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त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल 2025’
- 03 Nov 2025
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चर्चा में क्यों?
त्रि-सेवा संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल 2025’ का आरंभ 3 नवंबर, 2025 से होने जा रहा है। यह अभ्यास भारतीय नौसेना के नेतृत्व में आयोजित होगा, जिसमें थल सेना, वायु सेना और समुद्री घटक शामिल होंगे।
अभ्यास का क्षेत्र गुजरात और राजस्थान के सिर क्रीक एवं रेगिस्तानी क्षेत्रों से लेकर उत्तर अरब सागर तक विस्तारित रहेगा।
मुख्य विवरण
- यह व्यापक पैमाने पर आयोजित अभ्यास भारतीय नौसेना के नेतृत्व में और पश्चिमी नौसेना कमान के समन्वय में किया जा रहा है।
- इसमें थल सेना की दक्षिणी कमान, नौसेना की पश्चिमी कमान तथा भारतीय वायु सेना की दक्षिण-पश्चिमी कमान सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
- अभ्यास का उद्देश्य:
- संयुक्त संचालन प्रक्रियाओं का सत्यापन करना।
- तीनों सेनाओं के बीच अंतरसंचालन क्षमता (Interoperability) को सुदृढ़ बनाना।
- बहु-क्षेत्रीय अभियानों (Multi-Domain Operations) के लिये नेटवर्क आधारित कमांड एकीकरण को मज़बूत करना।
सिर क्रीक
- स्थान: यह एक दलदली मुहाना क्षेत्र है जो कच्छ (गुजरात, भारत) और सिंध (पाकिस्तान) के बीच स्थित है, जहाँ कच्छ का रण अरब सागर से मिलता है।
- लंबाई: लगभग 96 किलोमीटर लंबी ज्वारीय क्रीक।
- विवाद: यह भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद का हिस्सा है, भारत इसे मध्य जलधारा (Mid-Channel) तक अपनी सीमा मानता है, जबकि पाकिस्तान पूर्वी तट (Eastern Bank) को सीमा रेखा मानता है।
- रणनीतिक महत्त्व:
- यह क्षेत्र एक संवेदनशील तटीय सुरक्षा क्षेत्र तथा रणनीतिक समुद्री सीमा के रूप में कार्य करता है।
- पश्चिमी नौसेना कमान के अंतर्गत नौसैनिक और तटीय निगरानी के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- समुद्री संसाधनों से समृद्ध: यह क्षेत्र मछली पालन और अन्य समुद्री संसाधनों से भरपूर है, जिससे संभावित विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ) संबंधी दावे उत्पन्न हो सकते हैं।
- पर्यावरणीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण: सिर क्रीक सिंधु डेल्टा पारिस्थितिकी तंत्र (Indus Delta Ecosystem) का हिस्सा है, जो जैवविविधता संरक्षण और तटीय पर्यावरणीय संतुलन के लिये अत्यंत आवश्यक है।