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बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025

  • 02 Aug 2025
  • 30 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 के प्रमुख प्रावधान प्रभाव में आ गए हैं। इनका उद्देश्य बैंकिंग प्रशासन को सुदृढ़ करना, लेखा-परीक्षण में पारदर्शिता बढ़ाना, जमाकर्त्ताओं की सुरक्षा को मज़बूत करना और सहकारी बैंकों को अधिक मज़बूत नियामक ढाँचे के अंतर्गत लाना है।

बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 क्या है?

  • परिचय: बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 एक विधायी सुधार है, जिसे भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की कानूनी, नियामक और शासन संबंधी रूपरेखा को आधुनिक बनाने और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पारित किया गया है।
    • इससे संबंधित विधेयक लोकसभा में दिसंबर 2024 में और राज्यसभा में मार्च 2025 में पारित किया गया था।
  • मुख्य संशोधन:
  • मुख्य सुधार:
    • संशोधित उचित ब्याज सीमा: वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप ‘उचित ब्याज’ (Substantial Interest) निर्धारित करने की सीमा को ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दिया गया है (जो वर्ष 1968 से अपरिवर्तित थी)।
      • ‘उचित ब्याज’ उस स्थिति को दर्शाता है जिसमें किसी निदेशक या अधिकारी की किसी फर्म में महत्त्वपूर्ण वित्तीय हिस्सेदारी होती है, जिससे हितों का टकराव उत्पन्न हो सकता है। यह इस आधार पर निर्धारित किया जाता है कि उनके या उनके रिश्तेदारों द्वारा धारित चुकता अंश पूंजी (Paid-up Share Capital) निर्धारित सीमा से अधिक है या नहीं।
    • सहकारी बैंक संबंधी सुधार: सहकारी बैंकों में निदेशक का कार्यकाल 8 से बढ़ाकर 10 वर्ष किया गया (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों को छोड़कर), जो 97वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 के अनुरूप है तथा शासन निरंतरता को बढ़ावा देता है।
    • 97वें CAA, 2011 के तहत सहकारी समितियाँ बनाने के अधिकार को अनुच्छेद 19(1) के तहत स्वतंत्रता के अधिकार के रूप में शामिल किया गया था।
    • निवेशक संरक्षण एवं निधि पारदर्शिता: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) बिना दावे वाले शेयरों, ब्याज और बॉण्ड को निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (IEPF) में स्थानांतरित कर सकते हैं ।
      • यह पारदर्शिता और जमाकर्त्ता जागरूकता बढ़ाने के लिये कंपनी अधिनियम, 2013 के मानदंडों के अनुरूप है।
    • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में लेखापरीक्षा गुणवत्ता: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वैधानिक लेखापरीक्षकों के लिये पारिश्रमिक निर्धारित करने और प्रदान करने के लिये अधिकृत करता है।
      • इसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले लेखापरीक्षा पेशेवरों को आकर्षित करना, लेखापरीक्षा मानकों में सुधार करना तथा सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग में वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।

और पढ़ें:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में ‘शहरी सहकारी बैंकों’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थानीय मंडलों द्वारा उनका पर्यवेक्षण एवं विनियमन किया जाता है।
  2. वे इक्विटी शेयर और अधिमान शेयर जारी कर सकते हैं।
  3. उन्हें वर्ष 1966 में एक संशोधन द्वारा बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के कार्य-क्षेत्र में लाया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1                    
(b)  केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर:(b)

प्रश्न: 'बैंक बोर्ड ब्यूरो (BBB)' के सन्दर्भ में, निम्नलिखित में कौन-से कथन सही हैं?

1. RBI का गवर्नर BBB का चेयरमैन होता है।
2. BBB, सार्वजनिक क्षेत्रक बैंकों के अध्यक्षों के चयन के लिये संस्तुति करता है।
3. BBB, सार्वजनिक क्षेत्रक बैंकों को कार्यनीतियों और पूँजी-वर्धन योजनाओं को विकसित करने में मदद करता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: b

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