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बिहार में मतदान केंद्रों की पुनर्व्यवस्था
चर्चा में क्यों?
बिहार ऐसा पहला भारतीय राज्य बन गया है जिसने यह सुनिश्चित किया है कि सभी मतदान केंद्रों पर 1,200 से कम मतदाता हों , जो मतदाता सुविधा और चुनावी सुगम्यता को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है।
- यह कदम भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा देश में मतदान केंद्रों को पुनर्व्यवस्था के व्यापक प्रयास के अनुरूप है, विशेष रूप से आगामी विधानसभा चुनावों और प्रस्तावित 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' योजना के संदर्भ में।
मुख्य बिंदु
मतदान केंद्र पुनर्व्यवस्था के बारे में
- प्रति बूथ संशोधित मतदाता सीमा:
- जून 2025 के राज्य अनुदेशात्मक प्रतिनिधित्व (SIR) आदेश ने मतदाताओं की भीड़ को कम करने के लिये वर्ष 2009 के मानक को पलटते हुए प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या को 1,500 से घटाकर 1,200 कर दिया।
- मतदान केंद्रों में वृद्धि:
- बिहार में 12,817 नए मतदान केंद्र जोड़े गए, जिससे कुल मतदान केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़कर 90,712 हो गई। इस प्रयास से सभी मतदान केंद्र मतदाताओं के 2 किमी के दायरे में आ गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच में सुधार हुआ है।
- समावेशी मतदाता पंजीकरण अभियान:
- निर्वाचन अधिकारियों ने 12 राजनीतिक दलों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया और निम्नलिखित सूचियाँ साझा कीं
- 29.62 लाख मतदाता जिनके फॉर्म लंबित हैं,
- 43.93 लाख मतदाता अपने पंजीकृत पते पर अनुपलब्ध पाए गए।
- मसौदा मतदाता सूची समयरेखा:
- मसौदा सूची 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित की जाएगी, जिसके बाद मतदाता SIR आदेश के अनुसार एक महीने के लिये दावे, आपत्तियाँ या सुधार प्रस्तुत कर सकेंगे।
चुनावी प्रबंधन पर प्रभाव
- एक राष्ट्र, एक चुनाव (ONOE) पर प्रभाव:
- मतदाता सीमा को युक्तिसंगत बनाने से ONOE की व्यवस्था प्रभावित होगी, विशेष रूप से EVM-VVPAT और मतदान कर्मियों की आवश्यकता पर असर पड़ेगा।
- भारतीय निर्वाचन आयोग ने पहले वर्ष 2029 में एक साथ चुनाव कराने के लिये 13.57 लाख से अधिक बूथों और 7,950 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान लगाया था।
- न्यायिक हस्तक्षेप से सुधार को बढ़ावा:
- दिसंबर 2024 में सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में लंबी कतारों और मतदाताओं की उदासीनता का हवाला देते हुए 1,200 मतदाताओं की सीमा को वापस लाने की मांग की गई थी।
- चुनाव आयोग का यह सुधार 1,500 मतदाताओं की सीमा के अंतर्गत मतदाता असुविधा और अकुशलता के बारे में न्यायालय की चिंताओं के अनुरूप है।
- बूथ आकार मानदंडों का ऐतिहासिक विकास:
- वर्ष 2009 से पहले: प्रति केंद्र 1,200 मतदाता (मानक)।
- EVM के बाद (2009): सीमा को 1,500 तक बढ़ा दिया गया।
- कोविड के दौरान: सीमा को 1,000-1,200 तक कम किया गया।
- वर्ष 2024 के आम चुनाव: सीमा पुनः 1,500 किया गया।
- वर्ष 2025 के बाद: बिहार से शुरुआत करते हुए, पुनः देश में 1,200 किया गया है।
- सुधार का महत्त्व
- अन्य राज्यों के लिये उदाहरण: चुनाव आयोग ने बिहार की पहल को अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये एक आदर्श बताया है। आगामी चुनावों से पहले इस सीमा को लागू करने के लिये देश में 3 लाख से ज़्यादा नए बूथों की ज़रूरत पड़ सकती है।
- प्रशासनिक और वित्तीय बोझ: इस परिवर्तन से चुनाव संबंधी बुनियादी ढाँचे की लागत बढ़ेगी, साथ ही EVM, VVPAT और कार्मिकों की माँग भी बढ़ेगी।
- चुनावी लोकतंत्र को मज़बूत करना: इन परिवर्तनों का उद्देश्य मतदाता भागीदारी की गुणवत्ता को बढ़ाना, मताधिकार से वंचितता को कम करना और यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक पात्र मतदाता पंजीकृत हो और आसानी से मतदान कर सके।