।
- खाद्य सुदृढ़ीकरण और जैविक खाद्य को बढ़ावा देना।
- खाद्य सुरक्षा मामलों पर अन्य एजेंसियों और हितधारकों के साथ समन्वय करना।
- घटनाएँ और सूचकांक:
उत्तर प्रदेश Switch to English
लड़ाकू विमान राफेल और मिराज
चर्चा में क्यों
फ्राँस की विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन नोएडा एयरपोर्ट परिसर में भारतीय वायुसेना के राफेल और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों की मरम्मत और रखरखाव और ओवरहाल (MRO) का कार्य करेगी। कंपनी इसके लिये एक उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) और एक विश्वविद्यालय की स्थापना भी करेगी।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- MRO सुविधा के लिये 1365 हेक्टेयर भूमि अधिगृहीत की गई है, जो नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास स्थित है।
- डसॉल्ट द्वारा स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में हाईस्कूल, पॉलिटेक्निक और ग्रेजुएशन स्तर के एयरोनॉटिकल और एवियोनिक्स पाठ्यक्रम शुरू किये जाएँगे।
- इसका उद्देश्य भारत में MRO क्षमता को बढ़ाकर विदेशी निर्भरता को कम करना, डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और FDI (Foreign Direct Investment) को आकर्षित करके राज्य में निवेश और रोज़गार के अवसरों को बढ़ाना है।
- कंपनी को FDI नीति के तहत ₹12 करोड़ की सब्सिडी भी मिलेगी।
- भारत में MRO उद्योग 2021 में 1.7 बिलियन डॉलर का था, जो 2030 तक 7 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- भारत में 713 एयरक्राफ्ट हैं, जो 2031 तक 1522 तक बढ़ सकते हैं। भारतीय वायुसेना के पास 36 राफेल और 50 मिराज-2000 विमान हैं।
- भारत अब राफेल और मिराज जैसे अत्याधुनिक विमानों की मेंटेनेंस के लिये अमेरिका, चीन और सिंगापुर जैसे देशों पर निर्भर नहीं रहेगा।
- महत्त्व:
- भारतीय वायुसेना की रखरखाव लागत और समय में कमी आएगी।
- भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और रक्षा तैयारियाँ मज़बूत होंगी।
- स्थानीय रोज़गार, तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत का MRO उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बन सकता है।
- उत्तर प्रदेश को विमानन क्षेत्र में एक नई पहचान मिलेगी।
राफेल के बारे में:
- राफेल (Rafale) फ्रांँस का डबल इंजन वाला और मल्टीरोल लड़ाकू विमान है, जिसे फ्रांँस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
- इस लड़ाकू विमान में अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है और यह एक 4.5 जेनरेशन (4.5 Generation) वाला लड़ाकू विमान है।
- राफेल लड़ाकू विमान में मौजूद मीटीओर मिसाइल (Meteor Missile), SCALP क्रूज मिसाइल (Scalp Cruise Missile) और MICA मिसाइल प्रणाली (MICA Missile System) इसे सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण बनाती हैं।
- राफेल 2,222.6 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार और 50,000 फीट की ऊँचाई तक उड़ सकता है।
- यह लड़ाकू विमान लगभग 15.27 मीटर लंबा है और यह अपने साथ एक बार में 9,500 किलोग्राम बम और गोला-बारूद ले जा सकता है।
पश्चिम बंगाल Switch to English
पश्चिम बंगाल के सालबोनी में प्रमुख ताप विद्युत परियोजना स्थापित की जाएगी
चर्चा में क्यों?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में स्थित सालबोनी में ₹16,000 करोड़ की ताप विद्युत परियोजना की आधारशिला रखने वाली हैं। यह पिछले 14 वर्षों में पश्चिम बंगाल के कोर सेक्टर में सबसे बड़ा निजी निवेश है।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- इस परियोजना से 1600 मेगावाट का ताप विद्युत संयंत्र स्थापित होगा, जिसे 800 मेगावाट की दो इकाइयों में विभाजित किया जाएगा।
- पहली इकाई चार वर्षों में तथा दूसरी इकाई पाँचवें वर्ष में शुरू होने की संभावना है।
- इसे जिंदल साउथ वेस्ट (JSW) एनर्जी द्वारा डिज़ाइन-निर्माण-वित्त-स्वामित्व-संचालन (DBFOO) मॉडल के तहत विकसित किया जा रहा है।
- ऊर्जा एवं संसाधन संबंध:
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कोल इंडिया लिमिटेड शक्ति B(IV) योजना के माध्यम से संयंत्र के लिये कोयले की आपूर्ति करेगा।
आर्थिक और औद्योगिक प्रभाव:
- निर्माण के चरम पर, परियोजना से 4,000-6,000 लोगों को रोज़गार मिलने तथा परिचालन शुरू होने पर 800-1,000 स्थायी रोज़गार सृजित होने की आशा है।
- यह पश्चिमी पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने के उद्योग के पुनरुद्धार की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- भविष्य की विस्तार योजनाएँ:
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बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट 2025 में सज्जन जिंदल (अध्यक्ष, JSW ग्रुप) ने एक और बड़े निवेश के साथ संयंत्र की क्षमता को दोगुना करने की योजना की घोषणा की।
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दुर्गापुर, बकरेश्वर और संतालडीह में अतिरिक्त ताप विद्युत परियोजनाओं की भी योजना बनाई गई है।
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राज्य सरकार और JSW समूह सालबोनी में एक नया औद्योगिक पार्क स्थापित करने की भी योजना बना रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में प्रमुख ताप विद्युत संयंत्र
- बंदेल थर्मल पावर स्टेशन (भागीरथी नदी के पश्चिमी तट पर स्थित, हुगली ज़िला)
- बकरेश्वर थर्मल पावर प्लांट (बीरभूम ज़िला)
- कोलाघाट थर्मल पावर स्टेशन (पूर्व मेदिनीपुर ज़िला)
- सागरदीघी थर्मल पावर प्लांट (मुर्शिदाबाद ज़िला)
- संतालडीही थर्मल पावर स्टेशन (पुरुलिया ज़िला)
शक्ति योजना
- कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2017 में भारत में पारदर्शी तरीके से कोयला (कोयला) दोहन और आवंटन योजना (शक्ति) शुरू की थी।
- शक्ति (SHAKTI) नीति विद्युत क्षेत्र को कोयला आवंटित करने का एक पारदर्शी तरीका है।
- शक्ति पैरा B (iv) के अंतर्गत गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, असम और केरल राज्यों को क्रमशः 4000 मेगावाट, 5600 मेगावाट, 6740 मेगावाट, 3299 मेगावाट, 1600 मेगावाट, 2000 मेगावाट, 4100 मेगावाट, 500 मेगावाट और 500 मेगावाट क्षमता के लिये कोयला लिंकेज निर्धारित किये गए।