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23 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
आपदा प्रबंधन
दिवस 33: भारत में मौसम-संबंधी मृत्युकारक घटनाओं में ‘तड़ित झंझा’ एक प्रमुख कारण बन चुकी है। इसके पूर्वानुमान, जन-जागरूकता तथा आपात मोचन तंत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियों की समीक्षा कीजिये। साथ ही, आकाशीय तड़ित से जुड़ी सुभेद्यताओं को कम करने हेतु उपाय भी सुझाइये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- तड़ित झंझा से होने वाली मौतों पर बढ़ती चिंता और चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उत्तर लेखन की शुरुआत कीजिये।
- मौसम पूर्वानुमान की भूमिका, जन जागरूकता में कमी और प्रभावी आपदा मोचन तंत्रों के अभाव पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत में तड़ित झंझा अर्थात् आकाशीय बिजली मौसम संबंधी मौतों का एक महत्त्वपूर्ण कारण बनता जा रहा है। वर्ष 2025 में केवल दो महीनों में 162 मौतें दर्ज की गईं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 184% की वृद्धि दर्शाती है। ये मौतें बेहतर पूर्वानुमान उपायों, जन जागरूकता और प्रतिक्रिया रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती हैं।
मुख्य भाग:
- पूर्वानुमान में चुनौतियाँ:
- आकाशीय बिजली की अप्रत्याशित प्रकृति: तकनीकी प्रगति के बावजूद, आकाशीय बिजली की सहज प्रकृति और वायुमंडलीय अस्थिरता पर निर्भरता के कारण सटीक पूर्वानुमान करना मुश्किल बना हुआ है।
- मौसम संबंधी सीमाएँ: हालाँकि आकाशीय बिजली पूर्व चेतावनी प्रणाली (LEWS) जैसी प्रणालियाँ मौजूद हैं, लेकिन पूर्वानुमानों के लिये समय प्रायः कम होता है, जिससे निवारक कार्रवाई के लिये पर्याप्त समय नहीं मिल पाता।
- पर्यावरणीय कारक: जलवायु परिवर्तन ने मौसम की प्रवृत्तियों को अधिक अस्थिर बना दिया है, जिससे विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में आकाशीय बिजली की घटनाओं की आवृत्ति तीव्र हो गई है, जहाँ अप्रैल 2025 में आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों में 460% की वृद्धि दर्ज की गई।
- जन जागरूकता में चुनौतियाँ:
- तैयारी का अभाव: विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जनता में प्रायः आकाशीय बिजली से सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता (जैसे: पेड़ों के नीचे आश्रय लेने से बचना) का अभाव होता है।
- बिहार जैसे अपर्याप्त जागरूकता वाले क्षेत्रों में कई मौतें होती हैं, जहाँ अप्रैल 2025 में केवल छह दिनों में 98 मौतें दर्ज की गईं।
- अप्रभावी संचार: SACHET जैसी पूर्व चेतावनी प्रणालियों के बावजूद, अलर्ट का समय पर प्रसार और उनका कार्यान्वयन असंगत बना हुआ है।
- लोग प्रायः सिस्टम में विश्वास की कमी या दूरदराज़ के इलाकों में अपर्याप्त संचार बुनियादी अवसंरचना के कारण चेतावनियों को अनदेखा कर देते हैं।
- तैयारी का अभाव: विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जनता में प्रायः आकाशीय बिजली से सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता (जैसे: पेड़ों के नीचे आश्रय लेने से बचना) का अभाव होता है।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया में चुनौतियाँ:
- अपर्याप्त आपातकालीन योजनाएँ: समय पर आपातकालीन प्रतिक्रियाओं से आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली मौतों को टाला जा सकता है, लेकिन स्थानीय आपदा प्रबंधन योजनाओं में खामियाँ हैं।
- कई राज्य मौसम संबंधी चेतावनियों पर कार्रवाई करने में विफल रहे, जहाँ चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर जनहानि हुई।
- संसाधनों की कमी: बिजली गिरने के दौरान त्वरित कार्रवाई करने के लिये पर्याप्त बुनियादी अवसंरचना, प्रशिक्षित कर्मियों एवं प्रतिक्रिया टीमों की कमी समस्या को और बढ़ा देती है।
- अपर्याप्त आपातकालीन योजनाएँ: समय पर आपातकालीन प्रतिक्रियाओं से आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली मौतों को टाला जा सकता है, लेकिन स्थानीय आपदा प्रबंधन योजनाओं में खामियाँ हैं।
- कमज़ोरियों को कम करने के उपाय:
- पूर्व चेतावनी प्रणालियों को सुदृढ़ करना: उपग्रह-आधारित निगरानी और डेटा एनालिसिस जैसी उन्नत तकनीकों के एकीकरण के माध्यम से आकाशीय बिजली पूर्वानुमान मॉडल की सटीकता और पहुँच को बढ़ाया जाना चाहिये।
- भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) और पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ESSO) द्वारा वास्तविक काल में आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी प्रदान करने के लिये दामिनी मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किया गया है।
- जन जागरूकता अभियान: लोगों को गरज के साथ बारिश के दौरान सुरक्षित व्यवहार प्रशिक्षण के लिये विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, आकाशीय बिजली सुरक्षा पर व्यापक जागरूकता अभियान और सामुदायिक प्रशिक्षण आयोजित किया जाना चाहिये।
- स्थानीय आपदा प्रबंधन को सुदृढ़ करना: आकाशीय बिजली गिरने के प्रभाव को कम करने के लिये प्रशिक्षित कर्मियों और पर्याप्त संसाधनों के साथ, चेतावनियों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिये स्थानीय आपदा प्रबंधन कार्यढाँचों में सुधार किया जाना चाहिये।
- बेहतर संचार नेटवर्क: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि SACHET और इसी तरह की प्रणालियाँ ग्रामीण आबादी के लिये व्यापक रूप से सुलभ हों, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि चेतावनी प्रणालियों का प्रभावी ढंग से प्रचार-प्रसार और पालन किया जाए।
- नीतिगत हस्तक्षेप: उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में शमन उपायों के कार्यान्वयन को लागू किया जाना चाहिये, जैसे कि बिजली सुरक्षा पर शमन परियोजना, जिसे बिहार और उत्तर प्रदेश सहित 10 राज्यों में लागू किया जा रहा है।
- पूर्व चेतावनी प्रणालियों को सुदृढ़ करना: उपग्रह-आधारित निगरानी और डेटा एनालिसिस जैसी उन्नत तकनीकों के एकीकरण के माध्यम से आकाशीय बिजली पूर्वानुमान मॉडल की सटीकता और पहुँच को बढ़ाया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
हालाँकि आकाशीय बिजली एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन बेहतर पूर्वानुमान प्रणालियों, जन जागरूकता और प्रतिक्रिया तंत्रों से इसके विनाशकारी प्रभाव को कम किया जा सकता है। आपदा-रोधी बुनियादी अवसंरचना में निवेश करके, पूर्व चेतावनी प्रणालियों को सुदृढ़ करके और सामुदायिक तैयारी को बढ़ावा देकर, भारत आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों को बहुत कम कर सकता है तथा भविष्य में जलवायु संबंधी खतरों के प्रति समुत्थानशीलता विकसित कर सकता है।