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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    'अंग्रेजों द्वारा समय पूर्व सत्ता हस्तांतरण करने की शीघ्रता व तात्कालिक नेतृत्व की अदूरदर्शिता आजादी के समय हुए नरसंहार व अशांति के लिये उत्तरदायी थी।' इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

    19 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    20 फरवरी, 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की भी कि अंग्रेज सरकार 30 जून, 1948 तक भारतवासियों को सत्ता सौंप देगी परंतु, ‘माउंटबैटन योजना’ द्वारा 3 जून, 1947 को ही स्पष्ट हो गया कि ब्रिटिश सरकार द्वारा 15 अगस्त, 1947 को भारत और पाकिस्तान को डोमिनियन स्टेट्स सत्ता हस्तांतरण हो जाएगा। समय पूर्व सत्ता हस्तांतरण और अंग्रेजों की भारत से शीघ्रतिशीघ्र वापसी के निर्णय से भारत में अनेक विकट समस्याएँ उत्पन्न हो गई। इस शीघ्रता के कारण विभाजन के संबंध में सुनिश्चित योजना बनाने की रणनीति गड़बड़ा गई तथा यह कमी देशभर में व्यापक नरसंहार रोकने में असफल रही। उस समय हुए नरसंहार और अशांति के पीछे निम्नलिखित कारक उत्तरदायी थे-

    • विभाजन की योजना के संबंध में एक सुनिश्चित एवं दूर्शितापूर्ण रणनीति का अभाव था। साथ ही यह योजना भी नहीं बताई गई थी कि विभाजन उपरांत उत्पन्न समस्याओं को कैसे हल किया जाएगा।
    • माउंटबैटन यह मानकर चल रहे थे कि उन्हें भारत एवं पाकिस्तान दोनों का गवर्नर-जनरल बनाया जाएगा, जिससे वे विभाजनोपरांत उत्पन्न समस्याओं को हल कर लेंगे किंतु जिन्ना, पाकिस्तान के गवर्नर-जनरल का पद स्वयं संभालना चाहते थे। 
    • सीमा आयोग (रेडक्लिफ की अध्यक्षता में) की घोषणा करने में अनावश्यक देरी की गई। हालाँकि इस संबंध में निर्णय 12 अगस्त, 1947 को ही लिया जा चुका था लेकिन माउंटबैटन ने इसे 15 अगस्त, 1947 को ही सार्वजनिक करने का निर्णय लिया। इसके पीछे उनकी यह सोच थी कि इससे सरकार, किसी भी प्रकार की विपरीत घटना होने पर उसकी जिम्मेदारी से बच जाएगी।
    • परन्तु , इनके अतिरिक्त जिन्ना की जल्दी से जल्दी पाकिस्तान बनाने की जिद ,हिन्दू-मुस्लिमों के मध्य साम्प्रदायिकता का उफान ,पंजाब व बंगाल में सरकार की प्रशासनिक विफलता आदि भी तत्कालीन हिंसा के लिये उत्तरदायी थे।

    इस प्रकार, ब्रिटिश सरकार की स्वयं के हितों को सुरक्षित रखने की स्वार्थपूर्ण नीति ने भारतीय उपमहाद्वीप को अस्त-व्यस्त कर दिया, भीषण नरसंहार हुआ तथा कोई उसके उत्तरदायी भी नहीं ठहराया गया।

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