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राजस्थान में नया जल संचयन मॉडल

  • 11 Jun 2025
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

राजस्थान के शुष्क भूभाग में जयपुर के कूकस गाँव में 50 जलवायु-अनुकूल कृषि तालाबों का उपयोग करते हुए एक नए जल संरक्षण मॉडल का लक्ष्य 10 करोड़ लीटर वर्षा जल का संरक्षण करके किसानों को लाभान्वित करना है।

नोट: IIT खड़गपुर की पूर्व छात्रा और नीति आयोग की पूर्व अधिकारी इस पहल का नेतृत्व कर रहे हैं तथा उन्होंने स्थानीय सभाओं तथा रैलियों के माध्यम से दौसा में जागरूकता अभियान चलाया है।

मुख्य बिंदु

  • वर्षा जल संचयन मॉडल के बारे में:
    • जयपुर के आमेर ब्लॉक में कूकस ग्राम पंचायत को इस वर्षा जल संचयन पहल के लिये चुना गया राजस्थान का दूसरा स्थान है।
      • यह परियोजना दौसा ज़िले में मिली सफलता के बाद शुरू की गई है, जहाँ 250 कृषि तालाबों के निर्माण से किसानों को वर्षा आधारित भूमि पर बारहमासी फसलें उगाने में मदद मिली।
    • इस पहल में प्रत्येक किसान की 5% भूमि पर सुरक्षित बाड़ लगाकर 10 फुट गहरे, प्लास्टिक से बने तालाबों का निर्माण करना शामिल है।
  • भविष्य की योजनाएँ और प्रभाव:
    • इस पहल में पहले ही 50 तालाब बनाए जा चुके हैं और अब इसमें 25 तथा तालाब बनाने की योजना है।
    • इस विस्तार से क्षेत्र के लगभग 50,000 ग्रामीणों को लंबे समय में लाभ मिलने की उम्मीद है।
  • महत्त्व:
    • स्थिरता और फसल विविधीकरण: यह पहल वर्ष भर जल आपूर्ति उपलब्ध कराने पर केंद्रित है, जिससे किसानों को रबी और खरीफ दोनों फसलों को उगाने में मदद मिलेगी तथा वे मूँगफली तथा चौला जैसी अधिक जल-कुशल और लाभदायक फसलों की खेती में भी विविधता ला सकेंगे।
    • भूजल पुनर्भरण: तालाबों को न केवल सिंचाई प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, बल्कि भूजल को पुनर्भरण करने में भी मदद करता है, जो अंबर ब्लॉक जैसे क्षेत्रों में एक आवश्यक संसाधन है जहाँ नदी या नहर नेटवर्क का अभाव है।
    • आजीविका संवर्द्धन: निरंतर जल आपूर्ति से टिकाऊ पशुधन पालन और उच्च मूल्य बागवानी की सुविधा मिलती है, जिससे इस क्षेत्र में डेयरी फार्मिंग तथा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिये अवसर सृजित होते हैं।
  • जयपुर ज़िले में भूजल संकट:
    • जयपुर की 99.4% कृषि योग्य भूमि सिंचाई के लिये भूजल पर निर्भर है। ज़िले में प्राकृतिक पुनर्भरण की दर से 2.22 गुना अधिक पानी निकाला जाता है, जो गंभीर भूजल संकट को दर्शाता है।
  • राजस्थान में भूजल का अत्यधिक दोहन:
    • केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) के अनुसार, वर्ष 2023 में राजस्थान ने अपने वार्षिक भूजल पुनर्भरण का 149% निकाल लिया, जो पंजाब (156%) के बाद भारत में दूसरा सबसे अधिक है।
    • वर्षा द्वारा पुनर्भरित प्रत्येक 1 लीटर जल पर 1.49 लीटर जल निकाला गया, जिसके परिणामस्वरूप भूजल में अत्यधिक कमी आई। 
  • जैसलमेर: सर्वाधिक प्रभावित ज़िला
    • जैसलमेर अत्यधिक दोहन के चार्ट में सबसे ऊपर रहा, जहाँ प्रत्येक 1 लीटर पुनर्भरण पर 3.56 लीटर भूजल निकाला गया, जिससे इसके प्राचीन जलभृतों को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
  • जयपुर: एक गंभीर भूजल क्षेत्र
    • जयपुर ज़िले के सभी 16 ब्लॉक अत्यधिक दोहन की श्रेणी में हैं; ज़िले ने वर्ष 2023 में प्रति 1 लीटर पुनर्भरण पर 2.22 लीटर जल निकाला गया।
    • लगभग औसत वर्षा के बावजूद, वर्ष 2024 में जयपुर में भूजल उपयोग 7–10% तक बढ़ गया, जिससे भूजल क्षय और बढ़ गया।
  • भूजल पुनर्भरण और निष्कर्षण:
    • राजस्थान का वार्षिक भूजल पुनर्भरण अनुमानतः 12.58 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) है।
    • हालाँकि, वर्ष 2023 में कुल निष्कर्षण 17.05 BCM तक पहुँच गया, जो पुनर्भरण क्षमता से कहीं अधिक है।
    • निष्कर्षण योग्य भूजल संसाधन का आकलन 11.37 BCM किया गया, जो उपयोग और उपलब्धता के बीच अस्थायी अंतर को उजागर करता है।

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