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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाइब्रिड वारफेयर एक बहु-आयामी युद्ध पद्धति है अतः इसे निष्फल करने के लिये अपनाई जाने वाली प्रतिक्रिया समग्रात्मक प्रकृति की होनी चाहिये। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    06 Jan, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • हाइब्रिड वारफेयर को संक्षेप में समझाइये।
    • हाइब्रिड वारफेयर के निहितार्थ पर प्रकाश डालिये।
    • हाइब्रिड वारफेयर के मुकाबले के लिये उपायों की चर्चा कीजिये ।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये ।

    परिचय 

    हाइब्रिड वारफेयर एक बहु-क्षेत्रीय युद्धक दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में गैर-परंपरागत युद्ध तरीकों के उपयोग को संदर्भित करता है। हाइब्रिड वारफेयर में पारंपरिक सैन्य रणनीति के अलावा गैर-सैन्य उपकरणों का उपयोग कर प्रभुत्व स्थापित कर या नुकसान पहुँचाकर या प्रभावित करने का कार्य किया जाता है।

    इन उपकरणों में सूचनाओं का गलत प्रसार,  प्रबंधन और प्रचार शामिल हो सकते हैं। इन विधियों का उद्देश्य प्रत्यक्ष तौर पर शत्रुता में संलग्न हुए बिना प्रतिद्वंद्वी के कार्यों को बाधित कर उसे अक्षम करना है।

    प्रारूप 

    हाइब्रिड वारफेयर की विशेषताएँ

    • बहु-क्षेत्रीय: हाइब्रिड वारफेयर विघटन, आर्थिक हेरा-फेरी, अप्रत्यक्ष रूप से विद्रोह, राजनयिक दबाव और सैन्य कार्यों सहित विभिन्न गतिविधियों का एक संयोजन है।
    • न्यूनतम प्रयास अधिकतम नुकसान: इसमें उन क्षेत्रों को लक्षित किया जाता है जो अत्यधिक असुरक्षित होते हैं और जहांँ न्यूनतम प्रयास से अधिकतम नुकसान संभव है।
    • गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं को नियुक्त करना: इसमें आमतौर पर गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं को शामिल किया जाता है जो राज्यों द्वारा समर्थित विध्वंसक भूमिकाओं में लिप्त होते हैं तथा उनकी गतिविधियों का पता चलने पर राज्य स्वयं को उनसे अलग कर सकता है।

    हाइब्रिड वारफेयर के अनुप्रयोग/उदाहरण:

    • इज़राइल-लेबनान युद्ध (वर्ष 2006): इस युद्ध में हिज़बुल्लाह समूह द्वारा हाइब्रिड युद्ध की पद्धति का प्रयोग किया गया। इसने इज़राइल द्वारा छापामार युद्ध, प्रौद्योगिकी के अभिनव प्रयोग और प्रभावी सूचना अभियान जैसे विभिन्न रणनीतियों हेतु एक मेज़बान को नियुक्त किया।
    • रूस द्वारा (वर्ष 2014): रूस द्वारा क्रीमिया के उकसाने पर यूक्रेन के खिलाफ हाइब्रिड वारफेयर तकनीकी प्रयोग किया गया । इसमें गलत सूचना, आर्थिक हेरफेर, छद्म युद्ध और विद्रोह, कूटनीतिक दबाव आदि गतिविधियों का संयोजन शामिल था।
    • चीन द्वारा: चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा प्रकाशित गैर-प्रतिबंधित वारफेयर ने हाइब्रिड युद्ध और सैन्य से लेकर राजनीतिक, आर्थिक और तकनीकी रूप से हिंसा के क्षेत्र में बदलाव की आवश्यकता पर बात की।

    हाल ही में यह बात सामने आई है कि चीनी कंपनी झेनहुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड (Zhenhua Data Information Technology Co. Limited) अपने  विदेशी लक्ष्यों के वैश्विक डेटाबेस में 10,000 से अधिक भारतीय व्यक्तियों और संगठनों की निगरानी कर रही है।

    हाइब्रिड वारफेयर से उत्पन्न चुनौतियाँ: 

    • साइबर हमले: इसमें महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांँचे जैसे- बिजली ग्रिड, पानी की आपूर्ति, व्यापार प्रणाली और रक्षा प्रणाली पर हमले शामिल हो सकते हैं। इनका उपयोग आर्थिक गतिविधियों को बाधित करने, संस्थानों को कमज़ोर करने, राजनीतिक नेतृत्व और बुद्धिजीवियों की छवि खराब करने के लिये किया जा सकता है।
    • आतंकवाद की बढ़ती प्रकृति: हाइब्रिड वारफेयर के विचार से आतंकवादी हमलों के नए रूपों जैसे- लोन वुल्फ अटैक तथा ‘स्लीपर सेल्स’को बढ़ावा मिलता है। इन हमलों का पता लगाना बेहद ही मुश्किल है। 
      • सलाहकार भी अतिवादी विचारधारा पर ही कार्य करते हैं जो दीर्घकाल में सांप्रदायिकता, नक्सलवाद और अलगाववाद जैसे मुद्दों को जन्म देता है। 
    • निर्विवाद लोकतंत्र: विदेशी सरकारें डेटा में हेर-फेर कर सूचनाओं का गलत प्रचार कर लोकतांत्रिक प्रणालियों को प्रभावित कर सकती हैं जैसे- सोशल मीडिया, वेबसाइटों, विज्ञापनों आदि के माध्यम से चुनाव प्रचार को प्रभावित करना।
      • एक राजनीतिक समूह द्वारा चुनाव प्रचार में वित्तीय संसाधनों के दोहन को कम करने के उद्देश्य से मीडिया और सामाजिक नेटवर्क तकनीकों का उपयोग किये जाने से अप्रत्यक्ष रूप से उसके पक्ष में चुनाव परिणाम प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकता है तथा चुनाव परिणाम विरोधी दल के पक्ष में हो सकता  है।
    • गलत सूचना और फेक न्यूज़: एक विरोधी धारणा समानांतर वास्तविकता की स्थिति उत्पन्न कर सकती है और सामाजिक विखंडन को बढ़ावा देने हेतु झूठ का उपयोग कर सकती है। जनता को भ्रमित कर सकता है, अत: ऐसी स्थिति में सरकार के लिये किसी दी गई नीति या उसके संचालन हेतु सार्वजनिक स्वीकृति प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।

    हाइब्रिड युद्ध हेतु समग्र प्रतिक्रियाएंँ

    • बहुराष्ट्रीय ढांँचे को अपनाना: हाइब्रिड वारफेयर से उत्पन्न खतरा एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा है, इसलिये राष्ट्रीय सरकारों को अपने सामूहिक हितों को सुरक्षित करने के लिये हाइब्रिड वारफेयर को समझने, उसका पता लगाने और इस पर प्रतिक्रिया देने हेतु एक सुसंगत दृष्टिकोण प्रदर्शित करना चाहिये।सीमा पार सहयोग प्राप्त करने के लिये बहुराष्ट्रीय ढांँचा विकसित किया जाना चाहिये।
    • संस्थागत उपाय: संभावित हाइब्रिड वारफेयर की जांँच करना और संभावित धमकियों की पहचान करना, सभी क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण कार्यों और कमज़ोरियों का आत्म-मूल्यांकन करना और नियमित रखरखाव सुनिश्चित करना। उदाहरण के लिये  देश में महत्त्वपूर्ण फिनटेक सिस्टम को नियमित रूप से अपग्रेड करना।
    • सशस्त्र बलों का प्रशिक्षण: हाइब्रिड वारफेयर में नागरिक आबादी की रक्षा करने और दुश्मन को निष्क्रिय करने में सशस्त्र बलों की दोहरी भूमिका होती है। अत: निम्नलिखित उपायों को अपनाकर  सशस्त्र बलों  को उन्नत करना होगा:
      • शहरी क्षेत्रों में युद्ध तनाव की स्थिति से निपटने हेतु विशेष युद्ध तकनीकों का प्रशिक्षण।
      • स्मार्ट रोबोट, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) जैसे तकनीकी उपकरणों के उपयोग हेतु प्रशिक्षण।
      • सटीक ऑपरेशन गतिविधियों हेतु रियल टाइम सिचुएशन अवेयरनेस (RTSA) जैसे इंटेलिजेंस टूल्स को तैनात करना।
    • लोकतांत्रिक संस्थानों को मज़बूत बनाना: इससे सरकार को विभिन्न प्रकार के हाइब्रिड वारफेयर जैसे कि विघटन और कट्टरपंथ निष्क्रिय करने में मदद मिलती है। थिंक टैंक जैसे सिविल सोसाइटी संस्थानों को शामिल करना ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिये सरकार की क्षमताओं को बढ़ाता है।
    • पत्रकारिता में निवेश करना: मीडिया द्वारा अक्सर ‘हाइब्रिड खतरों’ शब्द का गलत उपयोग किया जाता है। अत: मीडिया साक्षरता बढ़ाकर पत्रकारिता में निवेश अप्रत्यक्ष रूप से नागरिकों को बेहतर तरीके से ‘खतरे’ के प्रति सही समझ विकसित करने में सहायक होगा।

    निष्कर्ष 

    इस प्रकार वैश्विक स्तर पर सरकारों को स्व-मूल्यांकन और खतरे के विश्लेषण हेतु राष्ट्रीय दृष्टिकोण को विकसित करने के लिये एक प्रक्रिया स्थापित करनी चाहिये। खतरे और भेद्यता की जानकारी के संबंध में प्रक्रिया को संस्थागत रूप देने से हाइब्रिड युद्ध की पूर्व चेतावनी प्रदान करना संभव हो पाएगा, युद्ध रोकने हेतु सहायता प्रयासों में मदद मिलेगी जिससे हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है।

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