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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 07 Oct 2025
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हरियाणा में आर्द्रभूमि सत्यापन

चर्चा में क्यों?

हरियाणा सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में राज्य में चिह्नित 1,881 आर्द्रभूमियों के स्थलीय सत्यापन एवं डिजिटल सीमांकन को पूर्ण करने के लिये सभी उपायुक्तों (DCs) को आदेश दिये हैं।

  • यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय की चेतावनी के पश्चात् जारी किया गया है, जिसमें न्यायालय ने समय-सीमा का पालन न करने वाले राज्यों के पर्यावरण सचिवों को 7 अक्तूबर 2025 को उसके समक्ष उपस्थित होने का नोटिस दिया था।

मुख्य बिंदु

  • उद्देश्य: 
    • आर्द्रभूमि का सीमांकन और संरक्षण पर्यावरण संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण है तथा यह आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत उनकी वैधानिक अधिसूचना का आधार बनेगा।
    • स्थलीय सत्यापन (Ground Truthing) अर्थात् उपग्रह आँकड़ों की सटीकता का सत्यापन, उन जल निकायों की सही पहचान करने एवं उनकी सुरक्षा के लिये आवश्यक है, जो पूर्व में उपग्रह-आधारित मानचित्रों से वंचित रह गए थे।
  • श्रेणियाँ: 
    • मानव निर्मित आर्द्रभूमियाँ: कुल 25,606 आर्द्रभूमियाँ हैं, जिनका क्षेत्रफल 23,527.1 हेक्टेयर है, जो कुल आर्द्रभूमि क्षेत्र का 63.61% है। ये मुख्यतः कृत्रिम तालाब, टैंक और जलभराव वाले क्षेत्र हैं।
    • प्राकृतिक आर्द्रभूमियाँ: कुल 13,141.1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली हैं, जो आर्द्रभूमि क्षेत्र का 35.53% हैं। ये जैवविविधता और पारिस्थितिकी संतुलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • ज़िलेवार वितरण: 
    • हरियाणा के ज़िलों में आर्द्रभूमि का वितरण अलग-अलग है, जिसमें पंचकूला में सबसे अधिक 2.95% हिस्सा है, उसके बाद यमुनानगर में 2.20%, फरीदाबाद में 1.72%, जबकि सबसे कम हिस्सा महेंद्रगढ़ (0.16%) और कुरुक्षेत्र (0.08%) में है।

आर्द्रभूमि और रामसर कन्वेंशन

  • आर्द्रभूमि के बारे में: 
    • ये दलदल, फेन, पीटलैंड या जल (प्राकृतिक या कृत्रिम) के क्षेत्र हैं, जिनमें पानी स्थिर या बहता रहता है, जिनमें छह मीटर से अधिक गहराई वाले समुद्री क्षेत्र भी शामिल हैं।
    • आर्द्रभूमियाँ एक संक्रमणीय पारिस्थितिकी क्षेत्र (Ecotone) होती हैं, जहाँ स्थलीय एवं जलीय पारितंत्रों का संगम होता है।
  • रामसर कन्वेंशन के बारे में: 
    • इसे वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में अपनाया गया था। यह आर्द्रभूमि संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग के लिये एक वैश्विक ढाँचा प्रदान करता है। भारत वर्ष 1982 में इसमें शामिल हुआ था।
    • मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड (संकटग्रस्त सूची): यह उन आर्द्रभूमियों की सूची है जिनका पारिस्थितिकी चरित्र मानव गतिविधियों या प्रदूषण के कारण क्षीण हो रहा है।


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