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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा ‘स्वतंत्र निदेशकों का डेटा बैंक’ नाम से एक पोर्टल जारी किया गया। स्वतंत्र निदेशकों का डेटा बैंक से क्या आशय है? ‘स्वतंत्र निदेशकों का डेटा बैंक’ की कार्यप्रणाली से संबद्ध चुनौतियों पर प्रकाश डालें।

    22 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका।

    • स्वतंत्र निदेशकों का डेटा बैंक से आशय।

    • स्वतंत्र निदेशकों के बारे में।

    • IDs की कार्यप्रणाली से संबद्ध चुनौतियाँ।

    • निष्कर्ष।

    हाल ही में, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) ने कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार ‘स्वतंत्र निदेशकों के डेटा बैंक’ नामक पोर्टल का शुभारंभ किया है।

    स्वतंत्र निदेशकों का डेटा बैंक से आशय:

    • इसका उद्देश्य वर्तमान स्वतंत्र निदेशकों (Independent Directors: IDs) तथा स्वतंत्र निदेशक बनने की इच्छा रखने वाले व्यक्तियों को पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिये आसान पहुँच और मंच प्रदान करना है।
    • इस डेटा बैंक के माध्यम से वे कंपनियाँ भी पंजीकृत हो सकती हैं, जो उचित कौशल प्राप्त व्यक्तियों को खोजने एवं उनका चयन करने के साथ-साथ और उनसे जुड़ना चाहती हैं, ताकि उन व्यक्तियों को स्वतंत्र निदेशकों के रूप में नियुक्त किया जा सके।
    • इसके अतिरिक्त IDs को अब एक सामान्य ऑनलाइन प्रोफिशन्सी सेल्फ-असेसमेंट टेस्ट उत्तीर्ण करने की आवश्यकता होगी।
    • MCA के अंतर्गत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स द्वारा इस डेटाबेस पोर्टल का रख-रखाव किया जाएगा।
    • एक एकीकृत ‘‘लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम’’ द्वारा संचालित इस डेटाबैंक पोर्टल द्वारा कंपनी अधिनियम, प्रतिभूति कानून, बेसिक एकाउंटेंसी, बोर्ड की कार्यप्रणाली, बोर्ड के नीतिशास्त्र तथा बोर्ड की प्रभावशीलता सहित विविध विषयों के संबंध में विविध प्रकार के ई-लर्निंग पाठयक्रम प्रदान किये जाएंगे।
    • इस पोर्टल के माध्यम से IDs की क्षमता में वृद्धि करने हेतु कई अन्य वैल्यू-एडेड सर्विसेज़ भी किये जायेंगे।

    स्वतंत्र निदेशकों के बारे में-

    • एक स्वतंत्र निदेशक वस्तुत: निदेशक मंडल में शामिल ऐसा निदेशक होता है जो अल्पसंख्यक हितधारकों और उन व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है जिनका बैठक शुल्क के भुगतान के अतिरिक्त कंपनी के साथ कोई अन्य वित्तीय संबंध नहीं होता है।
    • कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार, एक स्वतंत्र निदेशक प्रबंध निदेशक या पूर्णकालीन निदेशक या नामित निदेशक के अतिरिक्त अन्य निदेशक होता है।
    • कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची IV में स्वतंत्र निदेशकों के कर्तव्यों, भूमिकाओं तथा कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया गया है।

    इसमें यह व्यवस्था की गई है कि एक स्वतंत्र निदेशक-

    • सत्यनिष्ठा तथा ईमानदारी जैसे आचरण संबंधी मानकों को बनाए रखेगा।
    • वह अनैतिक व्यवहार, वास्तविक तथा संदेहास्पद धोखाधड़ी या कंपनी की आचार संहिता या नैतिक नीतियों के उल्लंघन के संबंध में रिपोर्ट देगा।
    • वह यह सुनिश्चित करेगा कि कंपनी के संचालन या प्रस्तावित कार्रवाई से संबंधित मुद्दों का समाधान बोर्ड द्वारा किया जाए।
    • यह सुनिश्चित करेगा कि कंपनी के पास पर्याप्त तथा सक्रिय निगरानी तंत्र उपलब्ध हो तथा इस तंत्र का उपयोग करने वाले व्यक्ति के हितों की सुरक्षा की जाए।
    • वह विशिष्ट रूप से अल्पसंख्यक हितधारकों सहित सभी हितधारकों के हितों की रक्षा करेगा।
    • प्रबंधन तथा हितधारकों के हितों के मध्य टकराव की स्थिति में समग्र रूप से कंपनी के हित में मध्यस्थता करेगा।

    IDs की कार्यप्रणाली से संबद्ध चुनौतियाँ-

    • वैधानिक प्रावधान: कंपनी अधिनियम, 2013 तथा SEBI {लिस्टिंग ऑब्लिगेशन एंड डिस्क्लोज़र रिक्कायरमेंट (LODR)} (संशोधन) विनियमन, 2018 के अनुसार, IDs को उनकी जानकारी या सहयोग या प्रयास के फलस्वरूप होने वाली कोई भी नियुक्ति या चूक या रिक्त संबंधी कारवाई के लिये व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
    • वर्ष 2019 में बोर्ड के पदों से त्यापत्र देने वाले स्वतंत्र निदेशकों की कुल संख्या, विगत दो वर्षों में त्यागपत्र देने वाले स्वतंत्र निदेशकों की कुल संख्या की तुलना में दोगुनी थी।
    • अपेक्षाकृत अधिक बड़ी ज़िम्मेदारी, कॉर्पोरेट प्रबंधन के बढ़ते मामलों, धोखाधड़ी के खतरे, ज़िम्मेदार ठहराए जाने तथा व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का खतरे में पड़ना, भय आदि कारणों से IDs के निर्गमन (त्यागपत्र) में वृद्धि हुई है।
    • डायरेक्टर्स एंड ऑफिसर्स लायब्लिटी इंश्योरेंस हेतु हस्ताक्षर करने में कंपनियों की अनिच्छा के कारण भी IDs चिंतित हैं। कुशल प्रबंधन तथा गलत निर्णयों को लेकर उन पर चलाए जाने वाले मुकदमों में यह IDs का बचाव करता है।
    • जानकारी का आभाव: जानकारी के अभाव के कारण कानूनी उत्तरदायित्व में बहुत वृद्धि हो जाती है।
    • उनके पास जानकारी प्राप्त करने के स्वतंत्र स्रोत नहीं होते। उन्हें कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी और निदेशक मंडल द्वारा नियुक्त तथा कंपनी द्वारा भुगतान किये गए संवैधानिक एवं आंतरिक लेखाकारों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी पर निर्भर रहना पड़ता है।
    • हालाँकि लेखाकारों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारियों एवं IDs द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के मध्य बड़ा अंतराल पाया जाता है।
    • इसलिये, स्वतंत्र निदेशकों के पास न्यासी ज़िम्मेदारी अवश्य होती है किंतु उनके निपटारे के लिये कोई संसाधन या साधन उपलब्ध नहीं होते।
    • स्वतंत्रता की राह में चुनौतियाँ: यह सुनिश्चित करने के लिये निगम की स्वतंत्रता अति आवश्यक होती है कि, निगम अपने दायित्वों को निष्पक्ष रूप से पूरा कर सके तथा प्रबंधन को कंपनी के प्रति उत्तरदायी बनाए रख सके। वास्तव में स्वतंत्रता की कमी इस बात से उत्पन्न होती है कि अधिकांश कंपनियाँ स्वतंत्र निदेशकों की खोज एवं नियुक्ति के लिये ‘‘प्रवर्तकों’’ एवं ‘‘बोर्ड के अन्य सदस्यों’’ के व्यक्तिगत नेटवर्क का उपयोग करती हैं।

    निष्कर्षतः ये चुनौतियाँ हालिया समय में बड़े कॉर्पोरेट घोटालों के रूप में प्रकट हो चुकी हैं, यथा- IL&FS संकट, विविध बैंक घोटाले (ICICI बैंक, PNB आदि), इनफोसिस, टाटा इत्यादि। सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिये कटिबद्ध है। स्वतंत्रता निदेशक डेटाबैंक को प्रारंभ करना इस दिशा में एक सही कदम है। सरकार द्वारा कॉर्पोरेट में अपनी भूमिका को कम से कम करने की पृष्ठभूमि में, IDs की भूमिका अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है। IDs की भूमिका तथा उनके मार्ग में प्रस्तुत चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने की आवश्यकता है।

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