उत्तर प्रदेश
गोमती नदी
- 15 May 2025
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चर्चा में क्यों?
गोमती नदी में ऑक्सीजन की कमी, फेकल कोलीफॉर्म की अधिकता और अनुपचारित सीवेज की बढ़ती मात्रा को लेकर पर्यावरण विशेषज्ञों और नागरिकों ने गंभीर चिंता जताई है।
मुख्य बिंदु
- गोमती नदी:
- गोमती गंगा नदी की 960 किमी. लंबी सहायक नदी है।
- यह पीलीभीत ज़िले के माधो टांडा से निकलती है और ग़ाज़ीपुर के कैथी में गंगा में मिल जाती है।
- लखनऊ में नदी को शहरीकरण के कारण बढ़ते खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें निम्न ऑक्सीजन स्तर और बढ़ता मल प्रदूषण शामिल है।
- शहरीकरण दबाव और सीवेज बोझ:
- तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और शहर का विस्तार गोमती के पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ रहा है।
- शहर में वर्तमान में 730 MLD की आवश्यकता में से 450 MLD का उपचार किया जाता है; लगभग 280 MLD अनुपचारित सीवेज सीधे नदी में प्रवाहित हो जाता है।
- मेगा टाउनशिप परियोजनाएँ:
- लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) चार प्रमुख परियोजनाओं की योजना बना रहा है: वेलनेस सिटी, आईटी सिटी, एजुकेशनल सिटी और प्रबंध नगर।
- अन्य प्रमुख विकासों में अनंत नगर (मोहन रोड) और एयरो सिटी (अमौसी हवाई अड्डा) शामिल हैं।
- ये टाउनशिप प्रमुख गलियारों के किनारे स्थित हैं और इससे गोमती पर जनसंख्या घनत्व और सीवेज का भार और बढ़ जाएगा।
- टिकाऊ शहरी नियोजन की आवश्यकता:
- पर्यावरणविद एकीकृत जल निकासी, हरित स्थान, सीवेज उपचार संयंत्र और जल पुन: उपयोग प्रणालियों सहित वैज्ञानिक शहरी नियोजन की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ:
- नदी में मल कोलीफॉर्म के स्तर में तीव्र वृद्धि और ऑक्सीजन में गिरावट से गंभीर स्वास्थ्य और पारिस्थितिकीय खतरा उत्पन्न हो रहा है।
- नालों से अनुपचारित जल का निर्वहन तथा अपर्याप्त बुनियादी संरचना जलीय जीवन और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं।