इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में गांधी जी के ‘सविनय अवज्ञा’ की प्रथम प्रयोगशाला चम्पारण की भूमि थी। चर्चा कीजिये?

    20 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    चम्पारण में 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ से ही ‘तिनकाठिया पद्धति’ चल रही थी, जिसके अन्तर्गत अंग्रेज बागान मालिकों के लिये किसानों को अपनी भूमि के 3/20 वें हिस्से में नील की खेती करना अनिवार्य था। 19वीं सदी के अन्त में जर्मनी में रासायनिक रंगों (डाई) का विकास हो गया, जिसने नील को बाजार से बाहर खदेड़ दिया। इस कारण चम्पारण के बागान मालिक नील की खेती बंद करने को विवश हो गये। परन्तु उन्होंने किसानों से इस अनुबंध से मुक्त करने की एवज में लगान व अन्य करों की दरों में अत्यधिक वृद्धि कर दी। इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने द्वारा तय की गई दरों पर किसानों को अपने उत्पाद बेचने पर बाध्य किया। इन परिस्थितियों में चम्पारण के एक आंदोलनकारी राजकुमार शुक्ल ने गांधी जी को चंपारण बुलाने का फैसला किया।

    गांधी जी 1915 में ही दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर 1917 में गांधी जी अपने सहयोगियों के साथ मामले की जाँच के लिये जब चंपारण पहुँचे तो सरकारी अधिकारी ने उन्हें तुरंत वापिस जाने का आदेश दिया। परन्तु, गांधी जी ने इस आदेश को मानने से साफ इंकार कर दिया तथा किसी भी प्रकार के दण्ड को भुगतने का फैसला लिया। सरकार के इस अनुचित आदेश के विरूद्ध गांधीजी द्वारा अहिंसात्मक प्रतिरोध या ‘सविनय अवज्ञा’ का मार्ग का चुनना विरोध का सर्वोत्तम तरीका सिद्ध हुआ। गांधी जी की दृढ़ता के सम्मुख सरकार विवश हो गई, अतः उसने स्थानीय प्रशासन को अपना वापिस लेने तथा गांधी जी को चंपारण के गाँवों में जाने की छूट देने का निर्देश दिया।

    गाँधी जी का सत्याग्रह रंग लाया तथा सरकार ने सारे मामले की जाँच के लिये एक आयोग का गठन किया तथा गांधीजी को भी इसका सदस्य बनाया गया। गाँधी जी आयोग को यह समझाने में सफल रहे कि तिनकठिया पद्धति समाप्त होनी चाहिये। उन्होंने आयोग को यह भी मनवाया कि किसानों से पैसा अवैध वसूला गया है, उसके लिये किसानों को हरजाना दिया जाये। किसानों को अवैध वसूली का 25 प्रतिशत हिस्सा वापिस मिला तथा एक दशक के भीतर ही बागान मालिकों ने चंपारण छोड़ दिया। और, इस प्रकार गांधीजी ने भारत में सविनय अवज्ञा का प्रथम सफल प्रयोग किया।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2