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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    वर्तमान के परस्पर संबंधित विश्व में, जनमत और विचार-विमर्श को आकार देने में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की भूमिका निर्विवाद है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज़ के प्रसार से उत्पन्न नैतिक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। अपने उत्तर के पक्ष में उदाहरण भी दीजिये। (250 शब्द)

    13 Jul, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • फेक और भ्रामक न्यूज़ का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • फेक और भ्रामक न्यूज़ के प्रसार से उत्पन्न नैतिक चुनौतियों की व्याख्या कीजिये।
    • समाज एवं लोकतंत्र पर इनके प्रभावों की चर्चा करते हुए इस संदर्भ में उपयोगकर्ताओं और मंच प्रदाताओं (सोशल मीडिया) की जिम्मेदारियों का उल्लेख कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    फेक और भ्रामक न्यूज़ का आशय जानबूझकर या अनजाने में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक उद्देश्यों हेतु गलत सूचनाओं के प्रसार करने से है। इसके विभिन्न रूप हो सकते हैं जैसे मनगढ़ंत कहानियाँ, हेरफेर की गई छवियाँ या वीडियो, विकृत तथ्य या आँकड़े या भ्रामक शीर्षक या कैप्शन।

    मुख्य भाग:

    फेक और भ्रामक खबरों के प्रसार से उत्पन्न नैतिक चुनौतियाँ:

    • सूचना स्रोतों की विश्वसनीयता और जबावदेहिता में कमी आना।
    • जनमत को विकृत करने के साथ निर्णय लेने में पक्षपात होना।
    • सोशल मीडिया के कारण लोगों में भ्रामक खबरों के प्रसार से दृष्टिकोण में बदलाव आना।
    • भ्रामक खबरों के तीव्र प्रसार से दहशत एवं सामाजिक अशांति के साथ व्यक्तियों को नुकसान हो सकता है।
    • इसमें सूचना की सटीकता की जिम्मेदारी के साथ स्वतंत्र अभिव्यक्ति को संतुलित करना मुश्किल हो जाता है।

    इन चुनौतियों का समाज और लोकतंत्र पर प्रभाव:

    • समाज:
      • फेक और भ्रामक खबरें विभिन्न समूहों या समुदायों के बीच विभाजन, संघर्ष और हिंसा पैदा करके समाज की सामाजिक एकजुटता, सद्भाव और विविधता को नष्ट कर सकती हैं।
      • इससे उपयोगकर्ताओं की आलोचनात्मक सोच प्रभावित होने से सामाजिक भलाई, शिक्षा और विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
    • लोकतंत्र:
      • फेक और भ्रामक खबरें नागरिकों की स्वतंत्र और निष्पक्ष अभिव्यक्ति को प्रभावित कर एवं भागीदारी तथा प्रतिनिधित्व में हस्तक्षेप करके लोकतांत्रिक मूल्यों, सिद्धांतों और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर सकती हैं।
      • इससे लोकतांत्रिक शासन, जवाबदेहिता और पारदर्शिता पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।

    इस संदर्भ में उपयोगकर्ताओं और प्लेटफॉर्म प्रदाताओं की ज़िम्मेदारियाँ:

    • उपयोगकर्ता:
      • फेक और भ्रामक खबरों के प्रचलन से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ताओं की अधिक नैतिक जिम्मेदारियाँ हो जाती हैं जैसे कि वे जिस जानकारी का उपयोग या साझा करते हैं, उसकी सटीकता और विश्वसनीयता की पुष्टि करना, जिस जानकारी पर उन्हें गलत या भ्रामक होने का संदेह है, उसकी रिपोर्ट करना या चिह्नित करना, जिस जानकारी को वे गलत या भ्रामक मानते हैं, उसे सही करना।
    • प्लेटफॉर्म प्रदाता:
      • फेक और भ्रामक खबरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्लेटफॉर्म प्रदाताओं पर अधिक नैतिक जिम्मेदारियाँ डाल सकती हैं जैसे कि फेक या भ्रामक जानकारी का पता लगाना और उसे हटाना, विवादित या असत्यापित जानकारी के संदर्भ में चेतावनी देना, ऐसे अकाउंट को सीमित करना या ब्लॉक करना। फेक और भ्रामक खबरों से निपटने के लिये सरकारों, नियामकों, मीडिया या नागरिक समाज जैसे अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करना।

    उदाहरण:

    • वर्ष 2016 का अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव:
      • कई अध्ययनों में पाया गया है कि वर्ष 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव अभियान के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक और भ्रामक खबरें व्यापक रूप से प्रसारित की गईं, जिसने कुछ मतदाताओं के मतदान व्यवहार और प्राथमिकताओं को प्रभावित किया।
      • उदाहरण के लिये MIT शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में पाया गया है कि ट्विटर पर सच्ची खबरों की तुलना में झूठी खबरों को रीट्वीट किये जाने की संभावना 70% से अधिक देखने को मिली।
    • कोविड-19 महामारी:
      • कोविड-19 महामारी के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक और भ्रामक खबरें काफी प्रसारित की गईं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई।
      • उदाहरण के लिये शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में पाया गया कि जो उपयोगकर्ता आदतन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जानकारी साझा करते हैं, उनमें उन उपयोगकर्ताओं की तुलना में कोविड-19 के बारे में गलत सूचना फैलाने की अधिक संभावना दिखी जो कम बार जानकारी साझा करते हैं।

    निष्कर्ष:

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक और भ्रामक खबरों के प्रसार से जटिल नैतिक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। इससे विश्वसनीयता में कमी आने के साथ जनता की राय में विकृति आती है और लोकतंत्र पर प्रश्नचिन्ह लगता है। उपयोगकर्ताओं को इस संदर्भ में आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करना चाहिये, जबकि प्लेटफॉर्म प्रदाताओं का कर्तव्य है कि वे फेक और भ्रामक खबरों के प्रसार पर रोक लगाए। इन चुनौतियों का समाधान करके समाज अधिक तार्किक, लोकतांत्रिक और नैतिक रूप से व्यवहार करने हेतु सक्षम हो सकता है।

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