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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में लैटेराइट मिट्टी के वितरण और कृषि के लिये इसके विशिष्ट उपयोग पर प्रकाश डालिये।

    02 Sep, 2020 रिवीज़न टेस्ट्स भूगोल

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद:

    • भारत में लैटेराइट मिट्टी के वितरण
    • लैटेराइट मिट्टी, कृषि के लिये किस प्रकार उपयोगी है।  

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संक्षिप्त भूमिका लिखें।
      • लैटेराइट मिट्टी के बारे में बताइए।
      • भारत में लैटेराइट मिट्टी के वितरण को को स्पष्ट कीजिये।
    • लैटेराइट मिट्टी, कृषि के लिये किस प्रकार उपयोगी है, का उल्लेख कीजिये।
      • शब्द सीमा कम करने के लिये चित्र/माइंड मैप के साथ दर्शाइये।  
    • निष्कर्ष।

    India

    लैटेराइट मृदा का विकास उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेशों तथा मानसूनी प्रदेशों में होता है अर्थात् जिन क्षेत्रों में उच्च तापमान तथा भारी वर्षा होती है। अधिक तापमान के कारण लैटेराइज़ेशन की प्रक्रिया द्वारा सिलिका युक्त तत्त्वों एवं कार्बनिक पदार्थों का विघटन होता है। सिलिका, अधिक वर्षा के कारण बहकर तथा क्षारीय तत्व ह्यूमस के साथ घुलकर नीचे की परतों में चले जाते हैं अतः ऊपरी परत में एल्यूमीनियम व आयरन के ऑक्साइड होने के कारण यह मृदा ईंट जैसी लाल रंग की होती है।

    दक्षिण भारत, मध्य प्रदेश और बिहार के पठारों के उच्च स्थलों पर लैटेराइट मृदा के निक्षेप पाए जाते हैं। भारत में लैटेराइट मृदा मुख्यतः तमिलनाडु के पहाड़ी भागों (त्रिचनापल्ली ज़िले में) और निचले क्षेत्रों, कर्नाटक के कुर्ग ज़िले, केरल राज्य के चौड़े समुद्र तट, महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले, पश्चिमी बंगाल के लैटराइट व ग्रेनाइट पहाड़ियों के बीच तथा उड़ीसा के पठार, राजमहल पहाड़ी क्षेत्रों, छोटा नागपुर पठार, असम के पहाड़ी क्षेत्रों तथा मेघालय के पठारों में पाई जाती है। यह मृदा रबड़ और काॅफी के लिये सबसे अच्छी मानी जाती है। इस मिट्टी में मुख्यतः चाय, कहवा, रबड़, सिनकोना, काजू, मोटे अनाज व मसालों की कृषि की जाती है। भारत में इन कृषि फसलों के उत्पादन के महत्त्व को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:

    • चाय: भारत में चीन के बाद सबसे अधिक चाय का उत्पादन किया जाता है। चाय एक प्रकार की बागानी फसल है जिसकी कृषि हेतु उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु, 24°C-30°C तापमान व 150-250 CM वर्षा की आवश्यकता होती है अर्थात् लैटेराइट मृदा प्रधान क्षेत्र इसकी कृषि हेतु महत्त्वपूर्ण होते हैं। भारत में असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु में नीलगिरी पहाड़ियाें तथा केरल में चाय की कृषि की जाती है।
    • रबड़: रबड़ विश्व की प्रमुख व्यावसायिक फसलों मे से एक है। इसका प्रयोग मोटर ट्यूब, टॉयर, वॉटर प्रूफ कपड़े, जूते एवं विभिन्न प्रकार के दैनिक उपयोग में होता है। भारत का रबड़ उत्पादन में विश्व में चौथा स्थान है। भारत में मुख्य रूप से यहाँ की मृदा (लैटेराइट) व जलवायुवीय विशेषताओं के कारण यह विशेषकर कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु क्षेत्रों में उत्पादित की जाती है।
    • मसाले: मसाले, उष्णकटिबंधीय जलवायु प्रदेशों में की जाने वाली प्रमुख बागानी फसल है। भारत, मसाला उत्पादन करने वाले अग्रणी देशों में शामिल है। भारत में विभिन्न प्रकार के मसाले जैसे- काली मिर्च, दाल चीनी, लौंग, इलायची, अदरक, हल्दी आदि का उत्पादन किया जाता है। इन फसलों के लिये गहरी व अच्छी किस्म की लैटैराइट व दोमट मृदा की आवश्यकता होती है। भारत में कर्नाटक, केरल, आंध्रप्रदेश व तमिलनाडु राज्य में इसकी कृषि की जाती है। आंध्र प्रदेश मसाला उत्पादन में अग्रणी राज्य है।

    इस प्रकार भारत में लैटेराइट मृदा, उपर्युक्त व्यावसायिक एवं वाणिज्यिक फसलों के उत्पादन दृष्टि से यह अत्यंत उपयोगी है। इन फसलों के उत्पादन से न केवल नियार्त को प्रोत्साहन मिला है बल्कि यह संबंधित क्षेत्र के आर्थिक-सामाजिक विकास हेतु अत्यधिक महत्त्वपूर्ण व उपयोगी है।

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