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Mains Marathon

  • 23 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधन

    दिवस 33: आपदा-रोधी बुनियादी अवसंरचना में निवेश एक लागत नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक परिसंपत्ति है। भारत के आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे के लिये गठबंधन (CDRI) और जलवायु परिवर्तन की सुभेद्यताओं के संदर्भ में इस कथन की विवेचना कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी अवसंरचना की आवश्यकता के संदर्भ की व्याख्या कीजिये।
    • CDRI की भूमिका पर प्रकाश डालिये तथा लचीले बुनियादी अवसंरचना में निवेश के आर्थिक और सामाजिक लाभों पर चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आर्थिक और मानवीय नुकसान को कम करने के लिये आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी अवसंरचना (DRI) आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन और लगातार होने वाली चरम मौसमी घटनाओं के प्रति भारत की संवेदनशीलता को देखते हुए, DRI में निवेश केवल एक व्यय नहीं, बल्कि सतत् विकास के लिये एक दीर्घकालिक परिसंपत्ति है।

    मुख्य भाग:

    • जलवायु संबंधी कमजोरियाँ: भारत को बाढ़, चक्रवात एवं भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का बार-बार सामना करना पड़ता है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण और भी गंभीर हो जाती हैं।
      • उदाहरण के लिये वर्ष 2020 में 87 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ, जो भविष्य में होने वाले नुकसान को कम करने के लिये आघातसह बुनियादी अवसंरचना की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
    • CDRI की भूमिका: वर्ष 2019 में शुरू किया गया आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे के लिये गठबंधन (CDRI), जलवायु-प्रतिरोधी बुनियादी अवसंरचना के विकास के लिये वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है।
      • अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर रेज़ीलियेंस प्रोग्राम (UIRP) जैसी पहलों के माध्यम से, CDRI विशेष रूप से तमिलनाडु और गुजरात जैसे सुभेद्य क्षेत्रों में, समुत्थानशील शहरी प्रणालियों के लिये तकनीकी एवं वित्तीय सहायता को बढ़ावा देता है।
    • आर्थिक लाभ: अध्ययनों से पता चलता है कि आपदा मोचन में निवेश किये गए प्रत्येक $1 से $4 की बचत होती है।
      • विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि समुत्थानशील बुनियादी अवसंरचना में निवेश से वैश्विक स्तर पर $4.2 ट्रिलियन की बचत हो सकती है, जिससे यह भारत के लिये भी आर्थिक रूप से व्यवहार्य रणनीति बन जाती है।
    • दूरसंचार क्षेत्र समुत्थानशीलता: CDRI ने हाल ही में दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में समुत्थानशीलता में सुधार की सिफारिश की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बुनियादी अवसंरचना 250 किमी/घंटा तक की वायु की गति वाले चक्रवातों का सामना कर सके।
      • आपदा संचार के लिये महत्त्वपूर्ण दूरसंचार क्षेत्र को आपदाओं के दौरान निर्बाध सेवा के लिये सेल ऑन व्हील्स और बैकअप बिजली आपूर्ति जैसी सुदृढ़ प्रणालियों की आवश्यकता होती है।
    • आपदा जोखिम प्रबंधन कार्यढाँचा: CDRI का आपदा जोखिम और अनुकूलन आकलन कार्यढाँचा महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना क्षेत्रों को सुदृढ़ करने के लिये तकनीकी संवर्द्धन, शासन सुधारों एवं वित्तीय निवेशों को मिलाकर एक बहुआयामी दृष्टिकोण की अनुशंसा करता है।
    • क्षमता निर्माण: अग्नि सुरक्षा पर iGOT पाठ्यक्रम और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के वर्तमान दिशानिर्देश बेहतर तैयारी के लिये स्थानीय अधिकारियों एवं हितधारकों के बीच क्षमता निर्माण पर ज़ोर देते हैं।

    निष्कर्ष:

    जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने हेतु भारत के लिये आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी अवसंरचना में निवेश आवश्यक है। CDRI जैसे कार्यढाँचों और अनुकूलन सिद्धांतों को अपनाकर, भारत दीर्घकालिक संवहनीयता सुनिश्चित कर सकता है, आपदा-संबंधी नुकसानों को कम कर सकता है तथा सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है। यह दृष्टिकोण तैयारी सुनिश्चित करता है, बुनियादी अवसंरचना को एक ऐसी परिसंपत्ति बनाता है जो केवल लागत के बजाय समुत्थानशक्ति बढ़ाती है।

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