उत्तराखंड Switch to English
नरेंद्र-09 गेहूँ: एक किस्म
चर्चा में क्यों?
नैनीताल ज़िले (उत्तराखंड) के एक किसान को जलवायु-अनुकूल गेहूँ की किस्म “नरेंद्र-09” विकसित करने और इसे वनस्पति किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 (PPV&FRA) के तहत पंजीकृत कराने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त हुआ है।
मुख्य बिंदु
- नरेंद्र-09: परिचय
- देवला मल्ला गाँव (नैनीताल) के नरेंद्र सिंह मेहरा ने गेहूँ की किस्म “नरेंद्र-09” को प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली पौधों की किस्मों में से ऑन-फार्म सिलेक्शन के माध्यम से विकसित किया।
- यह किस्म उच्च ताप-सहिष्णुता प्रदर्शित करती है और प्रति बाल 50-80 दाने उत्पन्न करती है, जबकि पारंपरिक किस्मों में यह संख्या केवल 20-25 दाने होती है। यह पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में अच्छी तरह अनुकूलित हो जाती है, कम पानी में भी उग जाती है और जलवायु-दाब (Climate-Stress) की परिस्थितियों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करती है।
- किसान ने इस किस्म को वनस्पति किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम (PPV&FRA), 2001 के तहत पंजीकृत कराया, जिससे उन्हें कानूनी प्रजनक एवं कृषक अधिकार प्राप्त हो गए।
- वनस्पति किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम (PPV&FRA), 2001: परिचय
- यह अधिनियम नई विकसित वनस्पति किस्मों की सुरक्षा, किसानों के अधिकारों की मान्यता, और भारत में उन्नत फसल किस्मों के सुधार एवं प्रजनन को बढ़ावा देने के लिये लागू किया गया था।
- अधिनियम के तहत नई, विद्यमान (Extant), किसानों की विकसित तथा मूल रूप से व्युत्पन्न (Essentially Derived) किस्मों का पंजीकरण संभव है, बशर्ते वे DUS मानदंडों- भिन्नता (Distinctness), समानता (Uniformity) और स्थिरता (Stability) को पूरा करते हों।
- यह अधिनियम प्रजनकों (Breeders) को उनकी पंजीकृत किस्मों के उत्पादन, बिक्री, विपणन, वितरण, आयात तथा निर्यात का विशेष अधिकार प्रदान करता है। किसानों को भी संरक्षित किस्मों के बीजों को सहेजने, उपयोग करने, बोने, दोबारा बोने, अदला-बदली करने और साझा करने का अधिकार है, लेकिन वे इन बीजों को ब्रांडेड रूप में बेच नहीं सकते।
- यह अधिनियम लाभ-साझेदारी (Benefit-Sharing) का प्रावधान भी करता है, प्लांट जीनोम सेवियर अवॉर्ड्स प्रदान करता है और राष्ट्रीय जीन निधि (National Gene Fund) की स्थापना करता है, जिसके माध्यम से उन किसानों और समुदायों को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया जाता है जिन्होंने मूल्यवान आनुवांशिक संसाधनों के संरक्षण या उनके विकास में योगदान दिया है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
गरुड़ अभ्यास 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय वायु सेना (IAF) फ्राँसीसी वायु एवं अंतरिक्ष सेना (FASF) के साथ आयोजित द्विपक्षीय वायुCombat अभ्यास गरुड़-25 के 8वें संस्करण में भाग ले रही है।
मुख्य बिंदु
- गरुड़ अभ्यास: परिचय
- "गरुड़" भारतीय और फ्राँसीसी वायु सेनाओं के बीच एक द्विपक्षीय वायु अभ्यास है, जो वर्ष 2003 से समय-समय पर आयोजित किया जाता है।
- यह भारत द्वारा किसी विदेशी वायु सेना के साथ किये जाने वाले उच्चतम स्तर के वायु अभ्यासों में से एक है और बारी-बारी से भारत तथा फ्राँस में आयोजित होता है।
- इसके प्रमुख उद्देश्यों में पारस्परिक परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना, रणनीति साझा करना, परिचालन संबंधी जानकारी का निर्माण करना और रणनीतिक संबंध बनाना शामिल है।
- 2025 संस्करण: परिचय
- गरुड़ अभ्यास का 8वाँ संस्करण (गरुड़-25) फ्राँस के मोंट-डी-मार्सन मिलिट्री बेस में 16 से 27 नवंबर, 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।
- भारतीय वायु सेना (IAF) का दस्ता, जिसमें Su-30MKI लड़ाकू विमान, IL-78 रीफ्यूलर तथा C-17 ग्लोबमास्टर III एयर-लिफ्ट विमान शामिल हैं, फ्राँस के मल्टी-रोल लड़ाकू विमानों (French Multirole Fighters) के साथ मिलकर जटिल सिम्युलेटेड मिशनों में भाग लेगा। इन मिशनों में एयर-टू-एयर कॉम्बैट, वायु रक्षा और संयुक्त स्ट्राइक ऑपरेशन्स शामिल होंगे।
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