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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत के प्रमुख शहरों में आईटी उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं? (250 शब्द)

    24 Jan, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • कुछ तथ्यों या उदाहरणों के साथ भारत में आईटी उद्योगों के विकास का परिचय दीजिये, उन प्रमुख शहरों का वर्णन कीजिये जहाँ यह उद्योग तेज़ी से विकसित हुआ है।
    • इस उद्योग के विकास से उत्पन्न होने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभावों (सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों) पर चर्चा कीजिये।
    • उन निहितार्थों से उत्पन्न मुद्दों को संबोधित करने के लिये आगे की राह सुझाइये।

    परिचय

    सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक सामान्य प्रयोजन प्रौद्योगिकी का उदाहरण है जिसमें आर्थिक विकास के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक विकास के अन्य आयामों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है। वर्ष 2020 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में आईटी उद्योग की लगभग 8% हिस्सेदारी थी।

    आईटी उद्योग के विकास के सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ

    सकारात्मक:

    • संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों में से प्रत्येक में आईटी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, उन्हें प्राप्त करने के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा प्रदान करता है।
    • यह एम-कॉमर्स के माध्यम से वित्तीय समावेशन को भी सक्षम बनाता है और लोगों को तुरंत लाखों लोगों से जुड़ने की अनुमति देता है
    • यह लोगों को तुरंत ज्ञान और सलाह साझा करने तथा कम लागत पर एक ऑनलाइन दुकान या वेबसाइट स्थापित करने का अधिकार देता है, जिससे व्यवसाय शुरू करने में आने वाली बाधाओं को नाटकीय रूप से कम किया जा सकता है।
    • आईटी ग्रामीण विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अब आईटी के माध्यम से दूर-दराज के लोगों के लिये सेवाएँ उपलब्ध हैं।
    • चूँकि प्रमुख शहरों में गुणवत्तापूर्ण नौकरियों में महिलाओं की श्रम शक्ति की भागीदारी तुलनात्मक रूप से अधिक है, आईटी उद्योगों के विकास के कारण वित्तीय स्वतंत्रता के साथ उनका सशक्तीकरण हुआ है।
    • आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर हमें लाखों लोगों के साथ तुरंत जुड़ने की अनुमति देता है। इसका मतलब है कि उद्यमियों की पहल समाज के केवल एक समुदाय तक सीमित नहीं है; वे आसानी से उन लोगों तक पहुँच सकते हैं जिन्हें वे सशक्त बनाना चाहते हैं और अपने संदेश को दूर-दूर तक प्रसार करना चाहते हैं।

    नकारात्मक प्रभाव:

    • असमान विकास और आर्थिक असमानता: बड़े आईटी हब वाले प्रमुख शहर अर्ध शहरी और टियर I, II शहरों की तुलना में तेजी से विकसित हो रहे हैं। इसके अलावा, आईटी कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों के बीच वेतन का बहुत बड़ा अंतर है।
    • डिजिटल डिवाइड को बढ़ाना: ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे की कमी आवश्यक सेवाओं तक पहुँच में बाधा डालती है, जिससे उनका सामाजिक-आर्थिक विकास प्रभावित होता है।
    • प्रवासन और सांस्कृतिक परिवर्तन में वृद्धि: युवा अपने माता-पिता को अकेला छोड़कर और सामाजिक एवं भावनात्मक समर्थन के लिये ज़रूरतमंदों को छोड़कर, ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे शहरों से प्रमुख आईटी शहरों की ओर पलायन करते हैं।
      • इससे संयुक्त परिवार संस्कृति का विघटन हो रहा है और भारत में तेज़ी से एकल परिवार संस्कृति उभर रही है।

    आगे की राह

    • भारत का प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग वर्ष 2025 तक वार्षिक राजस्व में 300-350 बिलियन अमेंरीकी डॉलर प्रदान कर सकता है यदि यह क्लाउड, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), साइबर सुरक्षा और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में तेज़ी से उभरती व्यावसायिक क्षमता का फायदा उठा पाता है। इसलिये हमें ऐसी तकनीकों में निवेश करने की ज़रूरत है।
    • यह निवेश समान रूप से वितरित किया जाना चाहिये और कुछ स्थानों पर केंद्रित नहीं होना चाहिये। उदाहरण के लिये आईटी-बीपीओ उद्योग उत्तर पूर्व के शहरों और टियर 1 एवं 2 शहरों में स्थापित किये जा सकते हैं।
    • हम एक ज्ञान अर्थव्यवस्था तभी बन सकते हैं जब विकास सम और समावेशी हों।

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