उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश का पहला ट्रांसकैथेटर महाधमनी वाल्व प्रत्यारोपण (TAVI)
- 30 Jul 2025
- 22 min read
चर्चा में क्यों?
कानपुर स्थित LPS कार्डियोलॉजी संस्थान, वरिष्ठ रोगियों में हृदय वाल्व प्रतिस्थापन के लिये TAVI (Transcatheter Aortic Valve Implantation) की सुविधा प्रदान करने वाला उत्तर प्रदेश का पहला सरकारी मेडिकल कॉलेज बन गया है।
- TAVI बिना किसी गहन आक्रामक प्रक्रिया के नया वाल्व प्रत्यारोपित करके ओपन-हार्ट सर्जरी से बचाता है। यह तकनीक जोखिम को कम करने तथा वरिष्ठ हृदय रोगियों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
मुख्य बिंदु
- TAVI के बारे में:
- यह एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया है जिसमें रोगी के पैर की नस में कैथेटर डालकर एक नया महाधमनी वाल्व प्रत्यारोपित किया जाता है।
- पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी के विपरीत, TAVI में बड़े चीरों की आवश्यकता नहीं होती, जिससे रिकवरी का समय और जोखिम कम हो जाता है, विशेष रूप से वरिष्ठ रोगियों के लिये।
- प्रक्रिया और लाभ:
- पशु हृदय की झिल्ली से निर्मित नए वाल्व को क्षतिग्रस्त वाल्व के स्थान पर प्रत्यारोपित किया जाता है।
- धातु वाल्वों के विपरीत, जिनमें अधिक जोखिम होता है, पशु झिल्ली वाल्वों का जीवनकाल 15 वर्ष का होता है।
- वैश्विक महत्त्व और इतिहास:
- TAVI तकनीक की शुरुआत जर्मन विशेषज्ञ डॉ. एलेन क्रीबेयर ने 1990 के दशक के प्रारंभ में की थी और इसे पहली बार वर्ष 2002 में लागू किया गया था।
- भारत ने वर्ष 2010 में इस नवीन प्रक्रिया को अपनाया।
मानव हृदय
- कार्य:
- हृदय रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पूरे शरीर में रक्त पंप करता है, जिससे ऑक्सीजन एवं पोषक तत्त्वों की आपूर्ति होती है तथा अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन होता है।
- हृदय की भित्ति (Heart Wall)
- एपिकार्डियम: बाहरी परत
- मायोकार्डियम: मध्य की पेशीय परत (हृदय संकुचन के लिये उत्तरदायी)
- एंडोकार्डियम: भीतरी परत
- हृदय के कक्ष:
- एट्रिया (ऊपरी कोटरें): रक्त प्राप्त करते हैं
- वेंट्रिकल्स (निचली कोटरें): रक्त पंप करते हैं
- दायाँ हृदय: दायाँ एट्रियम + दायाँ वेंट्रिकल
- बायाँ हृदय: बायाँ एट्रियम + बायाँ वेंट्रिकल
- सेप्टम (झिल्ली): हृदय के दाएँ और बाएँ भाग को विभाजित करता है
- हृदय वाल्व:
- ये रक्त के विपरीत प्रवाह को रोकते हैं और एक-दिशीय प्रवाह सुनिश्चित करते हैं।
- पेसमेकर एवं हृदय गति:
- हृदय की गति का नियंत्रण सिनोएट्रियल (SA) नोड द्वारा किया जाता है, जो विद्युत संकेत उत्पन्न करता है।
- सामान्य हृदय गति: विश्राम की स्थिति में 60–100 धड़कन प्रति मिनट
- रक्त प्रवाह:
- डीऑक्सीजन युक्त रक्त: शरीर → दायाँ एट्रियम → दायाँ वेंट्रिकल → फेफड़े (ऑक्सीजन युक्त)
- ऑक्सीजन युक्त रक्त: फेफड़े → बायाँ एट्रियम → बायाँ वेंट्रिकल → शरीर
- टैकीकार्डिया:
- हृदय गति > 100 धड़कन प्रति मिनट
- तनाव, दवाओं या अंतर्निहित हृदय स्थितियों के कारण।
- हृदय गति > 100 धड़कन प्रति मिनट
- मुख्य तथ्य:
- विलियम हार्वे: रक्त परिसंचरण की खोज की।
- डॉ. क्रिश्चियन बर्नार्ड: वर्ष 1967 में पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण किया।