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24 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
आंतरिक सुरक्षा
दिवस 34: “इंटरनेट दिमागों को जोड़ता है और खतरों को जन्म देता है।” चर्चा कीजिये कि किस प्रकार डिजिटल प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग कर भारत की आंतरिक सुरक्षा को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- इंटरनेट की दोहरी प्रकृति से शुरुआत कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि भारत में आंतरिक सुरक्षा को अस्थिर करने के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग किस प्रकार किया जा रहा है।
- इन खतरों का मुकाबला करने के लिये कुछ सरकारी पहलों का उल्लेख कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
इंटरनेट सशक्तीकरण और संपर्क का एक साधन होने के साथ-साथ साइबर अपराधों, कट्टरपंथ एवं सूचना युद्ध का एक युद्धक्षेत्र भी बन गया है। 85 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं वाला भारत, बढ़ते खतरों का सामना कर रहा है जहाँ आंतरिक सुरक्षा को बाधित करने के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म का शस्त्रीकरण किया जा रहा है।
मुख्य भाग:
आंतरिक सुरक्षा को अस्थिर करने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म
- आतंकवादी भर्ती और कट्टरपंथ:
- ISIS व अल-कायदा जैसे चरमपंथी समूह भर्ती और प्रचार के लिये सोशल मीडिया, एन्क्रिप्टेड ऐप्स (टेलीग्राम, सिग्नल) तथा डार्क वेब प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं।
- केरल में ISIS के आतंकवादी एजेंट की गिरफ्तारी (वर्ष 2021) ने दर्शाया कि अब आतंकवादी संगठनों को किसी व्यक्ति को प्रभावित करने के लिये शारीरिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। वे केवल इंटरनेट के माध्यम से ही लोगों को दूर-दराज़ के स्थानों पर भी कट्टरपंथ के लिये उकसा सकते हैं।
- फर्ज़ी खबरें और हेट स्पीच:
- वर्ष 2013 के मुज़फ्फरनगर दंगों और वर्ष 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान फर्ज़ी वीडियो ने हिंसा और सांप्रदायिक तनाव भड़काने में भूमिका निभाई।
- नफरत फैलाने के लिये व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है।
- महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना पर साइबर हमले:
- AIIMS रैंसमवेयर अटैक (2022) और लद्दाख में बिजली ग्रिड पर हैकिंग के प्रयास (वर्ष 2020) इस बात को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि भारत के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों (जैसे: स्वास्थ्य सेवाएँ और ऊर्जा अवसंरचना) शत्रुतापूर्ण साइबर हमलों के प्रति अत्यंत सुभेद्य हैं।
- सीमापार दुष्प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध:
- विरोधी देश, विशेषकर पाकिस्तान, भारत विरोधी बयान फैलाने के लिये बॉट्स, ट्रोल्स व डीपफेक का इस्तेमाल करते हैं, विशेषकर कश्मीर और CAA विरोध प्रदर्शनों पर।
- डार्क वेब के माध्यम से अवैध व्यापार:
- हथियारों, मादक पदार्थों और नकली मुद्रा का ऑनलाइन कारोबार होता है, जो प्रायः आतंकवाद के वित्तपोषण एवं संगठित अपराध से जुड़ा होता है।
सरकारी उपाय
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000, जिसमें हानिकारक कंटेंट को रोकने के लिये धारा 69A शामिल है।
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (2013) और घटनाओं पर प्रतिक्रिया के लिये CERT-In।
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और साइबर स्वच्छता केंद्र वास्तविक काल की निगरानी के लिये।
- IT (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियम, 2021 ट्विटर और मेटा जैसे प्लेटफॉर्मों की जवाबदेही को अनिवार्य करते हैं।
- साइबर सुरक्षित भारत जैसे सार्वजनिक अभियान साइबर स्वच्छता को बढ़ावा देते हैं।
निष्कर्ष:
AI-संचालित कंटेंट मॉनिटरिंग को मज़बूत करना, डिजिटल इंडिया अधिनियम जैसे विधिक कार्यढाँचों को लागू करना, प्रति-कथनात्मक अभियानों को बढ़ावा देना और डिजिटल साक्षरता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (जैसे: बुडापेस्ट कन्वेंशन ऑन साइबर क्राइम) को बढ़ाना ऑनलाइन कट्टरपंथ का मुकाबला करने एवं आंतरिक सुरक्षा की रक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगा।