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राज्य DGP नियुक्तियों हेतु 'सिंगल विंडो सिस्टम'

  • 04 Aug 2025
  • 27 min read

स्रोत: द हिंदू

केंद्र सरकार ने राज्य पुलिस महानिदेशकों (DGP)/पुलिस बल प्रमुखों (HoPF) की नियुक्ति को मानकीकृत और सरल बनाने के लिये एकल खिड़की प्रणाली (SWS) शुरू की है।

  • यह प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ, 2006 मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों तथा DGP/HoPF की नियुक्ति पर गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में है।

SWS की मुख्य विशेषताएँ:

  • मानकीकरण: राज्यों को DGP प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिये एक चेकलिस्ट और एक समान प्रारूप प्रदान करता है।
  • पात्रता प्रमाणीकरण: सचिव स्तर के अधिकारी को यह प्रमाणित करना होगा कि प्रस्तावित अधिकारी न्यूनतम 6 महीने की शेष सेवा सहित अन्य मानदंडों को पूरा करते हैं।
  • समय पर प्रस्तुति: राज्यों को प्रत्याशित रिक्ति से कम-से-कम 3 महीने पहले प्रस्ताव भेजना होगा।

राज्य पुलिस पर अधीक्षण:

  • संविधान की 7वीं अनुसूची के अंतर्गत 'पुलिस' राज्य सूची का विषय है। 
    • इसके अलावा पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 3 में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य में पुलिस का अधीक्षण राज्य सरकार के पास है।
    • ज़िला स्तर पर एक द्वैध प्रणाली मौजूद है, जहाँ ज़िला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक दोनों अधिकार साझा करते हैं।
    • राज्य पुलिस का नेतृत्व सामान्यतः DGP (पुलिस महानिदेशक) रैंक के अधिकारी करते हैं।

State Police System

क्रमांक

निर्देश

विवरण 

1

राज्य सुरक्षा आयोग (State Security Commission)

प्रत्येक राज्य में एक राज्य सुरक्षा आयोग होना चाहिये, जो पुलिस कार्य प्रणाली के लिये व्यापक नीति निर्धारित करे और यह सुनिश्चित करे कि राज्य की पुलिस पर राज्य सरकार का अनुचित दबाव न हो।

2

पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति और कार्यकाल (Tenure and Selection of the DGP)

राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) का चयन राज्य सरकार द्वारा UPSC द्वारा सूचीबद्ध तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर किया जाए। नियुक्ति के बाद उनका कार्यकाल कम-से-कम दो वर्ष का होना चाहिये और उन्हें बिना उचित कारण के हटाया नहीं जा सकेगा।

3

IGP और अन्य अधिकारियों का न्यूनतम कार्यकाल (Minimum Tenure of IGP and Other Officers)

जोन के IGP, रेंज के DIG, ज़िले के SP और पुलिस स्टेशन के SHO जैसे फील्ड अधिकारियों का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष का सुनिश्चित किया जाए और उन्हें बिना उचित कारण के न हटाया जाए।

4

जांच और कानून-व्यवस्था कार्यों का पृथक्करण (Separation of Investigation and Law and Order Functions)

अपराध जाँच और कानून-व्यवस्था के कार्यों को पुलिस स्टेशन स्तर पर अलग-अलग स्टाफ द्वारा किया जाए ताकि जाँच तेज़ी  और विशेषज्ञता के साथ हो सके।

5

पुलिस स्थापना बोर्ड (Police Establishment Board)

DG पुलिस और चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मिलकर गठित बोर्ड, स्थानांतरण, पदस्थापन और पदोन्नति जैसे मामलों में सिफारिश करेगा। यह बोर्ड SP और उससे उच्च पदों के अधिकारियों के मामलों में सिफारिशें देगा, जबकि DySP और उससे निचले स्तर के अधिकारियों के मामलों में स्वयं निर्णय लेगा।

6

पुलिस शिकायत प्राधिकरण (Police Complaints Authority)

स्वतंत्र प्राधिकरण, जिसकी अध्यक्षता राज्य में उच्च न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और ज़िले में सेवानिवृत्त ज़िला न्यायाधीश करेंगे, गंभीर पुलिस कदाचार (मृत्यु, बलात्कार, चोट आदि) की शिकायतों की जाँच कर सकेगा।

7

राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग (National Security Commission)

केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग गठित करेगी जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करेंगे। यह आयोग CPOs के प्रमुखों की नियुक्ति और चयन के लिये पैनल तैयार करेगा।

और पढ़ें: भारत की पुलिस प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

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