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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा जैसी परियोजनाओं के क्या लाभ हैं? इससे संबंधित चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ इनके समाधान के उपाय सुझाइए। (250 शब्द)

    12 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • अपतटीय पवन ऊर्जा को संक्षेप बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा के लाभों पर चर्चा कीजिये।
    • भारत में पवन ऊर्जा से उत्पन्न विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • इन चुनौतियों को हल करने के उपायों का सुझाव देकर निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    • अपतटीय पवन ऊर्जा उच्च समुद्रों पर उत्पादित पवन के बल का उपयोग कर प्राप्त की जाने वाली स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा है, जहाँ यह बाधाओं की अनुपस्थिति के कारण भूमि की तुलना में उच्च और अधिक निरंतर गति तक पहुँचती है। इस संसाधन का अधिकतम लाभ उठाने के लिये, मेगा-संरचनाएँ स्थापित की जाती हैं जो समुद्र तल से लगी होती हैं तथा नवीनतम तकनीकी नवाचारों से लैस होते हैं।

    मुख्य भाग

    • वर्ष 2010 और 2020 के बीच पवन उत्पादन की कुल वार्षिक वृद्धि दर 11.39% रही है, जबकि स्थापित क्षमता के मामले में यह दर 8.78% रही है।
    • इसके अलावा, केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने वर्ष 2022 तक 5 गीगावॉट और 2030 तक 30 गीगावॉट ऑफशोर क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
    • अपतटीय पवन ऊर्जा के लाभ:
      • तटवर्ती ऊर्जा की तुलना में कुशल: यह सिद्ध हो चुका है कि अपतटीय पवन टर्बाइन तटवर्ती पवन टर्बाइनों की तुलना में अधिक कुशल हैं। जल निकायों पर हवा की गति अधिक है और दिशा में सुसंगत है। नतीजतन, अपतटीय पवन फार्म प्रति स्थापित क्षमता से अधिक बिजली उत्पन्न करते हैं।
        • तटवर्ती टर्बाइनों की तुलना में ऊर्जा की समान क्षमता का उत्पादन करने के लिये कम अपतटीय टर्बाइनों की आवश्यकता होती है।
        • चूँकि अपतटीय पवन दिन के दौरान मज़बूत होती है, यह उपभोक्ता की मांग उच्चतम होने पर अधिक सुसंगत और कुशल बिजली उत्पादन सुनिश्चित करती है। इसके विपरीत भूमि पर पवन ऊर्जा रात में बेहतर प्रदर्शन करती है जब बिजली की खपत कम होती है।
    • उच्च उत्पादकता: पवन की उपलब्धता के अलावा, जनरेटर का आकार और टरबाइन का बहाव क्षेत्र इसकी उत्पादकता निर्धारित करेगा, अतः क्षेत्र जितना अधिक होगा, उत्पादकता उतनी ही अधिक होगी।
      • अधिक परिचालन समय: अपतटीय पवन फार्म में तटवर्ती पवन फार्म की तुलना में अधिक उपयोग क्षमता (CUF) होती है। इसलिये अपतटीय पवन ऊर्जा लंबे समय तक संचालन की अनुमति देती है। 
      • बड़े क्षेत्र को कवर करना: बड़ी और ऊँची अपतटीय पवन चक्कियों का निर्माण संभव है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि होती है। इसके अलावा, पवन का प्रवाह पहाड़ियों या इमारतों द्वारा प्रतिबंधित नहीं है।
    • भारत में अपतटीय ऊर्जा से संबंधित चुनौतियाँ:
      • अपतटीय पवन परिसंपत्तियाँ भी चुनौतियों का एक सेट पेश करती हैं जिन्होंने उन्हें भारत को आगे बड़ने से रोक दिया है। तकनीकी, नियामक और परिचालन चुनौतियों को समझना महत्त्वपूर्ण है। इनमें शामिल हैं:
        • अत्यधिक स्थापना लागत: भारत में स्थानीय सबस्ट्रक्चर निर्माताओं, इनस्टॉलेशन जहाज़ों और प्रशिक्षित श्रमिकों की कमी है। अपतटीय पवन टर्बाइनों को तटवर्ती पवन फार्मों की तुलना में मज़बूत संरचनाओं की आवश्यकता होती है। यह उच्च स्थापना लागत का कारण बन सकता है।
          • नतीजतन, भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा शुल्क तटवर्ती पवन ऊर्जा से अधिक होने की उम्मीद है।
        • प्रशिक्षित कर्मियों की कमी: टरबाइन, टरबाइन नींव निर्माण, पनडुब्बी विद्युत और संचार केबलों के रखरखाव, दोषों और मरम्मत के लिये मौलिक तकनीकी क्षमताओं, शिक्षा और विशेषज्ञता के साथ प्रशिक्षित कर्मियों की कमी।
        • पवन में उतार-चढ़ाव: पवन के वितरण में बदलाव ग्रिड में पवन ऊर्जा के इनपुट और भार की दैनिक मांग के बीच संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
        • गंभीर जलवायु स्थिति: कोई भी घटना बुनियादी ढाँचे को नष्ट कर सकती है और पहुँच को और अधिक जटिल बना सकती है। तूफान या तूफान की लहरें उस संबंध में अपतटीय खेतों तथा पवन टरबाइन के जीवनकाल को प्रभावित कर सकती हैं।

    आगे की राह

    • कम कर: भारत में जीएसटी कानून, बिजली और इसकी बिक्री को जीएसटी से छूट देता है। इसके विपरीत पवन ऊर्जा उत्पादन कंपनियाँ परियोजना की स्थापना के लिये वस्तुओं और/या सेवाओं की खरीद हेतु जीएसटी का भुगतान करते समय इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) का दावा नहीं कर सकती हैं।
      • अधिकांश पवन फार्म घटकों को आयात करने की आवश्यकता है। उनके अधिग्रहण के लिये भुगतान किये गए करों के कारण टर्बाइन, ट्रांसफार्मर, इनवर्टर और निकासी के बुनियादी ढाँचे महंगे हैं। यदि उत्पाद शुल्क और जीएसटी को माफ किया जाए, तो प्रारंभिक परियोजना विकास अधिक किफायती हो सकती है।
    • अनुसंधान और विकास में वृद्धि: सरकार को भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा में सुधार के लिये अपनी अनुसंधान सुविधाओं को बढ़ाने और विभिन्न कार्यक्रमों को सृजित करने की आवश्यकता है।
    • निजी क्षेत्र की भूमिका में वृद्धि: सरकार को इस उद्योग को निजी क्षेत्र के लिये खोलने की आवश्यकता है, जैसा कि हमने हाल के समय में देखा है कि विभिन्न स्टार्ट-अप ने अपनी क्षमता दिखाई है, अतः निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी से नवाचार शुरू होगा और भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा की कीमत कम होगी।

    संपूर्ण समुद्र तट में विशाल क्षमता के कारण, भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा जलवायु प्रतिबद्धता और ऊर्जा सुरक्षा को साकार करने के लिये वांछित परिणाम प्रदान कर सकती है, जिसके लिये देश संपन्न है।

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