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  • 22 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 43: हाल ही में भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची में सुधारों पर चर्चा बढ़ रही थी। इस संदर्भ में भारतीय संविधान में 7वीं अनुसूची के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • 7वीं अनुसूची के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • सातवीं अनुसूची में सुधारों की आवश्यकता की विवेचना कीजिये।
    • सातवीं अनुसूची के महत्त्व की विवेचना कीजिये।
    • उपयुक्त रूप से निष्कर्ष निकालिये।

    संविधान के अनुच्छेद 246 में सातवीं अनुसूची संघ, राज्य और समवर्ती सूचियों में तीन सूचियों का उल्लेख है।जबकि केंद्र संघ सूची में निर्दिष्ट विषयों पर कानून बना सकता है, राज्य सरकारों के पास राज्य सूची में वस्तुओं पर अधिकार क्षेत्र है।

    केंद्र और राज्य दोनों समवर्ती सूची के विषयों के लिये कानून बना सकते हैं, लेकिन संघर्ष की स्थिति में संघ का कानून मान्य होगा।

    भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची का महत्त्व

    स्पष्ट उत्तरदायित्व: राज्य सूची, केंद्रीय सूची और समवर्ती सूची में विषयों का विभाजन संघ की घटक इकाइयों को उनकी संबंधित भूमिकाओं के प्रति जागरूक बनाता है।

    समन्वय: 7वीं अनुसूची में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट पृथक्करण संघ को संविधान के मूल सिद्धांतों को बदलने से रोकता है, इस प्रकार यह केंद्र और राज्यों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखने में मदद करता है।

    शक्तियों का विभाजन: 7वीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन प्रदान करती है जो केंद्र और राज्यों के बीच संघर्ष को रोकता है।

    भारत की एकता और अखंडता: विभाजन के बाद, राष्ट्रीय एकीकरण का अत्यधिक महत्त्व था और केवल एक सशक्त केंद्र सरकार ही बाहरी खतरों से राष्ट्र की रक्षा कर सकती थी।

    राज्यों को स्वायत्तता: राज्यों को विधायी शक्तियों का हस्तांतरण राज्य को अपने संबंधित क्षेत्र में एक संघ से स्वतंत्र बनाता है।


    7वीं अनुसूची में सुधार की आवश्यकता:

    निरर्थक और पुराना: वर्तमान सातवीं अनुसूची और संघ (उस समय संघीय) सूची, राज्य (उस समय प्रांतीय) सूची और समवर्ती सूचियाांँ उस 1935 के विधान से विरासत में मिली हैं।

    सार्वजनिक वस्तुओं का वितरण: अधिकांश सार्वजनिक वस्तुओं के बारे में लोग सोचते हैं कि स्थानीय सरकार के स्तर पर कुशलता से वितरित किया जाता है, न कि संघ या राज्य स्तर पर। एक सातवीं अनुसूची का मुद्दा है जो इस प्रकार एक स्थानीय निकाय सूची से जुड़ा हुआ है। नागरिकों द्वारा काउंटरवेलिंग दबाव तेज़ी से ऐसे सार्वजनिक सामानों की कुशल डिलीवरी की मांग करता है।

    केंद्रीकरण में वृद्धि: मदों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में और समवर्ती सूची से संघ सूची में स्थानांतरित कर दिया गया है। यह अधिक केंद्रीकरण को प्रतिबिंबित करता है।

    स्थानीय निकायों को सशक्त बनानाः स्थानीय निकायों के लिये केंद्र, राज्य और समवर्ती सूचियों के साथ चौथी सूची होनी चाहिये। इससे स्थानीय निकायों को शक्तियों का हस्तांतरण होगा और उन्हें स्थानीय महत्व के विविध मामलों से निपटने में मदद मिलेगी।

    समवर्ती सूची का विलोपन: समवर्ती सूची केंद्र और राज्य के बीच बहुत भ्रम पैदा करती है और कानून बनाने पर विवाद की स्थिति पैदा करती है। संविधान से इसे हटाने से केंद्र और राज्यों के बीच घर्षण बिंदु कम होंगे।


    7वीं अनुसूची भारतीय संघ का आधार है, 7वीं अनुसूची में कोई भी परिवर्तन या सुधार राज्यों को साथ लेकर और केंद्र तथा राज्यों के बीच उचित सहमति विकसित करके किया जाना चाहिये।

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