हरियाणा
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में डिजिटल जियोफेंसिंग
- 25 Nov 2025
- 12 min read
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार के अधिकारी सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के बफर-ज़ोन के चारों ओर डिजिटल जियोफेंसिंग लागू करने की योजना बना रहे हैं, ताकि भूमि-उपयोग परिवर्तन की वास्तविक समय निगरानी सुनिश्चित की जा सके तथा संभावित उल्लंघनों पर नियंत्रण किया जा सके।
मुख्य बिंदु
- डिजिटल जियोफेंसिंग के बारे में:
- हरियाणा वन विभाग तथा ज़िला प्रशासन सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के बफर ज़ोन के चारों ओर एक डिजिटल भू-स्थानिक सीमा विकसित करेगा, जिससे मानचित्रित क्षेत्र में भूमि-उपयोग में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने पर स्वचालित अलर्ट प्राप्त हो सकेगा।
- इस पहल का उद्देश्य अनधिकृत निर्माण, भूमि-विखंडन, मिट्टी की खुदाई तथा वाणिज्यिक भूमि-रूपांतरण जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है, जो क्षेत्र की पारिस्थितिकी संवेदनशीलता के लिये चुनौती उत्पन्न कर रही हैं।
- उपग्रह इमेजरी, ड्रोन सर्वेक्षण तथा GIS-आधारित डिजिटल मानचित्रण को एकीकृत किया जायेगा, जिससे अभयारण्य के आसपास किसी भी भौतिक परिवर्तन की वास्तविक-समय में निगरानी की जा सकेगी।
- सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के बारे में:
- हरियाणा के गुरुग्राम ज़िले में स्थित सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान भारत के प्रमुख पक्षी-अभयरण्यों में से एक है तथा मध्य एशिया, यूरोप और साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण शीतकालीन प्रवास-स्थल है।
- सुल्तानपुर मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) के किनारे अवस्थित है, जिसके कारण प्रवासी पक्षियों के मार्गों की रक्षा हेतु भूमि-उपयोग परिवर्तन की कड़ी निगरानी आवश्यक हो जाती है।
- इसके पारिस्थितिकी महत्त्व को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2021 में इसे रामसर स्थल घोषित किया गया।