इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ब्रिटेन की आर्थिक नीति केवल उस स्पंज पर आधारित नहीं थी जो भारत से अच्छी चीज़ों को सोखकर ब्रिटेन में निचोड़ देती थी बल्कि यह उस रिसाव पर आधारित थी जो आज़ादी के 60 वर्षों के बाद आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था में मौजूद है। चर्चा कीजिये।

    21 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • अंग्रेज़ों की आर्थिक नीतियों के उद्देश्य से शुरुआत कीजिये।
    • अर्थव्यवस्था की मज़बूती के लिये ज़रूरी अवसंरचनात्मक ढाँचे की ज़रूरत पर प्रकाश डालते हुए भारत में अंग्रेज़ों के निवेश का उद्देश्य बताइये।
    • जब अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ा, उस समय भारत में उद्योगों की स्थिति बताते हुए ठोस कारण दीजिये कि आखिर 60 साल बाद भी यह कमी कैसे बनी हुई है।

    भारत में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना के उपरांत अपनाई गई आर्थिक नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को खोखला बना दिया। इन नीतियों में भू-राजस्व नीति, धन का निर्गमन सिद्धांत, कृषि का वाणिज्यिकरण, विऔद्योगीकरण, अप्रगतिशील आयात-निर्यात नीति आदि। 

    ब्रिटिश भारत में आर्थिक क्रियाकलाप पहले से ज़्यादा हुए। शुरुआती समय में कृषि ही प्रमुख व्यवसाय था। करों के माध्यम से अंग्रेज़ों ने इस क्षेत्र को बर्बाद कर दिया। जब किसान करों के दबाव में टूट चुके थे, तब ब्रिटिशों ने भारत में उन फसलों की शुरुआत की जिनकी अंग्रेज़ों को ज़रूरत थी या अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अधिक मूल्य मिलता हो। नील, रबर, चाय, कॉफी आदि के उत्पादन के लिये किसानों को बाध्य करके उनका शोषण किया जाता रहा। इससे भारत की खाद्य सुरक्षा प्रभावित हुई। करों की अधिक दर के कारण भारत से बहुत-सा धन विदेश चला जा रहा था। इसे धन का निर्गमन (Drain of Wealth) कहा गया।

    भारत में कुटीर उद्योग को जानबूझकर अंग्रेज़ों ने खत्म किया और इसके बदले विदेशी उद्योगों के लिये भारत में बाज़ार पैदा किया। एक तरह से भारत कच्चे माल का आपूर्तिकर्त्ता बन गया, जिसका दाम अंग्रेज़ तय करते थे। साथ ही, उसी माल से बने उत्पादों की कीमत भी अंग्रेज़ ही तय करते थे। एक तरह से यह दोहरा शोषण था। उद्योगों के मामले में, भारत में सिर्फ उन्हीं उद्योगों को लगाया गया जिनका हित अंग्रेज़ों के लिये हो। रेलवे की शुरुआत अंग्रेज़ों ने ज़रूर की, किंतु सिर्फ अपने व्यापारिक हितों को ध्यान में रखकर ही रेलवे लाइनें बिछाईं। 

    डी.एच. बुकानन ने कहा है- "अलग-थलग रहने वाले आत्मनिर्भर गाँवों के कवच को इस्पात की रेल ने बेध दिया तथा उनकी प्राण-शक्ति को छीन लिया। अंग्रेज़ों की शिक्षा नीति भी यही थी कि उन्हें कंपनी के लिये भरोसेमंद कर्मचारी मिल सकें। किसी प्रकार की तकनीकी एवं मेडिकल शिक्षा के अच्छे अवसर नहीं के बराबर थे। ऐसे में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो उसके सामने दोनों ओर से संकट था। एक तो उद्योगों एवं आधारभूत संरचनाओं का अभाव एवं दूसरी तरफ कुशल मानव संसाधन की कमी। आज़ादी के 60 साल बाद भी औद्योगिक रूप से भारत आत्मनिर्भर नहीं बन पाया है, जिसका एक कारण ब्रिटिश भारत की आर्थिक नीतियाँ भी हैं।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2