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UP PCS Mains-2024

  • 14 Apr 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 6 उत्तर प्रदेश स्पेशल

    दिवस- 36: उत्तर प्रदेश में परिवहन के विभिन्न साधनों का विवरण देते हुए राज्य में परिवहन विकास की प्रमुख पहलों पर प्रकाश डालिये। (उत्तर 125 शब्दों में दीजिये)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • परिवहन प्रणाली का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • उत्तर प्रदेश की प्रमुख परिवहन प्रणालियों पर चर्चा कीजिये।
    • राज्य की प्रमुख परिवहन विकास पहलों पर प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय: 

    संचार और वाणिज्य गतिविधियों को बढ़ावा देकर आर्थिक समृद्धि हासिल करने के लिये एक कुशल परिवहन प्रणाली आवश्यक है। उत्तर प्रदेश में परिवहन के सभी साधन मौजूद हैं। यहाँ लोगों और वस्तुओं के आवागमन हेतु सड़क, रेलवे, वायुमार्ग तथा जलमार्ग का एक बेहतरीन नेटवर्क है।

    मुख्य भाग: 

    उत्तर प्रदेश की प्रमुख परिवहन प्रणालियाँ: 

    • सड़क मार्ग: उत्तर प्रदेश में सड़कों की कुल लंबाई लगभग 18.37 लाख कि.मी. है और यह महाराष्ट्र के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है।
    • राष्ट्रीय राजमार्ग: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 12,270 कि.मी. (2022-23) है। उत्तर प्रदेश से गुजरने वाला सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग NH 19 है।
    • एक्सप्रेसवे: ये राजमार्गों तक नियंत्रित पहुँच वाली सड़कों की उच्चतम श्रेणी है। राज्य में यमुना (ताज) एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जैसे कई एक्सप्रेसवे हैं।
    • राज्य राजमार्ग: इसके द्वारा राज्य की राजधानी, ज़िलों के मुख्यालयों और कस्बों को जोड़ा जाता है। उत्तर प्रदेश में राज्य राजमार्गों की कुल लंबाई 8,432 किलोमीटर है।
    • ज़िला एवं ग्राम सड़कें: ज़िलों के विभिन्न प्रशासनिक केंद्रों को ज़िला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़कों को ज़िला सड़कें कहा जाता है।
    • रेलवे: उत्तर प्रदेश भारत में रेलवे नेटवर्क में पहले स्थान (जहाँ लगभग 9,167 किलोमीटर रेलवे लाइन है) पर है। भारत में 17 रेलवे ज़ोन हैं, जिनमें से 5 रेलवे ज़ोन इस राज्य में हैं। उत्तर प्रदेश में लखनऊ मेट्रो रेल, नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो रेल और कानपुर मेट्रो रेल का संचालन किया जा रहा है।
    • वायुमार्ग: राज्य में 46 हवाई पट्टियाँ हैं, जिनमें से 16 राज्य सरकार, 8 हवाई पट्टियाँ वायुसेना के नियंत्रण में हैं तथा शेष केंद्र सरकार के नियंत्रण में हैं। राज्य में 5 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं। कुशीनगर, वाराणसी तथा लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे संचालित अवस्था में हैं। जेवर में नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा तथा अयोध्या अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निर्माणाधीन है।
    • रोपवे: इसे रस्सियों से लटके या नियंत्रित वाहकों में वस्तुओं और/या यात्रियों के परिवहन के लिये एक प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसका उपयोग राज्य के बुंदेलखंड एवं तराई क्षेत्रों में किया जाता है। उत्तर प्रदेश में लक्ष्मण पहाड़ी रोपवे चित्रकूट ज़िले में स्थित है। हाल ही में वाराणसी, सार्वजनिक परिवहन में इसका उपयोग करने वाला राज्य का पहला शहर बन गया है।
    • जलमार्ग: उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना, घाघरा और गोमती का उपयोग जल परिवहन सुविधाओं के लिये किया जाता है, राष्ट्रीय जलमार्ग-1 प्रयागराज से हल्दिया (पश्चिम बंगाल) तक गंगा, भागीरथी और हुगली से होकर गुजरता है।

    उत्तर प्रदेश में प्रमुख परिवहन विकास पहल:

    • सड़क अवसंरचना के लिये पहल: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दूरदराज़ के क्षेत्रों को ज़िला मुख्यालयों से जोड़ने के लिये 'प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना' का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा रहा है। भारतीय सड़क कॉन्ग्रेस (IRC) 2022 का सम्मेलन लखनऊ में आयोजित किया गया, इसका लक्ष्य राज्य में सड़क अवसंरचना को मज़बूत करना है।
    • रेलवे अवसंरचना हेतु पहल: वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) उत्तर प्रदेश में दादरी को मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से जोड़ता है। 351 किलोमीटर लंबा 'न्यू भाऊपुर-न्यू खुर्जा माल ढुलाई गलियारा' ईस्टर्न DFC का हिस्सा है।
    • जलमार्गों के लिये पहल: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में जलमार्गों के विकास हेतु एक नए प्राधिकरण की घोषणा की है। गंगा विलास लक्जरी क्रूज़ बोट वाराणसी और डिब्रूगढ़ (असम) के बीच विश्व की सबसे लंबी नदी क्रूज़ सेवा है।
    • रोपवे के लिये पहल: उत्तर प्रदेश में वाराणसी की रोपवे परियोजना देश की पहली 'शहरी रोपवे' परियोजना है।
    • वायुमार्ग के लिये पहल: उड़ान योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के लिये 18 नए हवाई मार्ग शामिल किये गए हैं जो कानपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़, चित्रकूट, प्रयागराज, वाराणसी, श्रावस्ती और बरेली की कनेक्टिविटी बढ़ाने पर केंद्रित है।

    निष्कर्ष: 

    इस प्रकार, उत्तर प्रदेश में परिवहन क्षेत्र में भौतिक प्रसार के साथ-साथ यात्रियों तथा वस्तुओं की ढुलाई के लिये गतिशीलता की मांग को पूरा करने की क्षमता के मामले में व्यापक रूप से वृद्धि हुई है। इस क्रम में राज्य में धारणीय (हरित) परिवहन प्रणालियों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

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