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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 Feb 2023
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झारखंड के बेतला नेशनल पार्क से लुप्त हो गए वाइल्ड डॉग

चर्चा में क्यों?

1 फरवरी, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के बेतला नेशनल पार्क में करीब 200 की संख्या में पाए जाने वाले वाइल्ड डॉग यानी कोइया अब लुप्त हो गए हैं, 2010 के बाद से इन्हें नहीं देखा गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • जानकारी के अनुसार 1974 में पलामू टाइगर रिजर्व की स्थापना के समय से ही बेतला नेशनल पार्क में वाइल्ड डॉग की लगातार उपस्थिति रही थी। विशेषज्ञों की माने तो रेबीज बीमारी के कारण कोइया लुप्त हो गए।
  • बेतला नेशनल पार्क में पाए जाने वाले वाइल्ड डॉग को स्थानीय भाषा में ‘कोइया’ कहा जाता है। अब यह लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में घोषित कर दिया गया है। वर्ष 2010 के बाद अब तक उन्हें नहीं देखा गया है। इसके पहले सैकड़ों की संख्या में वाइल्ड डॉग बेतला नेशनल पार्क में देखे जाते थे। बेतला से लेकर बारेसाढ़ के जंगलों तक इसका आना-जाना होता रहता था।
  • वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ. डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि वाइल्ड डॉग के बेतला से लुप्त होने के प्रमुख कारणों में एक रेबीज है। संभवत: घरेलू कुत्ते द्वारा पीये गए पानी में संक्रमण होने के कारण वाइल्ड डॉग भी संक्रमित हो गए होंगे और उनकी मौत हो गई।
  • गौरतलब है कि बेतला नेशनल पार्क के नुनाही ग्रास प्लॉट के पास बड़े-बड़े पत्थरों की गुफा है। इन गुफाओं में ही वाइल्ड डॉग का निवास होता था। यहाँ की गुफा में यह लोग शिकार करने के बाद छिप जाते थे। इतना ही नहीं, शाम के समय में वाइल्ड डॉग बड़े-बड़े पत्थरों पर बैठ जाते थे, जिनका दीदार पर्यटकों के द्वारा किया जाता था।
  • वाइल्ड डॉग बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से जंगली जानवरों का शिकार करते थे। इनका प्रिय भोजन सांभर और हिरण था। यह झुंड में रहते थे जब इन्हें शिकार करना होता था, तो वे चारों तरफ से शिकार को घेर लेते थे।
  • बेतला के गाइड बताते हैं कि मुख्य गेट के सामने भी कई बार हिरण को पकड़ने के लिये वाइल्ड डॉग का समूह पहुँच जाता था और उन्हें घेरकर हमला कर मार दिया जाता था।

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