बिहार
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
- 16 Sep 2025
- 20 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर एम. विश्वेश्वरैया को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
- सर एम. विश्वेश्वरैया के बारे में
- 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक में जन्मे, वे एक प्रख्यात इंजीनियर, विद्वान और राजनेता थे।
- पुणे के इंजीनियरिंग कॉलेज से स्नातक करने के बाद, उन्होंने भारत के सबसे सम्मानित इंजीनियर की ख्याति प्राप्त की।
- इंजीनियरिंग योगदान:
- बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई: उन्हें बाढ़ नियंत्रण तथा सिंचाई परियोजनाओं में उनके अग्रणी कार्य के लिये जाना जाता है। मैसूर में कृष्ण राजा सागर (KRS) बाँध के उनके डिज़ाइन ने जल भंडारण और सिंचाई में क्रांति ला दी।
- स्वचालित जल द्वार: वर्ष 1903 में उन्होंने स्वचालित जल द्वार की एक अभिनव प्रणाली विकसित की, जिसे पुणे के खडकवासला बाँध पर स्थापित किया गया।
- शहरी नियोजन: उन्होंने हैदराबाद शहर की योजना बनाने और उसकी जल निकासी तथा जल आपूर्ति प्रणालियों में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- सार्वजनिक सेवा में भूमिका:
- उन्होंने मैसूर के दीवान (1912-1918) के रूप में कार्य किया और प्रमुख औद्योगिक तथा आर्थिक सुधारों को लागू किया।
- शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और औद्योगीकरण पर उनके योगदान ने क्षेत्र में आर्थिक विकास की नींव रखी।
- उन्हें भारत में आर्थिक नियोजन, जिसे विश्वेश्वरैया योजना कहा जाता है, के एक अग्रणी कार्यान्वयनकर्त्ता के रूप में जाना जाता है, जिसका वर्णन उन्होंने अपनी पुस्तक "प्लांड इकोनॉमी इन इंडिया" में किया है।
- पुरस्कार और सम्मान:
- राष्ट्र के प्रति उनकी असाधारण सेवा के लिये वर्ष 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- सर एम. विश्वेश्वरैया को वर्ष 1911 में किंग एडवर्ड सप्तम द्वारा “कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एम्पायर (C.I.E.)” के रूप में नियुक्त किया गया था।
- वर्ष 1915 में, सार्वजनिक कल्याण में उनके योगदान हेतु उन्हें “नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एम्पायर (KCIE) ” की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- उन्हें इंस्टीट्यूशन ऑफ सिविल इंजीनियर्स, लंदन से माननीय सदस्यता, भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू से फेलोशिप और भारत के आठ विश्वविद्यालयों से D.Sc., LL.D. तथा D.Litt. सहित कई माननीय उपाधियाँ प्राप्त हुईं।
- उन्होंने वर्ष 1923 में भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस की अध्यक्षता की।
- इंजीनियर्स दिवस: उनकी जयंती (15 सितंबर), भारत में प्रतिवर्ष इंजीनियर्स दिवस के रूप में मनाई जाती है ताकि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनकी विरासत और योगदान का सम्मान किया जा सके।