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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    जलवायु परिवर्तन, प्रवाल द्वीपों के अस्तित्व के समक्ष उपस्थित अनेक चुनौतियों में से एक है। चर्चा कीजिये। साथ ही बताएं कि प्रवाल द्वीपों के विनाश को रोकने हेतु क्या उपाय किये जा सकते है?

    11 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    प्रवाल द्वीप का निर्माण प्रवाल पॉलिप्स से होता है। प्रवाल पॉलिप्स छोटे आकार के बिना रीढ़ वाले जीव होते हैं। जब काफी संख्या में ये पॉलिप्स एक साथ इकट्ठे होते हैं तो प्रवाल कॉलोनियों का निर्माण होता है। प्रवाल द्वीप प्रायः कठोर प्रवाल द्वारा निर्मित होते हैं। मालदीव, किरिबाती और लक्षद्वीप प्रवाल द्वीप के उदाहरण हैं।

    प्रवाल द्वीप जैव-विविधता के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन वर्तमान में यह जलवायु परिवर्तन सहित अनेक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं-

    • महासागर में कार्बन डाइऑक्साइड के विलयन से महासागरों की अम्लीयता बढ़ जाती है जिससे प्रवालों की मृत्यु हो जाती है।
    • प्रवाल खनन, अपरदन आदि को रोकने हेतु बनाये गए रोधिका, स्पीडबोट के द्वारा होने वाले गाद निक्षेपण भी प्रवालों के मौत का कारण है।
    • अधिकांश एटॉल बाह्य जाति प्रवेश, परमाणु बम परीक्षण आदि मानवीय गतिविधियों से विरूपित हो गये हैं।
    • द्वीप निर्माण करने वाले प्रवाल 64° F या 18° C से नीचे के तापमान को सहन नहीं कर पाते हैं। कई प्रवाल 23° - 29° C तक और कुछ अल्पावधि के लिये 40°C तक सहन करने सक्षम होते है किन्तु इससे अधिक तापमान प्रवाल द्वीपों के लिये खतरनाक है। वहीं औद्योगिक संकुलों से निकलने वाले जल इनके लिये संकट का कारक है।
    • इसके अतिरिक्त तेल रिसाव, मत्स्यन, पर्यटन आदि द्वारा प्रवाल द्वीप प्रभावित हो रहे हैं।

    प्रवाल द्वीप के विनाश को रोकने हेतु उपायः

    • समुद्र स्तर में वृद्धि को रोकने के लिये विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों से वैश्विक तापन को रोकने हेतु उठाये गए कदमों को अमलीजामा पहनाकर तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक काल से 2°C तक सीमित करना प्रवालों की रक्षा के लिये जरूरी है।
    • मालदीव और किरिबाती जैसे देश समुद्रतल का निष्कर्षण कर एटॉल द्वीपों का दृढ़ीकरण करते है।
    • प्रवाल द्वीपों के पारिस्थितिकी तंत्र की वहन क्षमता के अनुकूल ही पर्यटन व मत्स्यन को बढ़ावा दिया जाए और प्रवालों पर आजीविका के वैकल्पिक साधनों को विकसित किया जाए।
    • प्रवालों द्वीपों के विभिन्न हितधारकों और NGO आदि के संयुक्त प्रबंधन जैसे दृष्टिकोण के माध्यम से भी प्रवालद्वीप की रक्षा की जा सकती है।

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