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उपन्यासकार रणेंद्र को प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान दिये जाने की घोषणा
चर्चा में क्यों?
8 दिसंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के कथाकार व उपन्यासकार रणेंद्र को 14वाँ प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान दिये जाने की घोषणा की गई है। उन्हें यह सम्मान उनकी गौरवशाली कथा यात्रा के लिये दिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- 14वें प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान के निर्णायक मंडल में शामिल योगेंद्र आहूजा ने अपनी प्रशस्ति में बताया कि कथाकार व उपन्यासकार रणेंद्र आदिवासी-मूलवासी जीवन के यथार्थ से सामना कराने और उस समाज के संकटों और सवालों को विमर्श के दायरे में लाने के लिये जाने जाते हैं।
- कथाकार रणेंद्र ‘छप्पन छुरी बहत्तर पेंच’, ‘भूत बेचवा’, ‘बाबा, कौवे और काली रात’ सरीखी कहानियों और ‘ग्लोबल गाँव के देवता’, ‘गायब होता देश’तथा ‘गूँगी रुलाई का कोरस’ जैसे उपन्यासों से एक अनूठी पहचान अर्जित कर चुके हैं।
- उल्लेखनीय है कि रणेंद्र पिछले तीन दशकों में, नवउदारवादी अर्थतंत्र, मुक्त बाज़ार और अनियंत्रित पूंजी प्रसार, सीमांत क्षेत्रों में भूमाफिया-कारपोरेट-अफसरशाही और सरकारों के गठबंधन एवं असुर सरीखे लुप्तप्राय समुदायों और अन्य जनजातियों को उनकी जगहों से बेदखल किये जाने पर अपनी कलम चला रहे हैं। उनकी रचनाएँ इसी जीवन के जटिल, त्रासद यथार्थ को, साथ ही उनके विरुद्ध जारी संरचनागत हिंसा के तत्त्वों को अपनी रचनाओं में अनावृत्त करते हैं।
- ज्ञातव्य है कि उर्वरक क्षेत्र की अग्रणी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा कथाकार व उपन्यासकार रणेंद्र को वर्ष 2020 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफ्को साहित्य सम्मान’भी दिया जाएगा तथा वह यह सम्मान पाने वाले झारखंड के पहले साहित्यकार हैं।

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