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उत्तर प्रदेश

UPSIFS में पुलिसिंग कौशल बढ़ाने हेतु पाठ्यक्रम

  • 29 Jul 2025
  • 26 min read

चर्चा में क्यों?

पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने उत्तर प्रदेश राज्य फोरेंसिक विज्ञान संस्थान (UPSIFS) में 'वर्टिकल इंटरेक्शन कोर्स' का उद्घाटन किया, जो पुलिस प्रणाली में कानूनी, तकनीकी और फोरेंसिक विशेषज्ञता को एकीकृत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

प्रमुख बिंदु

  • उद्देश्य: 
    • पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPRD) द्वारा समर्थित इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य पुलिस अधिकारियों को अंतरविषयक कौशल प्रदान करना है ताकि वे नवाचारी अपराधों, विशेष रूप से साइबर अपराध का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें। 
    • DGP ने आधुनिक अपराधों से निपटने में कानून, तकनीक और फोरेंसिक विज्ञान के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि यह पाठ्यक्रम इन तीनों को एकीकृत रूप में प्रस्तुत करता है।
  • उन्नत डिजिटल डायग्नोस्टिक लैब का उद्घाटन: 
    • DGP ने UPSIFS में नवविकसित 'उन्नत डिजिटल डायग्नोस्टिक लैब' का भी उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य प्रायोगिक न्यायालयिक प्रशिक्षण प्रदान करना है।
    • उन्होंने कहा कि अपराध का स्वरूप अब डिजिटल हो गया है और साइबर अपराधियों के तेज़ी से बदलते तरीकों का सामना करने हेतु पुलिस को हर स्तर पर तकनीकी प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से प्राप्त करना होगा।
  • BPRD के साथ सहयोग: 
    • संस्थान के संस्थापक निदेशक जी.के. गोस्वामी ने बताया कि BPRD के सहयोग से दो विशेष पाठ्यक्रम प्रारंभ किये गए हैं। पहले बैच में IPS अधिकारियों का प्रशिक्षण उसी दिन प्रारंभ हुआ।
    • उन्होंने कहा कि अपराधों की समग्र जाँच के लिये कानूनी एवं वैज्ञानिक ज्ञान का एकीकरण आवश्यक है। उन्होंने संस्थान की सोच को "Law with Lab" के रूप में परिभाषित किया।
  • महत्त्व: 
    • यह पहल आधुनिक पुलिस व्यवस्था में कानून, प्रौद्योगिकी और फोरेंसिक के एकीकरण में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती है, जिसमें डिजिटल युग में जटिल अपराधों से निपटने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों को बेहतर ढंग से सुसज्जित करने की क्षमता है।

पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPR&D)

  • स्थापना एवं उद्देश्य: 
    • इसकी स्थापना आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा 28 अगस्त 1970 को गृह मंत्रालय के अधीन की गई थी। 
    • ब्यूरो का प्राथमिक उद्देश्य भारत में पुलिस बल का आधुनिकीकरण करना था। BPR&D के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
      • पुलिस से संबंधित मुद्दों में प्रत्यक्ष और सक्रिय रुचि लेना
      • पुलिस समस्याओं पर तीव्र और व्यवस्थित अनुसंधान को बढ़ावा देना
      • पुलिस के तरीकों और तकनीकों में सुधार के लिये विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का प्रयोग
  • कार्यक्षेत्र का विस्तार: 
    • समय के साथ BPR&D के कार्यक्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। जैसे:
    • वर्ष 1983: BPR&D के अधीन न्यायालयिक विज्ञान निदेशालय (Directorate of Forensic Sciences) की स्थापना की गई, जिससे पुलिस जाँच में फोरेंसिक विज्ञान के बढ़ते महत्त्व को दर्शाया गया।
    • वर्ष 1995: भारत सरकार ने BPR&D को कारावास प्रशासन, विशेषकर जेल सुधारों से संबद्ध कार्य सौंपे ताकि बदलते समय में जेल प्रबंधन की चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
    • वर्ष 2008 में, BPR&D की देखरेख में राष्ट्रीय पुलिस मिशन का निर्माण किया गया, जिसका उद्देश्य पुलिस बलों का और अधिक आधुनिकीकरण करना तथा आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने की उनकी क्षमता को बढ़ाना था।
    • वर्ष 2021 में BPR&D की ज़िम्मेदारियों में एक बार फिर विस्तार हुआ, जिसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य शामिल हुए:

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