लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



संसद टीवी संवाद

भारतीय राजव्यवस्था

द बिग पिक्चर: आकांक्षी मॉडल: विश्व के लिये प्रेरणा

  • 18 Jun 2021
  • 12 min read

चर्चा में क्यों? 

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) ने भारत के ‘आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम’ (Aspirational Districts Programme- ADP) की सराहना करते हुए कहा कि इसे उन देशों द्वारा ‘सर्वोत्‍तम प्रथा/अभ्यास’ (Best Practice) के रूप में अपनाया जाना चाहिये जहाँ कई कारणों से विकास में क्षेत्रीय असमानताएंँ विद्यमान हैं।

  • UNDP द्वारा एक स्वतंत्र मूल्यांकन रिपोर्ट में ‘आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम’ को 'स्थानीय क्षेत्र के विकास का एक अत्‍यंत सफल मॉडल' के रूप में वर्णित किया गया है,  जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय विकास और शासन एवं प्रशासन में सुधार हुआ है।

प्रमुख बिंदु: 

  • UNDP मूल्यांकन रिपोर्ट: यह रिपोर्ट यूएनडीपी इंडिया रेज़िडेंट रिप्रेज़ेंटेटिव (UNDP India Resident Representative) द्वारा नीति आयोग को प्रस्तुत की गई।
    • संयुक्त राष्ट्र विकास निकाय (UN Development Body) ने भारत सरकार के उस प्रयास की सराहना की है, जिससे देश की 21% आबादी के जीवन में बदलाव आया।
  • ADP का मूल/आधार: UNDP के अनुसार, ADP स्थानीय क्षेत्र के विकास का एक सफल मॉडल है जो सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) के  महत्त्वपूर्ण मूल-’किसी को पीछे न छोड़ें’ (Leave No One Behind) से संबंधित है।
  • सरकार का तीसरा स्तर: यह कार्यक्रम ज़िलों को सरकार के तीसरे महत्त्वपूर्ण स्तर (स्थानीय शासन) के रूप में परिभाषित कर सुसंगत रूप से इस पर ध्यान केंद्रित करता है।

आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम और यूएनडीपी:

  • विश्लेषण के प्रमुख क्षेत्र: ADP, UNDP के  विश्लेषण के साथ स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, बुनियादी ढांँचा, कौशल विकास एवं वित्तीय समावेशन पर केंद्रित है।
    • यह कार्यक्रम ज़िलों के  तीव्र विकास हेतु एक उत्प्रेरक साबित हुआ है।
    • इन संकेतकों की प्रगति चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड (Champions of Change Dashboard) के आधार पर वास्तविक समय में की जाती है। इसमें हर माह, पिछले माह में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला ज़िले को चुना जाता है।
  • डेल्टा रैंकिंग: UNDP रिपोर्ट में चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड पर प्रदान की गई डेल्टा रैंकिंग (Delta Rankings) की सराहना की गई।
    • इसके द्वारा कमज़ोर प्रदर्शन करने वाले कई ज़िलों को पिछले तीन वर्षों के दौरान अपनी स्थिति में सुधार लाने हेतु सफलतापूर्वक आगे बढ़ने के लिये प्रेरित किया गया है।
    • कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से सिमडेगा (झारखंड), चंदौली, सोनभद्र (उत्तर प्रदेश)  तथा राजगढ़ (मध्य प्रदेश) ज़िलों ने सबसे अधिक प्रगति की है।
  • कार्यक्रम के तहत किये गए सर्वोत्तम अभ्यास:
    • सीखना: ज़िलों को अपने साथी प्रतिस्पर्द्धीयों (ज़िलों) से प्रेरणा लेने और उन्हें अपनी क्षमता का एहसास कराना।
    • ज़िलों को ज़िम्मेदारियांँ सौंपना: उन क्षेत्रों की पहचान करना जिन क्षेत्रों में ज़िले  पीछे हैं तथा उनके पिछड़ेपन की स्थिति को दूर करने हेतु नवीन विचारों को विकसित करने करने के लिये सबसे अच्छी प्रथाओं/अभ्यासों को बढ़ावा देना।
    • टीम वर्क:  टीम वर्क की भावना को ADP कार्यक्रम की आत्मा के रूप में देखा जाता है।
      • नीति आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, विभिन्न राज्य सरकारें और उनके उल्लेखनीय अधिकारी सभी मिलकर ADP की एक टीम का निर्माण करते हैं।
  • आकांक्षी ज़िलों में सुधार (ADs):
    • स्वास्थ्य एवं पोषण और वित्तीय समावेशन के क्षेत्रों को लेकर रिपोर्ट में पाया गया है कि घरों पर होने वाली डिलिवरी के 9.6 प्रतिशत से अधिक मामलों में कुशल जन्म परिचारिका (Skilled Birth Attendant) ने भाग लिया तथा गंभीर रक्ताल्पता वाली 5.8 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाओं का इलाज किया। 
    • मलेरिया उन्मूलन: UNDP ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर और दंतेवाड़ा ज़िलों में 'मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान' की भी सराहना की है जिससे इन ज़िलों में मलेरिया के मामलों में क्रमशः 71 प्रतिशत और 54 प्रतिशत की कमी आई है। इसे आकांक्षी ज़िलों की एक 'सर्वोत्तम प्रथा' करार दिया गया है।
    • वित्तीय समावेशन: UNDP की रिपोर्ट में प्रधान मंत्री जन-धन योजना (PMantri Jan-Dhan Yojana) के तहत प्रति एक लाख जनसंख्या पर 1,580 से अधिक खातें खोले गए हैं।
    • किसानों की सहायता: असम के ज़िला प्रशासन द्वारा शुरू किया गया गोलमार्ट (GoalMart) जो कि एक ई-कॉमर्स पोर्टल है से राष्ट्रीय और वैश्विक बाज़ारों में ज़िले के ग्रामीण, जनजातीय और कृषि उत्पादों को बढ़ावा मिला है।
      • इसने कोविड -19 महामारी में लॉकडाउन के दौरान किसानों और खुदरा विक्रेताओं की मदद की तथा यह  किसानों के लिये लाभदायक साबित हुआ।
    • निर्यात: उत्तर प्रदेश के ज़िले में काले चावल (Black Rice) की खेती एक बड़ी सफलता थी।
      • ज़िले से उच्च गुणवत्ता वाला काला चावल अब ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को निर्यात किया जाता है।
  • महामारी के समय ADP’s की सहायता:
    • कमज़ोर लोगों की मदद: महामारी के बीच सबसे कमज़ोर वर्ग वरिष्ठ नागरिक थे। ADP के विकास भागीदारों द्वारा  इन बुजुर्गों तक सहायता हेतु पहुंँच बनाई गई है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों के डॉक्टरों की सहायता करना: विभिन्न स्रोतों से अत्यधिक जानकारी ने दूरदराज़ के क्षेत्रों के डॉक्टरों में भ्रम की स्थिति पैदा की।
      • ब्लॉक स्तर के डॉक्टरों की मदद और मार्गदर्शन करने हेतु वरिष्ठ डॉक्टरों के एक पैनल का गठन  किया गया ।
  • जागरूकता को बढ़ावा: आम लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु, नीति आयोग (NITI Aayog) ने बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill and Melinda Gates Foundation)  के साथ मिलकर 'इंडिया फाइट्स कोविड प्लेटफॉर्म’ (India Fights Covid’ Platform)  का निर्माण किया, जिस पर लोगों को कोविड -19 प्रबंधन के सभी प्रशिक्षण प्रदान किये गए।
    • साथ ही 90000 से अधिक एनजीओ को सहायता प्रदान करने हेतु एनजीओ दर्पण (NGO DARPAN) पोर्टल बनाया गया ।
  • सुरक्षित हम सुरक्षित तुम अभियान: हाल ही में नीति आयोग और पीरामल फाउंडेशन द्वारा 112 आकांक्षी ज़िलों में 'सुरक्षित हम सुरक्षित तुम अभियान' (Surakshit Hum Surakshit Tum Abhiyan) की शुरुआत की गई है।
    • यह अभियान कोविड-19 के उन रोगियों को घरेलू देखभाल सहायता प्रदान करने में प्रशासन की सहायता करने हेतु शुरू किया गया था, जिनमें कोविड-19 के या तो हल्के लक्षण विद्यमान हैं या फिर कोई लक्षण (Asymptomatic) नहीं हैं।
    • इनमें अधिकांश ज़िले झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र राज्य के शामिल हैं।

चुनौतियांँ: 

  • समन्वय की कमी: ADP का क्रियान्वयन कई मंत्रालयों द्वारा किया जाता है जिसमें   समन्वय की कमी देखी जाती है।
  • मात्रा पर अधिक केंद्रित: डेल्टा रैंकिंग काफी हद तक गुणवत्ता के बजाय मात्रा (पहुंँच व  कवरेज) के आकलन पर अधिक केंद्रित है।
  • भौगोलिक और राजनीतिक बाधाएंँ: यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि अधिकांश आकांक्षी ज़िले दूरदराज़ के इलाकों में स्थित हैं तथा जिसमें से कुछ वामपंथी अतिवाद (Left Wing Extremism- LWE) संघर्षों से भी ग्रस्त हैं जो उनके विकास में एक बाधक है तथा किसी भी विकास कार्यक्रम को लागू करने हेतु इसे और अधिक कठिन बनाते हैं
  • डेटा संबंधित मुद्दे: डेटा की कम या अधिक रिपोर्टिंग से संबंधित मुद्दें भी देखने को मिलते हैं।

आगे की राह: 

  • विकासात्मक योजनाओं को प्रोत्साहन: यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इन ज़िलों के विकास पर और अधिक ध्यान दिया जाए।
    • विकास में तेज़ी लाने हेतु भारत ने जो गति हासिल की है, वह अभी भी कायम है इसके साथ ही  प्रतिस्पर्द्धा  की भावना को भी ऊंँचा बनाए रखने की आवश्यकता है।
  • समय-सीमा का निर्धारण: आगे का रास्ता यह सुनिश्चित होना चाहिये कि ये आकांक्षी ज़िले किस समय-सीमा में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे।
    • लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत अधिक समय खर्च होना  इन विकास योजनाओं के विचार को विफल कर सकता है।
  • डेटा मुद्दों को हल करना: डेटा की कम या अधिक रिपोर्टिंग के मुद्दे को हल करने हेतु इसका समाधान है तीसरे पक्ष का मूल्यांकन करना, इस प्रकार  तीसरे पक्ष का दो या  तीन बार सर्वेक्षण किया जा सकता है।
  • गैर-सरकारी निकायों से सहायता: सरकारी प्रणालियों को एनजीओ और सिविल सोसायटी द्वारा मदद की जा सकती है, जो अपनी पूरी क्षमता के साथ घरों के स्तर पर व्यक्तिगत प्रदर्शन को पहचान में सहायक हो सकते हैं।
    • इन संगठनों की पहुंँच का लाभ उठाते हुए अंतिम परिवार को भी शामिल किया जाना चाहिये।
  • निगरानी क्षमता: बेहतर निगरानी प्रणाली हेतु हमें निगरानी क्षमता के निर्माण पर भी  ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • ताकि योजना की सफलता को एक मज़बूत निगरानी तंत्र द्वारा सुनिश्चित किया  जा सके।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2