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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 04 Jul 2025
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छत्तीसगढ़ ने दर्ज की सर्वाधिक GST वृद्धि दर

चर्चा में क्यों?

वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह वृद्धि में छत्तीसगढ़ देश में शीर्ष पर रहा, जिसमें पिछले वित्त वर्ष 2024-25 की तुलना में 18% की वृद्धि दर्ज की गई।

मुख्य बिंदु

  • छत्तीसगढ़ की GST वृद्धि के पीछे के कारक:
    • GST संग्रह में वृद्धि:
      • वित्त वर्ष 2024-25 के लिये छत्तीसगढ़ का कुल GST और VAT (मूल्य वर्द्धित कर) राजस्व 23,448 करोड़ रुपए तक पहुँच गया, जो राज्य के स्वयं के कर संग्रह का लगभग 38% है। 

        • VAT: बेची गई वस्तुओं पर कर, आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक चरण पर लगाया जाता है। यह उन वस्तुओं पर लगाया जाता है जिन्हें GST व्यवस्था से बाहर रखा गया है जैसे मादक पेय, पेट्रोलियम उत्पाद आदि।
      • कर राजस्व में यह तीव्र वृद्धि इसके नीतिगत उपायों और प्रवर्तन रणनीतियों की प्रभावशीलता को उजागर करती है।
  • सुव्यवस्थित GST पंजीकरण प्रक्रिया:
    • इस सफलता में योगदान देने वाले प्रमुख सुधारों में से एक है GST पंजीकरण समय को 13 दिनों से घटाकर सिर्फ 2 दिन करना, जिससे छत्तीसगढ़ में व्यापार करने में आसानी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है
  • प्रौद्योगिकी-आधारित निगरानी और प्रवर्तन:
    • राज्य ने चोरी किये गये करों की निगरानी और वसूली के लिये उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है। 
    • लक्षित अभियान और उन्नत प्रवर्तन कार्रवाइयाँ, जैसे कि सभी 33 ज़िलों में GST कार्यालयों की स्थापना, ने पारदर्शिता और बेहतर करदाता सेवाएँ सुनिश्चित की हैं।

वस्तु एवं सेवा कर (GST)

  • परिचय: 
    • GST एक मूल्यवर्द्धित कर प्रणाली है जो भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है।
    • यह एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है जिसे भारत में 1 जुलाई, 2017 को 101 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से 'एक राष्ट्र एक कर' के नारे के साथ पेश किया गया था।
  • GST परिषद:
    • परिचय: GST परिषद, अनुच्छेद 279-A (101वाँ संशोधन, 2016) के तहत एक संवैधानिक निकाय, GST कार्यान्वयन पर अनुशंसाएँ करता है। 
      • GST एक मूल्यवर्द्धित (एड वैलोरम) और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है जो भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। 
    • सदस्य: परिषद में केंद्रीय वित्त मंत्री (अध्यक्ष), केंद्रीय राज्य मंत्री (वित्त) और प्रत्येक राज्य से एक वित्त या कोई अन्य मंत्री शामिल होते हैं। 
    • निर्णयों की प्रकृति: मोहित मिनरल्स मामले, 2022 में, सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि GST परिषद की अनुशंसाएँ बाध्यकारी नहीं हैं, क्योंकि संसद और राज्यों के पास GST पर एक साथ विधायी शक्तियाँ हैं।



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छत्तीसगढ़ वन विभाग ने सामुदायिक वन अधिकार संबंधी निर्देश वापस लिये

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ वन विभाग ने हाल ही में अपना निर्देश वापस ले लिया है, जिसके तहत सरकारी विभागों, गैर सरकारी संगठनों और निजी संस्थाओं को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) से संबंधित कोई भी कार्य करने से रोक दिया गया था।

मुख्य बिंदु

  • परामर्श वापस लेना:
    • वन विभाग ने शुरू में वन अधिकार अधिनियम (FRA) 2006 के तहत दी गई CFRR भूमि पर नियंत्रण का दावा किया था, जो कि केंद्र सरकार द्वारा मॉडल प्रबंधन योजनाओं के जारी होने तक लंबित था। 
    • परामर्श में वन विभाग को CFRR कार्यान्वयन के लिये नोडल एजेंसी नामित किया गया, जिसके कारण आदिवासी समुदायों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिन्होंने इसे वन संसाधनों के प्रबंधन के अपने अधिकारों का उल्लंघन माना। 
      • चिंताओं का समाधान करने के लिये, वन विभाग ने जनजातीय मामलों और पर्यावरण मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वे सभी हितधारकों के लिये विस्तृत CFRR योजनाएँ, कार्यान्वयन दिशानिर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल तत्काल जारी किया जाए।
  • वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 
    • परिचय: इसे वन में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पारंपरिक वन निवासियों (OTFD) को आधिकारिक रूप से वन अधिकारों और पट्टेदारी को मान्यता प्रदान करने के लिये अधिनियमित किया गया था, जो अपने अधिकारों के औपचारिक दस्तावेज़ीकरण के बिना पीढ़ियों से इन वनों में आवास कर रहे हैं।  
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य उन ऐतिहासिक अन्यायों को सुधारना है, जिनका सामना इन समुदायों को औपनिवेशिक और पश्च-औपनिवेशिक वन प्रबंधन नीतियों के कारण करना पड़ा, जिन्होंने भूमि के साथ उनके गहन और सहजीवी संबंधों को नज़रअंदाज़ कर दिया।
      • भूमि तक स्थायी पहुँच और वन संसाधनों के उपयोग को सक्षम करके, जैवविविधता और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देकर और उन्हें अवैध बेदखली और विस्थापन से बचाकर इन समुदायों को सशक्त बनाना। 
    • प्रावधान:  
      • स्वामित्व अधिकार: लघु वन उपज (MFP) पर स्वामित्व प्रदान करता है। वन उपज के संग्रह, उपयोग और निपटान की अनुमति प्रदान करता है। 
        • MFP से तात्पर्य वनस्पति मूल के सभी गैर-लकड़ी वन उत्पादों से है, जिसमें बाँस, झाड़-झंखाड़, स्टंप और बेंत शामिल हैं। 
      • सामुदायिक अधिकार: इसमें निस्तार (सामुदायिक वन संसाधन का एक प्रकार)  जैसे पारंपरिक उपयोग अधिकार शामिल हैं।
      • पर्यावास अधिकार: आदिम जनजातीय समूहों और पूर्व-कृषि समुदायों के उनके पारंपरिक पर्यावासों के  अधिकारों की रक्षा करता है।
      • सामुदायिक वन संसाधन (CFR): समुदायों को उन वन संसाधनों की रक्षा, पुनर्जनन और स्थायी प्रबंधन करने में सक्षम बनाता है जिन्हें वे पारंपरिक रूप से संरक्षित करते आए हैं। 
        • यह अधिनियम सरकार द्वारा प्रबंधित लोक कल्याण परियोजनाओं के लिये वन भूमि के उपयोग की सुविधा प्रदान करता है, जो ग्राम सभा की  स्वीकृति के अधीन है।
  • सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR)
    • अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (जिसे आमतौर पर वन अधिकार अधिनियम के रूप में संदर्भित किया जाता है) की धारा 3(1)(i) के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार सामुदायिक वन संसाधन की “सुरक्षा, पुनरोद्धार या संरक्षण या प्रबंधन” के अधिकार की मान्यता प्रदान करता है।
      • ये अधिकार समुदाय को स्वयं तथा अन्य लोगों द्वारा वन उपयोग के लिये नियम बनाने की अनुमति देते हैं तथा इस प्रकार वन अधिकार अधिनियम (FRA) की धारा 5 के अंतर्गत अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं।



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