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  • 22 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    दिवस 32: जैवविविधता पृथ्वी के स्वास्थ्य की एक मूक शिल्पकार है। आलोचनात्मक रूप से मूल्यांकन कीजिये कि भारत की संशोधित राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति एवं कार्य योजना (NBSAP) किस प्रकार कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता ढाँचे (KMGBF) की प्राथमिकताओं के अनुरूप जैवविविधता संरक्षण को राष्ट्रीय विकास नियोजन, क्षेत्रीय नीति-निर्माण और कार्यान्वयन प्रक्रियाओं में एकीकृत करती है। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिये जैवविविधता के महत्त्व की संक्षेप में व्याख्या कीजिये।
    • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता कार्यढाँचे (KMGBF) के प्रमुख उद्देश्यों की सूची प्रस्तुत कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि भारत ने KMGBF के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के अनुरूप अपनी राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्य योजना (NBSAP) को किस प्रकार संशोधित किया है।
    • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    भूमिका:

    जैवविविधता, जिसे प्रायः पर्यावरण के स्वास्थ्य का ‘मौन निर्माता’ कहा जाता है, पारिस्थितिक संतुलन, खाद्य सुरक्षा, जलवायु विनियमन एवं मानव कल्याण के लिये महत्त्वपूर्ण है। फिर भी, इसका तेज़ी से हो रहा ह्रास वैश्विक संवहनीयता के लिये खतरा है। इसकी प्रतिक्रिया में, CBD COP-15 (2022) में अपनाए गए कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता कार्यढाँचे (KMGBF) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक जैवविविधता के ह्रास को रोकना तथा उसकी प्रतिपूर्ति करना है। जैवविविधता अभिसमय (CBD) के हस्ताक्षरकर्त्ता के रूप में, भारत ने अपनी भूमिका को KMGBF के साथ संरेखित करने और जैवविविधता को राष्ट्रीय विकास योजना में एकीकृत करने के लिये राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति एवं कार्य योजना (NBSAP) को संशोधित किया है।

    मुख्य भाग:

    कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता कार्यढाँचा: KMGBF वर्ष 2030 तक प्राप्त किये जाने वाले 4 लक्ष्य और 23 लक्षित बिंदुओं की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। इनमें शामिल हैं:

    • लक्ष्य 3: 30% भूमि और समुद्री क्षेत्रों का संरक्षण (30x30 लक्ष्य)।
    • लक्ष्य 2 और 12: क्षीण पारिस्थितिक तंत्रों का पुनर्भरण और सतत् उपयोग।
    • लक्ष्य 13: आनुवंशिक संसाधनों से लाभों का उचित और न्यायसंगत वितरण।
    • लक्ष्य 19: जैवविविधता के लिये वित्तीय संसाधनों का संग्रहण।
    • लक्ष्य A-D: वर्ष 2050 तक आनुवंशिक विविधता, सतत् उपयोग, समान लाभ-साझाकरण और सुदृढ़ जैवविविधता शासन सुनिश्चित करने का लक्ष्य।

    भारत का संशोधित NBSAP: अद्यतन NBSAP, KMGBF के वैश्विक उद्देश्यों के अनुरूप 23 राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्यों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। प्रमुख लक्ष्यों में शामिल हैं:

    • संरक्षण क्षेत्र: जैवविविधता को बढ़ाने के लिये 30% क्षेत्रों का प्रभावी ढंग से संरक्षण करने का लक्ष्य।
    • आक्रामक प्रजाति प्रबंधन: आक्रामक विजातीय प्रजातियों के आगमन और स्थापना में 50% की कमी का लक्ष्य।
    • सतत् उपभोग: सतत् उपभोग विकल्पों को सक्षम बनाना और खाद्य अपशिष्ट को आधा करना।
    • प्रदूषण में कमी: प्रदूषण को कम करने, पोषक तत्त्वों की हानि और कीटनाशक जोखिम को आधा करने की प्रतिबद्धता।
    • लाभ साझाकरण: आनुवंशिक संसाधनों, डिजिटल अनुक्रम जानकारी और संबंधित पारंपरिक ज्ञान से लाभों के निष्पक्ष एवं समान वितरण को बढ़ावा देना।

    चुनौतियाँ:

    • कार्यान्वयन चुनौतियाँ:
      • राज्य और स्थानीय स्तर पर संस्थागत कमियाँ प्रवर्तन में बाधा डालती हैं।
    • डेटा और निगरानी बाधाएँ:
      • अद्यतन किये गए प्रजातियों की सूची का अभाव और कमज़ोर निगरानी तंत्र KMGBF लक्ष्यों की प्रगति को का आकलन कठिन बनाते हैं।
    • विकास लक्ष्यों के साथ टकराव:
      • ग्रेट निकोबार द्वीप विकास, बुनियादी अवसंरचना का विस्तार और पारिस्थितिक रूप से सुभेद्य क्षेत्रों में खनन जैसी परियोजनाएँ संरक्षण पर विकास को प्राथमिकता देने को लेकर चिंताएँ उत्पन्न करती हैं।
    • वित्त और क्षमता:
      • स्थानीय जैवविविधता प्रबंधन समितियों (BMC) में प्रायः संरक्षण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये पर्याप्त वित्तीय और तकनीकी क्षमता का अभाव होता है।

    निष्कर्ष:

    भारत का राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति एवं कार्य योजना (NBSAP) KMGBF के तहत वैश्विक जैवविविधता एजेंडे के साथ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को संरेखित करने के एक सशक्त प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है। विकेंद्रीकरण, सामुदायिक सहभागिता और अंतर-क्षेत्रीय एकीकरण पर इसका ज़ोर एक समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है। हालाँकि, प्रभावी कार्यान्वयन, क्षमता निर्माण और विकास एवं संरक्षण के बीच असंगतता का समाधान महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।

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