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Mains Marathon

  • 08 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 20: "सुशासन केवल नियम-आधारित प्रशासन भर नहीं है, बल्कि यह अधिकार-आधारित सेवाओं की उपलब्धता से भी संबद्ध है।" भारत में नागरिक चार्टरों (Citizens' Charters) के उद्देश्यों तथा सीमाओं के संदर्भ में इस कथन की विवेचना कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • सुशासन को परिभाषित कीजिये और इसकी मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।
    • दिये गए संदर्भ में भारत में नागरिक चार्टर के उद्देश्यों और सीमाओं पर चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    सुशासन (Good governance) एक ऐसा शासन मॉडल है जो पारदर्शिता (transparency), जवाबदेही (accountability), उत्तरदायित्व (responsiveness) और नागरिक भागीदारी (citizen participation) पर ज़ोर देता है। इसमें न केवल प्रशासनिक नियमों का पालन आवश्यक है, बल्कि नागरिकों को समय पर और गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाएँ प्राप्त करने के अधिकार की गारंटी भी मिलती है। इसी संदर्भ में, प्रशासनिक सुधारों के एक भाग के रूप में भारत में 1997 में लागू किये गए नागरिक चार्टर (नागरिक अधिकार-पत्र) का उद्देश्य अधिकार-आधारित सेवा वितरण तंत्र को संस्थागत बनाना है।

    मुख्य भाग: 

    नागरिक चार्टर के उद्देश्य

    • सेवा मानक: सेवा वितरण के लिये समयसीमा और गुणवत्ता मानक निर्दिष्ट करता है।
    • भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ: अधिकारियों को उनके कर्त्तव्यों के प्रति जवाबदेह बनाता है।
    • शिकायत निवारण: नागरिकों को सेवा में देरी या इनकार की रिपोर्ट करने के लिये तंत्र प्रदान करता है।
    • पारदर्शिता और भागीदारी: नागरिकों को उनके अधिकारों और निवारण के माध्यमों के संबंध में जानकारी देना।
    • सेवा वितरण मानकों को परिभाषित करके, नागरिक चार्टर अधिकार-आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं, जिससे नागरिकों को प्रशासनिक विवेक के बजाय अधिकार के रूप में सेवाओं की मांग करने में सक्षम बनाया जाता है।
    • सफल उदाहरणों में बेंगलुरु म्यूनिसिपल सर्विसेज चार्टर और कर्नाटक सकल सेवा अधिनियम शामिल हैं, जो सेवाओं की समयबद्ध आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं और देरी होने पर दंड का प्रावधान भी रखते हैं।

    सीमाएँ और चुनौतियाँ

    • कानूनी समर्थन का अभाव: अधिकांश चार्टर गैर-बाध्यकारी होते हैं, जिससे प्रवर्तनीयता सीमित हो जाती है।
    • कम जन जागरूकता: नागरिक अक्सर अपने सेवा अधिकारों के संबंध में नहीं जानते हैं।
    • अप्रभावी शिकायत निवारण: स्वतंत्र निगरानी या फीडबैक लूप का अभाव।
    • कोई प्रदर्शन संबंध नहीं: गैर-अनुपालन का अधिकारियों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।
    • पर्याप्त परामर्श नहीं: चार्टर अक्सर हितधारकों या अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के साथ पर्याप्त परामर्श के बिना याँत्रिक रूप से तैयार किये जाते हैं।

    निष्कर्ष: 

    द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) की 12वीं रिपोर्ट में गैर-अनुपालन के लिये स्पष्ट उपाय, मापनीय सेवा मानक, प्रक्रिया सुधार और प्रभावी शिकायत निवारण सुनिश्चित करके, व्यापक परामर्श और एजेंसी-विशिष्ट अनुकूलन के साथ नागरिक चार्टर को प्रभावी बनाने की अनुशंसा की गई है।

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