ध्यान दें:



Mains Marathon

  • 22 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    दिवस 32: COP29 में अपनाए गए जलवायु वित्त पर नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। क्या यह भारत जैसे विकासशील देशों की ज़रूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा करता है? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • जलवायु वित्त पर नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • NCQG की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
    • विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने में इसके महत्त्व और सीमाओं पर प्रकाश डालिये।
    • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    बाकू (वर्ष 2024) में COP29 के दौरान जलवायु वित्त पर अंगीकृत न्यू कलेक्टिव क्वांटीफाइड गोल (NCQG) का उद्देश्य COP15 (कोपेनहेगन, 2009) में की गई 100 बिलियन डॉलर की वार्षिक प्रतिबद्धता, जिसे कभी पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया गया था, को प्रतिस्थापित करना है। NCQG वर्ष 2025 के बाद विकासशील देशों के लिये अधिक और पूर्वानुमानित वित्त संग्रहण के उद्देश्य से वैश्विक जलवायु वित्त में प्रगति एवं मौजूदा कमियों, दोनों को दर्शाता है।

    मुख्य भाग:

    NCQG की प्रमुख विशेषताएँ:

    • विकसित देशों से सार्वजनिक जलवायु वित्त में वर्ष 2035 तक प्रति वर्ष 300 बिलियन डॉलर का लक्ष्य निर्धारित करता है।
    • निजी और अन्य वित्तीय प्रवाहों सहित, प्रतिवर्ष 1.3 ट्रिलियन डॉलर संग्रहण की व्यापक महत्त्वाकांक्षा।
    • वर्ष 2030 में ग्लोबल स्टॉकटेक से जुड़ी एक मध्यावधि समीक्षा शामिल है।
    • आवेदन-से-संवितरण तक की समय-सीमा पर प्रस्तावित नज़र रखने के साथ, बेहतर अभिगम पर ज़ोर दिया गया है।
    • हानि और क्षति, अनुकूलन एवं अनुदान-आधारित वित्त के महत्त्व को स्वीकार किया गया है।
    • ऐतिहासिक दायित्वों को कम करते हुए, उभरती अर्थव्यवस्थाओं से ‘स्वैच्छिक’ योगदान के लिये आग्रह किया गया है।

    महत्त्वपूर्ण विकास:

    • विगत 100 बिलियन डॉलर के लक्ष्य से बड़ी वृद्धि स्वीकार योग्य है।
    • अभिगम और निगरानी तंत्र का स्पष्ट उल्लेख पहली बार किया गया है।
    • हानि और क्षति वित्त को शामिल करना व्यापक विषयगत विचार को दर्शाता है।

    प्रमुख सीमाएँ:

    • अपर्याप्त पैमाना: अकेले भारत को वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 170 बिलियन डॉलर की आवश्यकता है; विकासशील देशों की सामूहिक आवश्यकता 1 ट्रिलियन डॉलर/वर्ष से अधिक है।
    • इक्विटी में कमी: सभी देशों से योगदान को प्रोत्साहित करने से साझा लेकिन विभेदित दायित्व (CBDR) कमज़ोर होते हैं।
    • कानूनी बाध्यता का अभाव: विकसित देशों के लिये लक्ष्यों को पूरा करने हेतु कोई प्रवर्तनीय दायित्व नहीं है।
    • अस्पष्ट परिभाषाएँ: ‘जलवायु वित्त’ क्या है या प्रवाह की रिपोर्टिंग और सत्यापन किस प्रकार किया जाएगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं।

    निष्कर्ष:

    यद्यपि न्यू कलेक्टिव क्वांटिफाइड गोल (NCQG) महत्त्वाकांक्षा, पैमाने और संस्थागत दायरे के स्तर पर एक प्रगति का संकेत देता है, फिर भी यह भारत जैसे विकासशील देशों की विविध एवं विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्णतः पूर्ति करने में अभी भी विफल प्रतीत होता है। वास्तव में प्रभावी होने के लिये, NCQG को जलवायु वित्त के संचलन और वितरण दोनों में पर्याप्तता, समानता, पूर्वानुमेयता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

close
Share Page
images-2
images-2