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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ‘कराची प्रस्ताव’ वास्तव में कांग्रेस की मूलभूत राजनीतिक व आर्थिक नीतियों का दस्तावेज था। विवेचना कीजिये।

    07 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    29 मार्च 1931 में कराची में कांग्रेस का अधिवेशन आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभ भाई पटेल ने की थी। इस अधिवेशन में ‘दिल्ली समझौते’ यानि गांधी-इरविन समझौते को स्वीकृति प्रदान की गई। ‘पूर्ण स्वराज्य’ के लक्ष्य को फिर से दोहराया गया तथा भगतसिंह, राजगुरु व सुखदेव की वीरता और बलिदान की प्रशंसा की गई। यद्यपि कांग्रेस ने किसी भी प्रकार की राजनीतिक हिंसा का समर्थन न करने की अपनी नीति भी दोहराई।

    इस अधिवेशन में कांग्रेस ने दो मुख्य प्रस्तावों को अपनाया जिनमें एक मूलभूत राजनीतिक अधिकारों से संबंधित था तो दूसरा राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रमों से संबंधित था।

    मूलभूत राजनीतिक अधिकारों से जुड़े प्रस्ताव में निम्नलिखित प्रावधान थे-

    • अभिव्यक्ति व प्रेस की पूर्ण स्वतंत्रता।
    • संगठन बनाने की स्वतंत्रता।
    • सार्वभौम व्यस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों की स्वतंत्रता।
    • सभा व सम्मेलन आयोजित करने की स्वतंत्रता।
    • जाति, धर्म व लिंग के आधार पर भेदभाव किये बिना कानून के समक्ष समानता।
    • सभी धर्मों के प्रति राज्य का तटस्थ भाव।
    • निःशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की गारंटी।
    • अल्पसंख्यकों तथा विभिन्न भाषाई क्षेत्रों की संस्कृति, भाषा एवं लिपि के संरक्षण व सुरक्षा की गारंटी।

    राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम से संबंधित जो प्रस्ताव पारित हुआ, उसमें निम्नलिखित प्रावधान सम्मिलित थे-

    • मजदूरों एवं किसानों को अपनी यूनियन बनाने की स्वतंत्रता 
    • मजदूरों के लिये बेहतर सेवा शर्तें, महिला मजदूरों की सुरक्षा तथा काम के नियमित घंटे।
    • किसानों को कर्ज से राहत और सूदखोरों पर नियंत्रण।
    • अलाभकारी जोतों को लगान से मुक्ति।
    • लगान और मालगुजारी में उचित कटौती तथा,
    • प्रमुख उद्योगों, परिवहन और खदान को सरकारी स्वामित्व एवं नियंत्रण में रखने का वचन।

    इन प्रावधानों के साथ-साथ कांग्रेस ने यह भी घोषणा की कि ‘जनता के शोषण को समाप्त करने के लिये राजनीतिक आजादी के साथ-साथ आर्थिक आजादी भी आवश्यक है’। अतः यह कहना उचित ही है की कांग्रेस का ‘कराची प्रस्ताव’ वास्तव में उसकी मूलभूत राजनीतिक व आर्थिक नीतियों का दस्तावेज था।

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