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विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस

  • 09 Jun 2023
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस, विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन (FAO), अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष, संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य, खाद्य उत्पादों में मिलावट

मेन्स के लिये:

भारत में खाद्य सुरक्षा से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ, राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक

चर्चा में क्यों?  

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India- FSSAI) ने विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के उपलक्ष्य में 7 जून, 2023 को एक सत्र का आयोजन किया। 

  • इस कार्यक्रम में 5वें राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (State Food Safety Index- SFSI) का भी अनावरण किया गया। 

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस:

  • विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस एक वैश्विक अभियान है जिसका उद्देश्य खाद्य जनित जोखिमों को रोकने, उनका पता लगाने और प्रबंधित करने में मदद के लिये ध्यान आकर्षित करना तथा आवश्यक कार्रवाई हेतु प्रेरित करना है।
    • यह संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव के बाद वर्ष 2019 से प्रतिवर्ष 7 जून को मनाया जाता है।
  • इस अभियान का नेतृत्त्व विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तथा संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा सदस्य राज्यों एवं अन्य संबंधित संगठनों के सहयोग से किया जाता है।
  • वर्ष 2023 की थीम है: खाद्य मानक जीवन को सुरक्षा प्रदान करते हैं (Food standards save lives)।

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक:

  • परिचय: FSSAI ने खाद्य सुरक्षा के विभिन्न मापदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापने के लिये राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (पहली बार वर्ष 2018-19 में लॉन्च किया गया) विकसित किया है।
  • मापदंड: यह सूचकांक पाँच महत्त्वपूर्ण मापदंडों, अर्थात् मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुपालन, खाद्य परीक्षण- बुनियादी ढाँचा एवं निगरानी, ​​प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण एवं उपभोक्ता अधिकारिता पर राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन पर आधारित है।
    • यह सूचकांक एक गतिशील मात्रात्मक और गुणात्मक बेंचमार्किंग मॉडल है जो सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में खाद्य सुरक्षा के मूल्यांकन के लिये एक वस्तुनिष्ठ ढाँचा प्रदान करता है।
  • शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता: बड़े राज्यों में केरल ने शीर्ष रैंक हासिल किया है, इसके बाद पंजाब और तमिलनाडु का स्थान रहा।
    • छोटे राज्यों में गोवा अग्रणी रहा, इसके बाद मणिपुर और सिक्किम का स्थान रहा।
    • केंद्रशासित प्रदेशों में शीर्ष तीन रैंक हासिल करने वाले राज्य जम्मू-कश्मीर, दिल्ली तथा चंडीगढ़ हैं। 

अन्य प्रमुख विशेषताएँ:

  • ज़िलों के लिये ईट राइट चैलेंज- चरण II: ज़िलों में ईट राइट चैलेंज के विजेताओं को खाद्य पर्यावरण में सुधार और खाद्य सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिये सम्मानित किया गया।
    • तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के ज़िलों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ देखी गईं।

नोट: FSSAI ने ईट राइट इंडिया आंदोलन की शुरुआत की है। आंदोलन तीन प्रमुख विषयों पर आधारित है:

  • यदि यह सुरक्षित नहीं है, तो यह भोजन नहीं है' (सुरक्षित भोजन),
  • भोजन केवल स्वाद के लिये ही नहीं बल्कि शरीर और मन के लिये भी होना चाहिये (स्वस्थ आहार)
  • भोजन लोगों और ग्रह दोनों के लिये अच्छा होना चाहिये (स्थायी आहार)।
  • ईट राइट चैलेंज को ईट राइट इंडिया के तहत विभिन्न पहलों को अपनाने और बढ़ाव देने में उनके प्रयासों को पहचानने के लिये ज़िलों और शहरों के बीच एक प्रतियोगिता के रूप में देखा गया है। 
  • ईट राइट बाजरा मेला: भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ और बाजरा के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के उपलक्ष्य में FSSAI ने देश भर में ईट राइट बाजरा मेला आयोजित करने की कल्पना की।
    • ये मेले देश में व्यंजनों और बाजरे के व्यंजनों की विविधता को प्रदर्शित करते हैं।
  • खाद्य व्यवसाय संचालकों को प्रशिक्षण: FSSAI का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में 25 लाख खाद्य व्यवसाय संचालकों को प्रशिक्षित करना है ताकि देश भर में खाद्य गुणवत्ता मानकों को पूरा किया जा सके।
  • फूड स्ट्रीट्स: देश भर में 100 फूड स्ट्रीट्स की स्थापना, जो खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और पोषण के लिये गुणवत्ता बेंचमार्क को पूरा करते हैं, की घोषणा इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में की गई थी।
  • रैपिड फूड टेस्टिंग किट (RAFT) पोर्टल: FSSAI के डिजिटलीकरण प्रयासों के हिस्से के रूप में RAFT पोर्टल का अनावरण किया गया।
    • पोर्टल पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए RAFT योजना के संचालन को सुव्यवस्थित करता है।
      • रैपिड एनालिटिकल फूड टेस्टिंग (Rapid Analytical Food Testing- RAFT) किट/उपकरण/विधि खाद्य सुरक्षा अधिकारियों (Food Safety Officers- FSOs) या मोबाइल परीक्षण प्रयोगशालाओं द्वारा स्पॉट फील्ड परीक्षण की सुविधा प्रदान करती है या खाद्य प्रयोगशालाओं में गति में सुधार और परीक्षण लागत को कम करती है।
  • बढ़ी हुई खाद्य सुरक्षा प्रथाओं के लिये नियमावली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पूरे देश में खाद्य सुरक्षा प्रथाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से नियमावली जारी की।

खाद्य सुरक्षा की महत्ता:

  • खाद्य सुरक्षा सरकारों, उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच एक साझा ज़िम्मेदारी है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व में 10 में से लगभग 1 व्यक्ति (अनुमानित 600 मिलियन लोग) दूषित भोजन खाने के बाद बीमार हो जाते हैं तथा प्रतिवर्ष 420 000 लोगों की मृत्यु हो जाती हैं।
    • 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे खाद्य जनित रोग के भार का 40% वहन करते हैं, जिसमें प्रतिवर्ष 1,25,000 लोगों की मृत्यु होती है।
    • खाद्य जनित रोगों के दीर्घकालिक परिणाम भी हो सकते हैं जैसे- कुपोषण, स्टंटिंग (उम्र की तुलना में छोटा कद), कैंसर और पुरानी बीमारियाँ।
  • संयुक्त राष्ट्र के कई सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये खाद्य सुरक्षा भी आवश्यक है जैसे कि भूख मिटाना, स्वास्थ्य में सुधार करना, गरीबी को कम करना और पर्यावरण की रक्षा करना।

भारत में खाद्य सुरक्षा से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ:

  • अवसंरचना और संसाधनों की कमी: अपर्याप्त अवसंरचना और संसाधन पूरे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ पेश करते हैं।
    • सीमित प्रयोगशाला सुविधाओं और परीक्षण क्षमताओं के कारण प्रदूषकों की अपर्याप्त निगरानी एवं पहचान हो पाती है। अपर्याप्त भंडारण तथा परिवहन सुविधाओं के चलते भोजन का अनुचित रखरखाव होता है जिससे संदूषण का खतरा बढ़ सकता है।
  • संदूषण और मिलावट:
    • रोगजनकों, रसायनों और विषाक्त पदार्थों के साथ भोजन का संदूषण भारत में एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। खाद्य उत्पादों में गैर-गुणवत्तापूर्ण सामग्री या हानिकारक पदार्थों की मिलावट खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को संकट में डाल रहा है।
      • कृषि और खाद्य उत्पादन में कीटनाशकों एवं रासायनिक योजकों का अनियंत्रित उपयोग भोजन के संदूषण में योगदान देता है।
  • खराब स्वच्छता स्थिति और स्वच्छता विधियाँ: 
    • खाद्य पदार्थों का प्रबंधन और प्रसंस्करण करने वाले प्रतिष्ठानों में उचित हाथ धोने, स्वच्छता सुविधाओं एवं स्वच्छ जल स्रोतों की कमी से सूक्ष्मजीव संदूषण का खतरा बढ़ जाता है।
      • खाद्य बाज़ारों, स्ट्रीट फूड विक्रेताओं और रेस्तराँ में अस्वास्थ्यकर स्थितियाँ खाद्य जनित बीमारियों के प्रसार में योगदान करती हैं।
  • कमज़ोर विनियामक ढाँचा और प्रवर्तन: विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में मानकों एवं विनियमों में विसंगतियाँ उचित खाद्य सुरक्षा प्रथाओं को बनाए रखने में चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं।
    • निरीक्षण और प्रवर्तन हेतु सीमित संसाधनों तथा जनशक्ति के परिणामस्वरूप खाद्य सुरक्षा मानकों की अपर्याप्त निगरानी एवं नियंत्रण होता है।
  • तीव्र शहरीकरण और बदलती खाद्य आदतें: तीव्र शहरीकरण और खान-पान की बदलती आदतें खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ पेश करती हैं।
    • प्रसंस्कृत और रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों के साथ-साथ सड़क पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के चलते सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये मज़बूत निगरानी एवं विनियमन की आवश्यकता है। 

आगे की राह 

  • खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ बनाना: देश भर में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी तरह से सुसज्जित और मान्यता प्राप्त खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • इन प्रयोगशालाओं को कीटनाशकों, भारी धातुओं और रोगजनकों सहित विभिन्न संदूषकों हेतु तीव्र और सटीक परीक्षण करने में सक्षम होना चाहिये, जिससे असुरक्षित भोजन की समय पर पहचान सुनिश्चित हो सके।
  • स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना: खाद्य सुरक्षा पर कार्यशालाओं, सेमिनारों और संवादात्मक सत्रों का आयोजन करके सामुदायिक भागीदारी एवं जागरूकता को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
    • खाद्य सुरक्षा के मुद्दों और ज़मीनी स्तर पर समाधानों को लागू करने हेतु स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है।
  • खाद्य स्टॉक होल्डिंग्स में पारदर्शिता सुनिश्चित करना: किसानों के साथ संचार चैनलों को बेहतर बनाने हेतु IT का उपयोग करने से उन्हें अपनी उपज के लिये बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिल सकती है, जबकि प्राकृतिक आपदाओं एवं जमाखोरी से निपटने हेतु नवीनतम तकनीक के साथ भंडारागारों में सुधार करना भी अति महत्त्वपूर्ण है।
    • इसके अलावा खाद्यान्न बैंकों को ब्लॉक/ग्राम स्तर पर स्थापित किया जा सकता है, जहाँ से लोगों को खाद्य कूपन के बदले सब्सिडी वाला खाद्यान्न मिल सकता है (जो आधार से जुड़े लाभार्थियों को प्रदान किया जा सकता है)।

  UPSE सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. जलवायु-अनुकूलन कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. भारत में 'क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज' दृष्टिकोण जलवायु परिवर्तन, कृषि और खाद्य सुरक्षा (CCAFS) के नेतृत्व वाली परियोजना का एक भाग है, जो एक अंतर्राष्ट्रीय शोध कार्यक्रम है। 
  2.  CCAFS की परियोजना का संचालन फ्राँस में मुख्यालय वाले अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान (CGIAR) पर सलाहकार समूह के अंतर्गत किया जाता है।
  3.  भारत में अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय के लिये अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) CGIAR के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल 'गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की श्रेणी में आने वाले परिवार ही सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं। 
  2.  परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार की मुखिया होगी।
  3.  गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छह महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं। 

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2   
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3   
(d) केवल 3  

उत्तर: (b) 

स्रोत: पी.आई.बी.

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