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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र

  • 18 Aug 2025
  • 20 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गोरखपुर ज़िले के खानिमपुर गाँव में राज्य के पहले और देश में अपनी तरह के दूसरे ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र का उद्घाटन किया।

भारत की ग्रीन हाइड्रोजन उपलब्धियाँ

  • गुजरात में कांडला बंदरगाह भारत के पहले मेक-इन-इंडिया ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का स्थल है, जो देश के नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को आगे बढ़ा रहा है।
  • हिसार स्थित जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड भारत का पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र है, जो स्टेनलेस स्टील उद्योग को समर्पित है, जिससे यह इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर पहला संयंत्र बन गया है।
  • अडानी समूह ने गुजरात के कच्छ में भारत का पहला ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट चालू किया, जो नवीकरणीय ऊर्जा से हाइड्रोजन उत्पादन में अग्रणी है।

मुख्य बिंदु

  • परिचय: 
    • टॉरेंट गैस और टॉरेंट पावर द्वारा स्थापित यह संयंत्र भारत की स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
    • पायलट परियोजना के अंतर्गत संयंत्र प्राकृतिक गैस (CNG और PNG) के साथ अधिकतम 2% ग्रीन हाइड्रोजन का मिश्रण करेगा। 
      • यह मिश्रित गैस घरेलू उपभोक्ताओं, CNG स्टेशनों और उद्योगों को स्थानीय गैस ग्रिड के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।
  • महत्त्व: 
    • यह परियोजना देश के शहरी गैस वितरण क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन और प्राकृतिक गैस मिश्रण की अब तक की सबसे बड़ी पहल है। 
    • इससे प्रतिवर्ष 500 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और प्रचुर जल संसाधनों के कारण उत्तर प्रदेश को ग्रीन हाइड्रोजन का प्रमुख केंद्र स्थापित किया जा सकेगा।
  • ग्रीन हाइड्रोजन नीति:
    • उत्तर प्रदेश ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2024 निवेश को बढ़ावा देकर और ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया उत्पादन सुविधाओं तथा ग्रीन हाइड्रोजन-आधारित उत्पाद विनिर्माण इकाइयों की स्थापना करके सुगम व्यापार करने में सक्षम बनाती है।
    • उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2028 तक ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया की उत्पादन क्षमता को 1 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
    • नीति में 30% पूंजीगत सब्सिडी शामिल है, जो राज्य में पहली चार परियोजनाओं के लिये 40% तक जा सकती है।

ग्रीन हाइड्रोजन

  • ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन जल (H₂O) को इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया से हाइड्रोजन (H₂) और ऑक्सीजन (O₂) में विभाजित करके किया जाता है। इस प्रक्रिया को सौर ऊर्जा या बायोमास गैसीकरण जैसे नवीकरणीय स्रोतों से संचालित किया जाता है।
  • इसके उपयोगों में फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEVs), उर्वरक एवं रिफाइनरी जैसे औद्योगिक क्षेत्र तथा सड़क एवं रेल परिवहन क्षेत्र सम्मिलित हैं। 
  • हाइड्रोजन के अन्य प्रकार:

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