इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    1930 के दशक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण काल माना गया है। इस दशक में उभरी हुई नई प्रवृत्तियों को बताते हुए उनके महत्त्व की चर्चा करें।

    03 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • 1930 के दशक के काल का संक्षिप्त परिचय दें।
    • इस काल में उभरने वाली प्रमुख प्रवृत्तियों को बताएँ।
    • यह बताएँ कि उन प्रवृत्तियों ने किस प्रकार स्वतंत्रता संघर्ष को प्रभावित किया।
    • निष्कर्ष

    1930 के बाद का समय भारतीय स्वतंत्रता की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण काल था। इस दौरान स्वतंत्रता आंदोलन में कई संदर्भों में परिवर्तन देखने को मिले जिसने आज़ादी की लड़ाई को एक नई दिशा प्रदान की। इसे निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:

    • इस काल में राजनेताओं ने राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया। कॅान्ग्रेस ने भी अपनी रणनीति में परिवर्तन किया और राजनीतिक भिक्षावृत्ति को त्याग कर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये शांतिपूर्ण एवं वैध साधनों को इस्तेमाल करने की कोशिश की। इसके लिये धरना, सामूहिक हड़ताल, विरोध प्रदर्शन आदि के माध्यम से साइमन कमीशन, पब्लिक सेफ्टी बिल आदि का मुखर विरोध किया।
    • इस दशक में सबसे प्रमुख प्रवृत्ति भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में व्यापक जन भागीदारी के रूप में देखने को मिली। इसका प्रमुख कारण महात्मा गांधी की सक्रिय भागीदारी थी। पूर्व के असहयोग और खिलाफत आंदोलन ने इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साथ ही स्वतंत्रता संग्राम जो  पहले पंजाब, बंबई और बंगाल तक सीमित था, अब इसका विस्तार लगभग संपूर्ण देश में हो गया।
    • इस समय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी आंदोलन की एक नई प्रवृत्ति उभरी। असहयोग आंदोलन की अचानक वापसी और राष्ट्रवादी रणनीति के विकल्प की तलाश में ऐसे उभार हुए फलस्वरूप काकोरी षड्यंत्र और लाहौर षड्यंत्र जैसी घटनाएँ इसी के परिणाम थे।

    महत्त्व:
    उपर्युक्त प्रवृत्तियों ने सवतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की। हिंदू-मुस्लिम एकता, किसानों और श्रमिक वर्ग की आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय भागीदारी, नेहरु रिपोर्ट जैसी राजनीतिक जागरुकता और समाजवादी विचारधारा का उदय आदि कई ऐसे सकारात्मक पक्ष सामने आए। इसके अतिरिक्त दिल्ली प्रस्ताव, राजनीति में पृथक प्रतिनिधित्व की मांग और पाकिस्तान की मांग आदि ऐसे कई नकारात्मक पक्ष भी देखने को मिले।

    निष्कर्षतः इस काल की प्रवृत्तियों ने जिस निष्क्रिय प्रतिरोध को जन्म दिया, वही आगे चलकर स्वतंत्रता संघर्ष का आधार बना।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2