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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 05 Sep 2025
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दुर्लभ कैराकल शावक

चर्चा में क्यों?

विशेषज्ञों ने जैसलमेर के मरुस्थल में दुर्लभ कैराकल (Caracal) शावक की उपस्थिति की पुष्टि की है, जो राजस्थान के लिये एक महत्त्वपूर्ण वन्यजीव खोज है।

  • इस खोज के बाद प्रशासन ने जैसलमेर के सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसंख्या सर्वेक्षण प्रारंभ कर दिया है तथा गश्त को और तेज़ कर दिया गया है।

मुख्य बिंदु

  • कैराकल के बारे में:

     
    • कैराकल एक मध्यम आकार की जंगली बिल्ली है, जो भारत सहित अफ्रीका, मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
    • भारत में इसकी अनुमानित जनसंख्या लगभग 50 है, जो मुख्यतः राजस्थान और गुजरात में पाई जाती है।
    • यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र में एक शिकारी के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अपनी विशिष्ट शारीरिक विशेषताओं तथा उल्लेखनीय शिकार क्षमताओं के लिये जानी जाती है।
  • आवास:
    • कैराकल सवाना, अर्द्ध-मरुस्थल, शुष्क वन क्षेत्र, चट्टानी पहाड़ियाँ, शुष्क पर्वतीय मैदानों तथा शुष्क पर्वतीय क्षेत्रों के लिये अनुकूल है।
  • वर्गीकरण और संबंध: 
    • कैराकल वास्तविक लिंक्स की तुलना में अफ्रीकी गोल्डन बिल्ली और सर्वल से अधिक निकटता से संबंधित है, हालांकि इसे प्रायः "रेगिस्तानी लिंक्स" कहा जाता है।
    • भारत में इसे स्याहगोश कहा जाता है, जो फारसी शब्द से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है ‘काले कान’
    • इसका वैज्ञानिक नाम कैराकल कैराकल श्मिट्ज़ी है।
  • शारीरिक विशेषताएँ:
    • कैराकल का शरीर पतला और पैर लंबे होते हैं तथा यह अफ्रीका की छोटी बिल्लियों में सबसे बड़ी होती है।
    • वयस्कों का वज़न 8-18 किलोग्राम तक होता है और इनकी लंबाई लगभग एक मीटर तक पहुँच सकती है। नर सामान्यतः मादाओं से बड़े होते हैं।
    • इसका फर छोटा और घना होता है, जिसका रंग हल्के भूरे से लाल-भूरे तक होता है, जबकि नीचे का भाग हल्का रहता है।
    • चेहरे पर विशिष्ट रेखाएँ और आँखों के चारों ओर सफेद निशान इसकी पहचान हैं।
  • संरक्षण की स्थिति:
  • खतरे:


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