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25 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
आंतरिक सुरक्षा
दिवस 35: “डिजिटल शैडोज़ और पोरस बॉर्डर्स मिलकर एक मिश्रित तूफान रचती हैं।” भारत की सुरक्षा चुनौतियों के एक प्रमुख घटक के रूप में साइबर अपराध, संगठित अपराध और सीमा घुसपैठ के अंतर्संबंध का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षेप में स्पष्ट कीजिये कि भारत अपनी सीमा पर संकर खतरों का सामना कर रहा है।
- साइबर अपराध, संगठित अपराध और सीमा घुसपैठ के अंतर्संबंधों का परीक्षण कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
असममित युद्ध के युग में भारत की सुरक्षा स्थिति अब परंपरागत खतरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह 'हाइब्रिड खतरों' से जटिल होती जा रही है, जिनमें साइबर अपराध, संगठित अपराध तथा सीमा पार घुसपैठ जैसे कई पहलू एक साथ जुड़े होते हैं। 'डिजिटल छायाएँ और छलनी सीमाएँ (Digital Shadows & Porous Borders)' जैसे शब्द इस नई चुनौती की प्रकृति को दर्शाते हैं, जहाँ तकनीक आधारित खतरों एवं भू-राजनीतिक कमज़ोरियों का जटिल अभिसरण हो रहा है। यह सुरक्षा का ऐसा संकट है जो पारंपरिक सुरक्षा प्रतिमानों से परे है।
मुख्य भाग:
हाइब्रिड खतरों का परिदृश्य:
- संगठित अपराध को बढ़ावा देने वाला साइबर अपराध:
- साइबर अपराध आज एक शक्तिशाली माध्यम बन गया है, जो अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराधों को बढ़ावा देता है।
- क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग गुमनाम रूप से धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण के लिये किया जा रहा है।
- फिशिंग, पहचान की चोरी और रैनसमवेयर जैसे हमलों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण ढाँचागत सेवाओं (जैसे: बैंकिंग, ऊर्जा) और वित्तीय संस्थानों को निशाना बनाया जा रहा है।
- डार्क वेब जैसे गुप्त ऑनलाइन मंचों का प्रयोग हथियारों, मादक पदार्थों, नकली दस्तावेज़ों और यहाँ तक कि मानव तस्करी जैसे अपराधों के लिये किया जा रहा है।
- वर्ष 2022 में दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया जो डार्क वेब से प्राप्त नकली आधार डेटा का उपयोग कर अवैध प्रवासन को अंजाम दे रहा था।
- संगठित अपराध और सीमा पर घुसपैठ:
- भारत पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्याँमार और चीन जैसे देशों के साथ 15,000 किलोमीटर से अधिक लंबी भूमि सीमा साझा करता है, जिनमें से कई क्षेत्रों की सुरक्षा कमज़ोर है या भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण है।
- आतंकवादी घुसपैठ, मादक पदार्थों का व्यापार और जाली मुद्रा की तस्करी प्रायः इन रास्तों से फलती-फूलती है।
- सीमा पार के कार्टेल रसद सहायता के लिये घरेलू सिंडिकेट के साथ संबंध बनाए रखते हैं।
- NIA ने रिपोर्ट किया है कि पाकिस्तान से नेपाल और बांग्लादेश के रास्तों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली सुरक्षा विशेषताओं वाले नकली भारतीय मुद्रा नोट (FICN) भारत में भेजे जा रहे थे।
- सीमा पर घुसपैठ में साइबर टूल्स का प्रयोग:
- आतंकवादी गतिविधियों के समन्वय के लिये टेलीग्राम और सिग्नल जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का प्रयोग करते हैं।
- GPS स्पूफिंग और ड्रोन तकनीकों का बढ़ता उपयोग निगरानी, हथियार गिराने और तस्करी के लिये किया जा रहा है।
- केवल पंजाब में ही वर्ष 2020 से 2023 के दौरान ड्रोन आधारित घुसपैठ की 200 से अधिक घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें से कई का संबंध खालिस्तानी और पाकिस्तान-स्थित आतंकी संगठनों से रहा है।
भारत की संस्थागत प्रतिक्रिया
- साइबर सुरक्षित भारत: साइबर सुरक्षा जागरूकता के लिये सार्वजनिक-निजी पहल।
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): डिजिटल अपराध से निपटने के लिये केंद्रीय नोडल एजेंसी।
- व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS): सेंसर और ड्रोन से रीयल-टाइम मॉनिटरिंग।
- राष्ट्रीय जाँच अभिकरण (NIA) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO): सीमा पार और साइबर खतरों पर नज़र रखना।
निष्कर्ष:
भारत को हाइब्रिड खतरों (जैसे: साइबर अपराध, संगठित अपराध और सीमा पार घुसपैठ के मेल) से निपटने के लिये केवल सरकारी प्रयासों से अधिक की आवश्यकता है। इसके लिये समग्र शासन (whole-of-government) और ‘समग्र समाज (whole-of-society) की भागीदारी आवश्यक है। विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय, तकनीकी क्षमताओं को मज़बूत बनाना एवं आम नागरिकों में सतर्कता बढ़ाना, ये सभी उपाय 21वीं सदी की जटिल सुरक्षा चुनौतियों से देश की रक्षा करने के लिये अत्यंत आवश्यक हैं।