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LVM3-M5 प्रक्षेपण: ISRO ने भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह ‘GSAT-7R’ का सफल प्रक्षेपण किया

  • 03 Nov 2025
  • 18 min read

चर्चा में क्यों?

भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में 2 नवंबर, 2025 को एक बड़ा उन्नयन हुआ, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा से अपने भारी प्रक्षेपण यान LVM3-M5 (जिसे लोकप्रिय रूप से ‘बाहुबली’ कहा जाता है) के माध्यम से भारतीय नौसेना के लिये अगली पीढ़ी के संचार उपग्रह GSAT-7R का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

मुख्य बिंदु

GSAT-7R: परिचय 

  • इसे विशेष रूप से भारतीय नौसेना के लिये तैयार किया गया है ताकि उसकी समुद्री संचार और कमांड अवसंरचना को आधुनिक बनाया जा सके।
  • पूर्णतः स्वदेशी उपग्रह है, जिसमें मल्टी-बैंड ट्रांसपोंडर लगे हैं जो सतह, जलमग्न और हवाई नौसैनिक संसाधनों के बीच आवाज़, वीडियो और डेटा संचार को सक्षम बनाते हैं।
  • पूरे हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) में अबाधित और एन्क्रिप्टेड (सुरक्षित) कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
  • यह रियल-टाइम सिचुएशनल अवेयरनेस को बढ़ाता है, जिससे जहाज़ों, पनडुब्बियों, एयरक्राफ्ट और कमांड सेंटर्स के बीच जॉइंट कोऑर्डिनेशन हो पाता है।
  • भारत की समुद्री क्षेत्र जागरूकता प्रणाली (Maritime Domain Awareness Grid) में एक फोर्स मल्टीप्लायर के रूप में कार्य करता है, जो अभियानों के दौरान सुरक्षित और सशक्त संचार सुनिश्चित करता है।

प्रक्षेपण यान- LVM3-M5 (‘बाहुबली’)

  • यह भारत का सबसे भारी परिचालन रॉकेट है, जिसे पहले GSLV Mk-III के नाम से जाना जाता था।
  • पेलोड क्षमता:
    • जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) तक 4,000 किलोग्राम।
    • लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) तक 8,000 किलोग्राम।
  • संरचना (Configuration): यह तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है, जिसमें शामिल हैं- 
    • लिफ्टऑफ थ्रस्ट के लिये S200 सॉलिड स्ट्रैप-ऑन बूस्टर।
    • ट्विन विकास इंजन द्वारा संचालित L110 लिक्विड कोर स्टेज।
    • C25 क्रायोजेनिक अपर स्टेज - पूरी तरह से भारत में विकसित।
  • यह गगनयान ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन के लिये बेसलाइन लॉन्चर के तौर पर कार्य करता है, जहाँ इसके मॉडिफाइड वर्जन को ह्यूमन-रेटेड LVM3 (HRLV) कहा जाता है।
  • उपनाम 'बाहुबली' इसकी विशाल उठाने की शक्ति और मिशनों में निरंतर विश्वसनीयता को दर्शाता है।

विकास पृष्ठभूमि

  • M5 मिशन LVM3 सीरीज़ में पाँचवीं सफल उड़ान है, जो इस वाहन के साथ ISRO की शानदार सफलता की कड़ी को जारी रखता है।
  • यह नौसेना के लिये GSAT-7 (रुक्मिणी) और वायु सेना के लिये GSAT-7A जैसे पहले के उपग्रहों के बाद आया है, जो भारत की रक्षा संचार क्षमताओं का विस्तार करता है।


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