ध्यान दें:



Mains Marathon

  • 14 Aug 2025 फुल लेंथ टेस्ट्स सामान्य अध्ययन पेपर 4

    प्रश्न पत्र के लिये विशिष्ट निर्देश

    इस प्रश्न पत्र में बीस प्रश्न हैं।

    सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

    प्रश्न संख्या 1 से 10 तक के उत्तर 150 शब्दों में होने चाहिये, जबकि प्रश्न संख्या 11 से 20 तक के उत्तर 250 शब्दों में होने चाहिये।

    प्रश्न 1. (a) "नैतिक साहस की सबसे कठिन परीक्षा तब होती है जब निजी हित व्यापक जनहित से टकराते हैं।" नैतिकता के एक आयाम के रूप में नैतिक साहस के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिये कि यह सार्वजनिक प्रशासन में नैतिक निर्णयों को कैसे प्रभावित करता है। (150 शब्द)

    (b) नीति-निर्माण निर्णयों के उदाहरणों के साथ कर्मनिष्ठ (Deontological) नैतिकता और परिणामवादी (Consequentialist) नैतिकता में अंतर स्पष्ट कीजिये। नीति-निर्माण के उदाहरण देकर समझाइये।  (150 शब्द)

    प्रश्न 2. (a) "सकारात्मक दृष्टिकोण वास्तविकता का खंडन नहीं है, बल्कि उसका रचनात्मक रूप से सामना करना है।"  शासन में संकट-प्रबंधन के संदर्भ में विस्तार से समझाइये। (150 शब्द)

    (b) “जब नैतिकता सत्ता का मार्गदर्शन करती है, तो न्याय विकसित होता है; जब सत्ता नैतिकता को भ्रष्ट करती है, तो अत्याचार शुरू होता है।” लोकतंत्र में राजनीतिक निर्णय-निर्माण में नैतिक तर्क को समाहित करने की संभावनाओं और चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)

    प्रश्न 3. (a) “न्याय न केवल किया जाना चाहिये, बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिये।” वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिवेश में कोई लोक सेवक राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषयों से निपटते समय किस प्रकार निष्पक्षता और निरपेक्षता सुनिश्चित कर सकता है? (150 शब्द)

    (b) “परिवार मूल्य-निर्माण करता है, समाज उसे विकसित करनाता है और संस्थाएँ उसका स्थायित्व बनाए रखती हैं।” मूल्य-निर्माण प्रक्रिया में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों की भूमिकाओं तथा परस्पर क्रिया का आकलन कीजिये। (150 शब्द)

    प्रश्न 4. (a) “निर्णय आँकड़ों के आधार पर लिये जाते हैं, परंतु भावनाएँ उनकी स्वीकृति को प्रेरित करती हैं।” प्रमाण-आधारित नीति-निर्माण में भावनात्मक बुद्धिमत्ता की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    (b)."शासन में विश्वास तभी संभव है, जब व्यक्ति स्वार्थ से ऊपर उठ सके।" सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा का सिद्धांत, लोक प्रशासन में हितों के टकराव (Conflict of Interest) से रक्षा के लिये किस प्रकार सहायक हो सकता है? प्रासंगिक उदाहरणों के साथ इसका परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)

    प्रश्न 5. निम्न उद्धरण आपके लिये वर्तमान संदर्भ में क्या संदेश देते हैं:

    (a)."किसी को इस बात की परवाह नहीं है कि आप कितना जानते हैं, जब तक कि उसे यह न लगे कि आप उसकी कितनी परवाह करते हैं।" – थियोडोर रूज़वेल्ट (150 शब्द)

    (b)."मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है। मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है। मैंने कर्म किया और पाया कि सेवा ही आनंद है।" – रवींद्रनाथ टैगोर (150 शब्द)

    (c). नैतिकता का अर्थ यह समझना है कि आपको क्या करने का अधिकार है और क्या करना उचित है। – पॉटर स्टीवर्ट (150 शब्द)

    प्रश्न 6. (a) "गाँधी की अहिंसा और रॉल्स का न्याय अलग-अलग मार्गों पर चलते हैं, लेकिन निष्पक्षता पर आकर मिलते हैं।"

    समावेशी शासन की दृष्टि से पूर्वी और पश्चिमी नैतिक चिंतन के संगम का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    (b) "सार्वजनिक पद एक सार्वजनिक न्यास है।" भारत में लोक सेवा की अवधारणा का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। आज के लोक सेवकों को किस प्रकार निस्वार्थता, समर्पण और जवाबदेही के मूल्यों को अपनाना चाहिये? (150 शब्द)

    प्रश्न 7. एक युवा आईएएस अधिकारी रिया, स्टेट डिजिटल मीडिया गवर्नेंस मिशन (SDMGM) की निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। उनके विभाग द्वारा हाल ही में ‘DigiVoice’ नामक एक प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया है, जिसमें AI-ड्रिवेन कंटेंट मॉडरेशन, नागरिक शिकायत निवारण एवं सोशल मीडिया एनालिटिक्स को जोड़ा गया है ताकि गलत सूचना, हेट-स्पीच और ऑनलाइन उत्पीड़न पर नज़र रखी जा सके। इसका उद्देश्य ज़िम्मेदार ऑनलाइन संवाद सुनिश्चित करना, साइबर अपराध को रोकना और नागरिकों को हानिकारक कंटेंट से बचाना है।

    हालाँकि, नागरिक स्वतंत्रता समूहों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थकों ने चिंता जताई है। उनका तर्क है कि प्लेटफॉर्म के AI एल्गोरिदम अस्पष्ट हैं, नागरिकों की निगरानी सीमित है और कंटेंट को चिह्नित करने या हटाने के मानदंड स्पष्ट नहीं हैं। आलोचकों ने चेतावनी दी है कि यह प्रणाली गलत सूचना को नियंत्रित करने की आड़ में वैध असहमति या राजनीतिक आलोचना को सेंसर कर सकती है।

    तकनीकी ऑडिट के दौरान रिया को पता चलता है कि एआई कंटेंट मॉडरेशन टूल को सोशल मीडिया कंपनियों के निजी डेटासेट का उपयोग कर प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिनमें कुछ में उपयोगकर्ताओं का निजी डेटा बिना स्पष्ट सहमति के शामिल है। इसके अलावा शुरुआती रिपोर्ट दिखाती हैं कि कुछ ट्रेंडिंग टॉपिक जानबूझकर दबाए जा रहे हैं, जिससे स्थानीय चुनावों से पहले जनमत प्रभावित हो सकता है।

    जब रिया इन चिंताओं को अपने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष रखती है, तो उसे कहा जाता है कि वह रोलआउट में रुकावट न डाले क्योंकि इस प्लेटफॉर्म को राजनीतिक समर्थन प्राप्त है और इसे "डिजिटल गवर्नेंस में ऐतिहासिक पहल" के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। उस पर चुनाव से पहले सकारात्मक रिपोर्ट देने का दबाव है। 

    1. इस स्थिति में रिया के समक्ष कौन-सी नैतिक दुविधाएँ हैं?
    2. उसके पास कौन–कौन से विकल्प उपलब्ध हैं? प्रत्येक विकल्प के परिणामों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
    3. नैतिक सिद्धांतों, संवैधानिक अधिकारों और जनहित को ध्यान में रखते हुए आप किस कार्ययोजना की अनुशंसा करेंगे?
    4. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के साथ AI-ड्रिवेन कंटेंट मॉडरेशन को संतुलित करने के लिये दीर्घकालिक नीतियाँ किस प्रकार तैयार की जा सकती हैं? (250 शब्द)

    प्रश्न 8. एक युवा IAS अधिकारी सहाना, एक पिछड़े ग्रामीण ज़िले में ज़िला शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। वह सरकारी स्कूलों में लड़कियों के नामांकन, ठहराव और अधिगम के परिणामों में सुधार के लिये ज़िम्मेदार हैं। अपने क्षेत्रीय दौरों के दौरान, उन्हें कई लगातार चुनौतियाँ देखने को मिलती हैं: कई कक्षाएँ जर्जर, भीड़भाड़ वाली हैं, जहाँ संवातन की कमी है; स्वच्छता सुविधाएँ या तो काम नहीं करतीं या अपर्याप्त हैं, विशेषकर किशोरियों के लिये; तथा सुरक्षित पेयजल की पहुँच सीमित है। शिक्षक प्रायः अनियमित रूप से ड्यूटी पर आते हैं और कई शिक्षकों में शिक्षण पद्धति या लैंगिक संवेदनशीलता की दृष्टि से उचित प्रशिक्षण की कमी है।

    माता-पिता चिंता व्यक्त करते हैं कि उनकी बेटियाँ असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों, शिक्षण की निम्न गुणवत्ता एवं बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण नियमित रूप से स्कूल जाने से हिचकिचाती हैं। वे विशेष रूप से अपर्याप्त शौचालय सुविधाओं के कारण किशोरियों की निजता और सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इन समस्याओं के बावजूद, उच्च अधिकारी और स्थानीय नेता नामांकन लक्ष्य पूरे करने और केवल संख्यात्मक आँकड़े रिपोर्ट करने को प्राथमिकता देते हैं, न कि गुणवत्तापूर्ण सुधारों को।

    स्कूल रिकॉर्ड्स की समीक्षा करते समय सहाना को पता चलता है कि अवसंरचना विकास, शिक्षक प्रशिक्षण और स्वच्छता सुधार हेतु आवंटित धनराशि का कुछ हिस्सा अन्य गैर-शैक्षणिक परियोजनाओं में लगा दिया गया है। यदि वह इस दुरुपयोग की रिपोर्ट करती है, तो राजनीतिक विरोध का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कुछ स्थानीय अधिकारी प्रभावशाली हैं और चुनाव से पहले यह मामला संवेदनशील माना जा रहा है।

    सहाना को प्रशासनिक जवाबदेही, राजनीतिक दबाव और छात्राओं के कल्याण के बीच संतुलन बनाते हुए नैतिक रूप से कार्य करने का निर्णय लेना होगा। वह चिंतित हैं कि कार्रवाई न करने से शिक्षा में लैंगिक असमानताएँ बनी रह सकती हैं, लेकिन आक्रामक रिपोर्टिंग उनके कॅरियर और स्थानीय अधिकारियों के साथ संबंधों को प्रभावित कर सकती है।

    1. इस स्थिति में सहाना को किन नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है?
    2. उसके पास क्या विकल्प उपलब्ध हैं? प्रत्येक के परिणामों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
    3. नैतिक तर्क के साथ, लड़कियों के लिये सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक कार्ययोजना की अनुशंसा कीजिये।
    4. अवसंरचना, शिक्षण गुणवत्ता और स्वच्छता सुधार के लिये कौन–कौन सी दीर्घकालीन रणनीतियाँ बनायी जा सकती हैं ताकि वहनीयता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके? (250 शब्द)

    प्रश्न 9. आप एक उच्च-स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ राजनयिक हैं। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य एक वैश्विक डिजिटल व्यापार समझौते पर वार्ता करनी है, जिसमें सीमा पार डेटा फ्लो, बौद्धिक संपदा और ई-कॉमर्स कराधान पर नियमन शामिल हैं। विकसित देश कड़े मानदंडों पर ज़ोर दे रहे हैं जो उनकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के पक्ष में हों तथा विकासशील देशों के लिये डेटा सॉवरेनीटी को सीमित करें। उनका तर्क है कि वैश्विक आर्थिक विकास एवं नवाचार के लिये सुसंगत नियम आवश्यक हैं।

    हालाँकि, भारत अपने नागरिकों के डेटा की सुरक्षा, घरेलू प्रौद्योगिकी उद्योगों का समर्थन तथा विकासशील देशों के लिये समान बाज़ार अभिगम सुनिश्चित करने पर ज़ोर देता है। इस रुख का घरेलू स्तर पर समर्थन किया जाता है, लेकिन इससे शक्तिशाली व्यापारिक साझेदारों में निराशा उत्पन्न हुई है, जिनका दावा है कि भारत आम सहमति बनाने में विलंब कर रहा है।

    वार्ता के दौरान, एक बहुराष्ट्रीय निगम आपको आकर्षक पारिश्रमिक के साथ एक विशेष परामर्शदाता पद की पेशकश करता है और यह संकेत देता है कि उनके प्रस्तावों का समर्थन करने से आपके कॅरियर में उन्नति सुनिश्चित हो सकती है। हालाँकि कोई स्पष्ट प्रतिदान की माँग नहीं की जाती है, लेकिन यह प्रस्ताव हितों के टकराव की संभावना उत्पन्न करता है।

    साथ ही, आपको एक साथी राजनयिक से गोपनीय सलाह मिलती है कि भारत की स्थिति से समझौता करने से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विदेशी निवेश एवं दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारियाँ सुगम हो सकती हैं, जिससे देश के विकास लक्ष्यों को लाभ हो सकता है। हालाँकि, बहुत जल्दी झुकने से भारत की वार्ता संबंधी विश्वसनीयता कमज़ोर हो सकती है तथा निष्पक्षता एवं संप्रभुता के सिद्धांतों का उल्लंघन हो सकता है।

    1. राष्ट्रीय हित, व्यक्तिगत लाभ और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बीच संतुलन बनाने में आने वाली नैतिक दुविधाओं का अभिनिर्धारण कीजिये।
    2. एक अंतर्राष्ट्रीय वार्ताकार के रूप में आपको राष्ट्रीय संप्रभुता और समतापूर्ण वैश्विक जुड़ाव को नैतिक ज़िम्मेदारियों के साथ किस प्रकार संतुलित करना चाहिये?
    3. आपको कॉर्पोरेट प्रस्ताव पर किस प्रकार प्रतिक्रिया देनी चाहिये और आपके आचरण का मार्गदर्शन किन नैतिक मूल्यों से होना चाहिये?
    4. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक वार्ताओं में सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता और रणनीतिक हितों को बनाए रखने के लिये दीर्घकालिक रणनीतियों का सुझाव दीजिये।  (250 शब्द)

    प्रश्न 10. एक युवा IAS अधिकारी अर्जुन, को एक नक्सल प्रभावित ज़िले में ज़िला कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया है। उनकी ज़िम्मेदारी विकास को बढ़ावा देते हुए विधि-व्यवस्था स्थापित करने की है, लेकिन उन्हें जल्द ही एहसास होता है कि स्थिति कहीं अधिक जटिल है। कई गाँवों में स्कूल, स्वास्थ्य सेवा और रोज़गार के अवसरों का अभाव है, जिससे युवा चरमपंथी समूहों द्वारा भर्ती किये जाने के लिये आकर्षित होते हैं। साथ ही, सामाजिक-आर्थिक शिकायतों को नज़रअंदाज़ करते हुए सुरक्षा बलों का दबाव है कि वह केवल ‘काउंटर-इंसर्जेन्सी (आतंकवाद-रोधी मानकों)’ आँकड़ों पर ध्यान दे।

    हालाँकि, स्थानीय समुदाय प्रशासन के प्रयासों पर गहन अविश्वास रखते हैं। वे सुरक्षा अभियानों के दौरान उत्पीड़न, कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार एवं सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में विलंब की रिपोर्ट करते हैं। नागरिक समाज का मानना है कि केवल सख्त पुलिसिंग से समस्या नहीं सुलझेगी; बल्कि बिना सहभागितापूर्ण विकास के यह चरमपंथ को और बढ़ावा देगी।

    अर्जुन को यह भी पता चलता है कि स्थानीय अधिकारियों द्वारा कुछ विकास निधि का गलत आवंटन किया गया है और मुखबिरी करने पर राजनीतिक विरोध झेलना पड़ सकता है। इसके अलावा, किसी भी घटना की मीडिया कवरेज प्रायः सनसनीखेज़ होती है, जिससे प्रत्यक्ष कार्रवाई करने का दबाव बढ़ जाता है, भले ही अल्पकालिक सुरक्षा उपायों से मानवाधिकारों का हनन क्यों न हो।

    उन्हें यह तय करना है कि तात्कालिक सुरक्षा ज़रूरतों, प्रशासनिक जवाबदेही और दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक हस्तक्षेपों के बीच संतुलन किस प्रकार बनाया जाए। कोई भी गलती या तो हिंसा को बढ़ा सकती है या जनता के विश्वास को कमज़ोर कर सकती है तथा इन फैसलों के नैतिक, विधिक और राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं।

    1. सुरक्षा, विकास और जनता के विश्वास के बीच संतुलन बनाने में अर्जुन को किन नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है?
    2. उनके पास कौन-से विकल्प उपलब्ध हैं? प्रत्येक के परिणामों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
    3. मानवाधिकारों और प्रशासनिक शुचिता को बनाए रखते हुए चरमपंथ को कम करने के लिये एक कार्ययोजना का सुझाव दीजिये।
    4. संघर्ष-प्रवण क्षेत्रों में गरीबी, शिक्षा और शासन संबंधी कमियों को दूर करने के लिये दीर्घकालिक रणनीतियों का सुझाव दीजिये।(250 शब्द)

    प्रश्न 11. आप रक्षा मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी हैं और वायुसेना के लिये नये लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया की देख-रेख कर रहे हैं। यह परियोजना राष्ट्रीय सुरक्षा और वायु वर्चस्व के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसमें भारी बजट और दीर्घकालिक रणनीतिक परिणाम जुड़े हैं। 

    निविदा मूल्यांकन के दौरान, आपको पता चलता है कि चुने गए विक्रेताओं में से एक के राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों से घनिष्ठ संबंध हैं तथा कुछ तकनीकी विशिष्टताओं को उनके उत्पादों के पक्ष में तैयार किये जाने की संभावना हो सकती है, जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को लेकर चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।

    इसके अतिरिक्त, इस विक्रेता के विमानों के हालिया उड़ान परीक्षणों में छोटी-मोटी लेकिन निरंतर होने वाली तकनीकी गड़बड़ियों की सूचना मिली है, जिन्हें अगर नज़रअंदाज़ किया गया, तो उड़ान दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं, जिससे पायलट की सुरक्षा एवं परिचालन क्षमता को खतरा हो सकता है। आपको यह भी पता चलता है कि इस मॉडल के रख-रखाव और स्पेयर पार्ट्स की लागत वैकल्पिक विकल्पों की तुलना में बहुत अधिक है, जिससे दशकों तक रक्षा वित्त पर दबाव पड़ सकता है।

    इस बीच, सौदा तय होने के बाद, एक विदेशी रक्षा कंपनी आपको एक आकर्षक परामर्श अनुबंध प्रदान करती है। हालाँकि कोई स्पष्ट प्रतिदान की माँग नहीं की जाती है, लेकिन यह निहित है कि कुछ निर्णयों का समर्थन करने से आपको अवसर प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है। साथ ही, राजनीतिक अधिकारी और वरिष्ठ अधिकारी तत्काल सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए, आप पर खरीद में तीव्रता लाने का दबाव डाल रहे हैं। किसी भी विलंब से रक्षा तैयारियों, अंतर्राष्ट्रीय रणनीतिक साझेदारियों और संयुक्त अभ्यासों में भारत की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है, लेकिन इसमें तेज़ी लाने से सुरक्षा, पारदर्शिता एवं नैतिक मानदंडों से समझौता हो सकता है।

    1. इस बहुआयामी रक्षा खरीद परिदृश्य में नैतिक दुविधाओं का अभिनिर्धारण कीजिये।
    2. आपके पास कौन-से विकल्प उपलब्ध हैं? प्रत्येक के परिणामों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
    3. नैतिक औचित्य के साथ पारदर्शिता, सुरक्षा, जवाबदेही एवं रणनीतिक तैयारी सुनिश्चित करने वाली कार्ययोजना की अनुशंसा कीजिये।
    4. उच्च-मूल्य वाले रक्षा अधिग्रहणों में भ्रष्टाचार, पक्षपात और सुरक्षा संबंधी समझौतों को रोकने के लिये दीर्घकालिक उपायों का सुझाव दीजिये। (250 शब्द)

    प्रश्न 12. एक युवा IAS अधिकारी मीरा, एक राज्य लोक सेवा आयोग में परीक्षा नियंत्रक के पद पर नियुक्त हैं। उनकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी प्रतियोगी परीक्षाओं का सुचारू, निष्पक्ष एवं पारदर्शी संचालन सुनिश्चित करना है। हाल ही में, राज्य स्तरीय परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक होने की कई घटनाएँ सामने आई हैं। जाँच से पता चलता है कि कुछ परीक्षा अधिकारियों और आउटसोर्स कर्मचारियों ने पैसे के बदले प्रश्नपत्र लीक करने के लिये निजी एजेंटों के साथ मिलीभगत की होगी।

    एक आंतरिक ऑडिट के दौरान, मीरा को प्रश्नपत्रों की छपाई, वितरण और भंडारण में अनियमितताओं का पता चलता है तथा प्रारंभिक साक्ष्य बताते हैं कि कर्मचारियों को प्रभावित करने के लिये वित्तीय प्रलोभनों का प्रयोग किया गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ परीक्षा केंद्रों के छात्रों को पहले से प्रश्नपत्र मिलने की आशंका है, जिससे अभ्यर्थियों में असंतोष बढ़ा है तथा चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ रहे हैं।

    जब मीरा अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इन मुद्दों को उठाती हैं, तो उन्हें निर्देश दिया जाता है कि वे इस मामले को सार्वजनिक रूप से न बढ़ाएँ, क्योंकि इसमें उच्च-स्तरीय व्यक्ति और राजनीतिक हितधारक अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं। अभ्यर्थियों और मीडिया की प्रतिक्रिया से बचने के लिये उन पर परीक्षा परिणाम समय पर घोषित करने का भी दबाव है।

    मीरा अब एक जटिल नैतिक दुविधा का सामना कर रही हैं: परीक्षा प्रणाली की निष्पक्षता एवं पारदर्शिता बनाए रखना बनाम राजनीतिक एवं प्रशासनिक दबाव में आकर मामले को दबा देना। कोई भी चूक या तो निष्पक्षता एवं योग्यता के सिद्धांत को खतरे में डाल सकती है या उनके कॅरियर तथा प्रभावशाली अधिकारियों के साथ संबंधों को खतरे में डाल सकती है।

    1. प्रश्नपत्र लीक और भ्रष्टाचार से निपटने में मीरा के समक्ष आने वाली नैतिक दुविधाओं का अभिनिर्धारण कीजिये।
    2. उनके पास क्या विकल्प उपलब्ध हैं? प्रत्येक के परिणामों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
    3. परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये नैतिक तर्क के साथ एक कार्ययोजना की अनुशंसा कीजिये।

    प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक और कदाचार को रोकने के लिये दीर्घकालिक उपायों का सुझाव दीजिये।  (250 शब्द)

    मुख्य बिंदु जल्द ही अपलोड किए जाएंगे
close
Share Page
images-2
images-2