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प्रश्न :
प्रश्न 2. भारत के वस्त्र उद्योग का भौगोलिक केंद्र गंगा-यमुना के मैदानी क्षेत्र से हटकर प्रायद्वीपीय भारत में क्यों स्थानांतरित हुआ, इसकी विवेचना कीजिये। (150 शब्द)
01 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- गंगा-यमुना के मैदानी क्षेत्र से प्रायद्वीपीय क्षेत्र में वस्त्र उद्योग के स्थानांतरण के संदर्भ में संक्षेप में बताते हुए उत्तर दीजिये।
- भौगोलिक, आर्थिक तथा अन्य विभिन्न आयामों के आधार पर इस स्थानांतरण के प्रमुख कारणों को प्रस्तुत कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
गंगा-यमुना के मैदान से भारत के प्रायद्वीपीय क्षेत्र में वस्त्र उद्योग का स्थानांतरण एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक और आर्थिक घटना है जो ऐतिहासिक, भौगोलिक एवं आर्थिक कारकों के संयोजन से प्रेरित है।
- गंगा-यमुना का मैदान हथकरघा वस्त्रों का एक पारंपरिक केंद्र था, लेकिन 19वीं और 20वीं शताब्दी में आधुनिक मिल उद्योग के उदय ने प्रायद्वीपीय क्षेत्र, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों को लाभ पहुँचाया।
मुख्य भाग:
वस्त्र उद्योग का गंगा-यमुना क्षेत्र से प्रायद्वीपीय भारत की ओर स्थानांतरण
भौगोलिक और संसाधन कारक:
- कपास उत्पादन: प्रायद्वीपीय भारत (महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु) में कपास की कृषि के विस्तार के साथ, परिवहन लागत कम करने के लिये वस्त्र इकाइयाँ स्वाभाविक रूप से कच्चे माल के स्रोतों के समीप स्थानांतरित हो गईं।
- जलवायु: प्रायद्वीपीय भारत में मशीनीकृत वस्त्र मिलों, विशेष रूप से कताई-बुनाई के लिये अधिक अनुकूल रही, जबकि गंगा-यमुना क्षेत्र में आर्द्रता और बाढ़ की समस्या थी।
- ‘दक्षिण भारत का मैनचेस्टर’ कहे जाने वाले कोयंबटूर (तमिलनाडु) कपास कताई और बुनाई उद्योगों का केंद्र बन गया।
औद्योगिक और तकनीकी कारक:
- यांत्रिकीकरण: महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे क्षेत्रों में स्वतंत्रता-उत्तर काल में आधुनिक मिल उद्योग शीघ्र विकसित हुआ।
- बिजली और बुनियादी अवसंरचना: प्रायद्वीपीय भारत ने बेहतर बुनियादी अवसंरचना विकसित किया, जिसमें विश्वसनीय विद्युत, बंदरगाह (मुंबई, चेन्नई) और सड़क-रेल संपर्क शामिल हैं, जिससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला।
- जलविद्युत: 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में तमिलनाडु जैसे राज्यों (जैसे: पायकारा बाँध) में जलविद्युत के विकास ने मिलों के लिये एक महत्त्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत प्रदान किया, जिससे दक्षिण में औद्योगिक विकास में और तेज़ी आई।
आर्थिक और बाज़ार कारक:
- बंदरगाहों और निर्यात बाज़ारों से निकटता: पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों ने बंदरगाहों (मुंबई, चेन्नई, तूतीकोरिन) तक बेहतर अभिगम्यता प्रदान की, जिससे वस्त्रों के निर्यात में सुविधा हुई।
- मुंबई, ‘कॉटनोपोलिस ऑफ इंडिया’ अर्थात् भारत का कपास राज्य के रूप में विकसित हुआ क्योंकि यहाँ इंग्लैंड से मशीनरी आयात और तैयार वस्त्रों का निर्यात सुगम था।
- तिरुपुर (तमिलनाडु), आधुनिक औद्योगिक संपदाओं और बुनियादी अवसंरचना के कारण बुने हुए कपड़ों के निर्यात का वैश्विक केंद्र बना।
- निजी निवेश: प्रायद्वीपीय भारत में गुजरात और महाराष्ट्र के निजी उद्यमियों ने वस्त्र मिलों में निवेश किया, जिससे वहाँ औद्योगिक संकेंद्रण बढ़ा।
निष्कर्ष:
वस्त्र उद्योग का प्रायद्वीपीय भारत की ओर स्थानांतरण संसाधनों की उपलब्धता, औद्योगीकरण और बाज़ार अभिगम्यता को दर्शाता है। वर्तमान में PM MITRA जैसे उपक्रम, ‘5F’ विज़न (Farm to Fibre to Factory to Fashion to Foreign) अर्थात् खेत-से-रेशा, कारखाना, फैशन और विदेश निर्यात वाले दृष्टिकोण के साथ, एकीकृत टेक्सटाइल पार्क, निर्यात व रोज़गार को प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिससे भारत को एक आधुनिक वैश्विक वस्त्र केंद्र के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
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