उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश ड्रोन सुरक्षा नीति
चर्चा में क्यों?
पिछले चार महीनों के दौरान, उत्तर प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में बिना अनुमति के ड्रोन उड़ाने या 'ड्रोन गैंग' के संबंध में अफवाहें फैलाने के मामलों में कई प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गईं और कई व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: इस नीति का उद्देश्य ड्रोन संचालन की सुरक्षा और नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिये ज़िला और आयुक्तालय स्तर (Commissionerate Level) पर सख्त निगरानी और नियमों का पालन करना है।
- ड्रोन निगरानी और पंजीकरण रजिस्टर: हर ज़िले को यह सुनिश्चित करना है कि सभी पंजीकृत ड्रोन, उनके ऑपरेटर और स्थानीय रिपेयर केंद्रों का विवरण समर्पित रजिस्टर में दर्ज और ट्रैक किया जाए।
- ड्रोन निगरानी समितियाँ:
- अध्यक्ष: ज़िले स्तर की ड्रोन समिति की अध्यक्षता ज़िला मजिस्ट्रेट (DM) करेंगे।
- सदस्य: समिति में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) या पुलिस अधीक्षक (SP) और अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट (ADM) सदस्य होंगे।
- ज़िम्मेदारियाँ: समिति का कार्य ड्रोन संचालन की निगरानी, नियमों का पालन सुनिश्चित करना और अनधिकृत उपयोग के मामलों का निवारण करना है।
- सीमित हवाई क्षेत्र के लिये रेड ज़ोन:
- अस्थायी रेड ज़ोन: आवश्यकतानुसार, ज़िला स्तर की समिति अस्थायी रेड ज़ोन घोषित करने का अधिकार रखती है।
- अवधि: रेड ज़ोन अधिकतम 96 घंटे तक प्रभावी रहेंगे और इन्हें डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर चिह्नित किया जाएगा।
- स्थानीय खुफिया और जागरूकता अभियान:
- खुफिया नेटवर्क: ड्रोन से संबंधित अफवाहों को रोकने के लिये स्थानीय खुफिया नेटवर्क और सोशल मीडिया निगरानी सक्रिय की जाएगी।
- सार्वजनिक जागरूकता: जनता को वैध ड्रोन गतिविधियों के संबंध में शिक्षित करने के लिये UP-112 और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए जाएँगे।
- तत्काल पुलिस प्रतिक्रिया: ड्रोन गतिविधियों से संबंधित किसी भी शिकायत या चिंता पर पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जाएगी।
- ऑनलाइन ड्रोन पंजीकरण पोर्टल: राज्य सरकार उत्तर प्रदेश में संचालित सभी ड्रोन के पंजीकरण के लिये ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करेगी।
- सभी ड्रोन ऑपरेटरों को इस प्लेटफॉर्म पर अपने विवरण घोषित करना अनिवार्य होगा और ये विवरण स्थानीय पुलिस थाने में दर्ज किये जाएँगे।
- प्रत्येक पुलिस थाना को स्थानीय रजिस्टर में ड्रोन के रजिस्ट्रेशन नंबर, स्वामित्व विवरण और स्थानीय मैकेनिक की जानकारी दर्ज करनी होगी।
- दंड: अनधिकृत ड्रोन संचालन पर ड्रोन नियम, 2021 और लागू आपराधिक कानूनों के अनुसार कड़ी सज़ा दी जाएगी।
- सहयोग और समन्वय: किसी भी संदेहास्पद हवाई खतरे की स्थिति में पुलिस तुरंत वायुसेना ऑपरेशन रूम और सिविल एविएशन निदेशालय को सूचित करेगी।
- सर्वे अधिसूचना: स्थानीय पुलिस थाना को पूर्व सूचना दिये बिना किसी भी ड्रोन सर्वेक्षण की अनुमति नहीं होगी।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान ने नया भूमि कानून अधिसूचित किया
चर्चा में क्यों?
राजस्थान राज्य सरकार ने राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन और विधिमान्यकरण) अधिनियम, 2025 पारित किया है, जिसका उद्देश्य राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास और निवेश निगम (Rajasthan State Industrial Development and Investment Corporation- RIICO) के अधिकारों का विस्तार करना है ताकि वह औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि के प्रबंधन और नियमन को अधिक प्रभावी ढंग से संचालित कर सके।
कानून के मुख्य प्रावधान
- परिचय: यह अधिनियम, जिसे 3 अक्तूबर, 2025 को राज्यपाल की स्वीकृति मिली, राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 में संशोधन करता है।
- यह भूमि प्रशासन को सुव्यवस्थित करने, पूर्व के लेन-देन को मान्य करने और राज्य भर में औद्योगिक विकास को तेज़ करने का लक्ष्य रखता है।
- पृष्ठभूमि: अधिनियम अप्रैल 2023 में सर्वोच्च न्यायालय के राज्य सरकार बनाम अराफात पेट्रोकेमिकल्स के मामले में दिये गए निर्णय से उत्पन्न समस्याओं को संबोधित करता है।
- निर्णय ने वर्ष 1979 से पहले हस्तांतरित 37 औद्योगिक क्षेत्रों पर RIICO के अधिकार हटा दिये, जिससे इन क्षेत्रों की औद्योगिक इकाइयों के लिये भूमि प्रबंधन और विकास असंगत हो गया।
- इन चुनौतियों के समाधान के लिये, राज्य राजस्व विभाग ने वर्ष 2025 के बजट सत्र में विधेयक विधानसभा में पेश किया। विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को संबोधित करने के बाद, यह विधेयक एक चयन समिति को भेजा गया और पारित होने के लिये मंज़ूर किया गया।
- RIICO के अधिकारों में वृद्धि: अधिनियम औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि प्रबंधन, योजना, विकास, रूपांतरण और निपटान के लिये RIICO को पूर्ण अधिकार प्रदान करता है।
- यह RIICO को औद्योगिक क्षेत्र विकास की मुख्य एजेंसी के रूप में मान्यता देता है और इसके कदमों को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है, जिन्हें RIICO दशकों से चला रहा है।
- पूर्व लेन-देन की वैधता: यह अधिनियम RIICO द्वारा किये गए सभी पूर्व भूमि-संबंधित निर्णयों को मान्यता देता है, जिसमें भूमि हस्तांतरण, उप-विभाजन, भूखंडों का विलय, भूमि उपयोग में परिवर्तन और RIICO के नियंत्रण में औद्योगिक क्षेत्रों में नियमितीकरण गतिविधियाँ शामिल हैं।
- अब प्रक्रियात्मक त्रुटियों या औपचारिक अनुमोदनों की कमी वाले कार्य भी राज्य कानून के तहत मान्य माने जाएँगे।
- यह प्रावधान विरोधी न्यायालयीन निर्णयों या तकनीकी कमियों पर भी प्रभावी होगा, जिससे लंबे समय से चल रही कानूनी अस्पष्टताओं का समाधान हो सकेगा।
- छूट: अधिनियम 18 सितंबर, 1979 से पहले रद्द किये गए औद्योगिक भूमि पट्टों को अपने प्रावधानों से स्पष्ट रूप से बाहर रखता है।
- औद्योगिक क्षेत्रों के लिये राहत: अधिनियम विशेषकर IT, गोदाम एवं होटल जैसे क्षेत्रों की उद्योगों को महत्त्वपूर्ण राहत प्रदान करता है।
- इसका उद्देश्य भूमि प्रबंधन में कानूनी निश्चितता और पूर्वानुमेयता प्रदान करके निवेशक विश्वास को बढ़ाना है।
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इंडो-गैंगेटिक मैदान (IGP) में पीएम2.5 स्तर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा पर आधारित है। इस रिपोर्ट में वाराणसी को 17 शहरों में से सबसे स्वच्छ और कोलकाता को तीसरे सबसे स्वच्छ शहर के रूप में स्थान दिया गया है, जो कि इंडो-गैंगेटिक मैदान (IGP) में PM2.5 सांद्रता के संदर्भ में है।
मुख्य बिंदु
- शहरों की पीएम2.5 स्तर के अनुसार रैंकिंग:
- वाराणसी: IGP के शहरों में सबसे कम पीएम2.5 सांद्रता के साथ सूची में शीर्ष पर।
- सिलीगुड़ी और प्रयागराज: पीएम2.5 स्तर के मामले में दूसरे स्थान पर समान रैंक।
- कोलकाता: IGP में तीसरे स्थान पर, जो अन्य कई शहरों की तुलना में अपेक्षाकृत स्वच्छ वायु को दर्शाता है।
- गाज़ियाबाद: IGP का सबसे प्रदूषित शहर, जहाँ प्रदूषण का स्तर काफी अधिक है।
- भौगोलिक और मौसमीय कारक: इंडो-गैंगेटिक मैदान (IGP) एक वैश्विक स्तर का वायु प्रदूषण हॉटस्पॉट है, जो घनी जनसंख्या, उच्च मानव गतिविधियाँ और अनुकूल नहीं मौसमीय परिस्थितियों के संयोजन के कारण होता है।
- इस क्षेत्र में PM2.5 और अन्य प्रदूषकों की उच्च स्तर की सांद्रता पाई जाती है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा पर गंभीर प्रभाव डालती है।
- कोलकाता, जो IGP के पूर्वी छोर पर स्थित है, में सिमा-पार वायु प्रदूषण का अनुभव होता है, जो आमतौर पर गंगीय घाटी के उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर प्रवाहित होता है और शहर के प्रदूषण भार में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
- राष्ट्रीय और क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता अनुपालन: CREA अध्ययन में शामिल भारत के 235 शहरों में, नंदेसरी (गुजरात) ने सबसे निम्नस्तरीय पीएम2.5 सांद्रता 89 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की, जबकि करवार (कर्नाटक) सबसे स्वच्छ शहर के रूप में सामने आया, जहाँ पीएम2.5 केवल 4 माइक्रोग्राम था।
- दिल्ली को राष्ट्रीय स्तर पर 28वाँ स्थान मिला, जहाँ पीएम2.5 का स्तर 36 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ मध्यम प्रदूषण के श्रेणी में है।
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: इस कार्यक्रम में शामिल 93 शहरों, जिनमें कोलकाता भी शामिल है, ने राष्ट्रीय परिवेशीय वायु गुणवत्ता मानक (National Ambient Air Quality Standard- NAAQS) 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पूरा किया, जो वायु गुणवत्ता में सुधार की सकारात्मक प्रवृत्ति को दर्शाता है।
- हालाँकि, केवल 32 शहरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के अधिक सख्त मानक का पालन किया।
वायु प्रदूषण
- परिचय: वायु प्रदूषण में ठोस, द्रव, गैस, ध्वनि और रेडियोधर्मी विकिरण का वातावरण में ऐसा होना शामिल है, जिसकी सांद्रता मनुष्यों, जीव-जंतुओं, संपत्ति या पर्यावरणीय प्रक्रियाओं के लिये हानिकारक हो।
- ये पदार्थ, जिन्हें प्रदूषक कहा जाता है, प्राकृतिक या मानव-निर्मित हो सकते हैं और विभिन्न स्रोतों द्वारा उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे: औद्योगिक प्रक्रियाएँ, वाहनों के उत्सर्जन, कृषि गतिविधियाँ, प्राकृतिक घटनाएँ, जैसे वनाग्नि और ज्वालामुखी विस्फोट।
- ये पदार्थ, जिन्हें प्रदूषक कहा जाता है, प्राकृतिक या मानव-निर्मित हो सकते हैं और विभिन्न स्रोतों द्वारा उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे: औद्योगिक प्रक्रियाएँ, वाहनों के उत्सर्जन, कृषि गतिविधियाँ, प्राकृतिक घटनाएँ, जैसे वनाग्नि और ज्वालामुखी विस्फोट।
- कणीय पदार्थ (Particulate Matter- PM): PM वायु में अत्यंत सूक्ष्म कणों और द्रव बूँदों के मिश्रण को दर्शाता है। ये कण विभिन्न आकारों में होते हैं और सैकड़ों अलग-अलग यौगिकों से बने हो सकते हैं।
- PM10 (सहजीव कण/Coarse particles): 10 माइक्रोमीटर या उससे निम्न व्यास वाले कण।
- PM2.5 (सूक्ष्म कण/Fine particles): 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे व्यास वाले कण।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने राजस्थान विधानसभा द्वारा सितंबर 2025 में पारित राजस्थान गैरकानूनी धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2025 को मंज़ूरी दे दी है।
- राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2017 में जारी किये गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, धर्मांतरण केवल वयस्कों के लिये ही संभव हैं, जिसमें ज़िला मजिस्ट्रेट को पूर्व सूचना देना और आशय की सार्वजनिक घोषणा करना अनिवार्य है।
अधिनियम के मुख्य प्रावधान
- विवाह के लिये पूर्व सूचना: पुरोहित या धर्मगुरु को अंतर-धार्मिक विवाह संपन्न कराने से कम से कम दो महीने पहले ज़िला प्रशासन को सूचित करना अनिवार्य है।
- व्यक्तियों को अपनी शादी से कम से कम तीन महीने पहले ज़िला मजिस्ट्रेट को सूचित करना आवश्यक है।
- व्यक्तियों को अपनी शादी से कम से कम तीन महीने पहले ज़िला मजिस्ट्रेट को सूचित करना आवश्यक है।
- उल्लंघन पर दंड:
- इन आवश्यकताओं का पालन न करने पर ज़बरन धर्मांतरण के लिये दंड हो सकता है, जिसमें 7 से 14 वर्ष तक की कारावास और ₹5 लाख से प्रारंभ होने वाला ज़ुर्माना शामिल है।
- संरक्षित समूहों (जैसे महिलाएँ, नाबालिग, अनुसूचित जाति/जनजाति) के पीड़ितों के मामले में दंड में वृद्धि होगी, जिसमें 20 वर्ष तक की जेल और कम से कम ₹10 लाख तक का जुर्माना शामिल है।
- सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में अपराधियों को आजीवन कारावास और कम से कम ₹25 लाख का ज़ुर्माना लगाया जा सकता है।
- पुनरावर्ती अपराधियों को आजीवन कारावास और ₹50 लाख तक का ज़ुर्मानाभी भुगतना पड़ सकता है।
- न्यायालय संबंधी प्रावधान: कानून के अनुसार, सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती होंगे और सत्र न्यायालय में विचारणीय होंगे।
- धर्मांतरण के लिये शून्य/अमान्य विवाह: केवल धर्मांतरण के उद्देश्य से किये गए विवाह को शून्य घोषित किया जाएगा और ऐसे विवाहों से पहले या बाद में किये गए धर्मांतरण को अवैध माना जाएगा।
- छूट: अपने "पारंपरिक धर्म (Ancestral Religion)" में लौटने वाले व्यक्तियों को कानून के प्रावधानों से छूट दी गई है।
- अन्य राज्यों में समान कानून: राजस्थान उन राज्यों में शामिल हो गया है, जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश, जिन्होंने ज़बरन धर्मांतरण को रोकने के लिये समान कानून पारित किये हैं।
धार्मिक विश्वास से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 25: यह अनुच्छेद अंतःकरण की स्वतंत्रता (Freedom of Conscience) और धर्म को मानने, अभ्यास करने और प्रचारित करने का अधिकार सुनिश्चित करता है, बशर्ते कि यह सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अनुरूप हो।
- अनुच्छेद 26: यह अनुच्छेद प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार प्रदान करता है, बशर्ते कि यह सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अनुरूप हो।
- अनुच्छेद 27-30: ये अनुच्छेद धार्मिक प्रथाओं में आर्थिक योगदान करने, धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने और धार्मिक उद्देश्यों के लिये शैक्षणिक संस्थाएँ स्थापित और संचालित करने की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं।