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जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023

  • 03 Aug 2023
  • 6 min read

चर्चा में क्यों? 

लोकसभा ने हाल ही में जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 [Registration of Births and Deaths (Amendment) Bill, 2023] को मंज़ूरी दे दी है जो डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र (Digital Birth Certificates) की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है।

  • ये प्रमाणपत्र शैक्षिक प्रवेश से लेकर सरकारी आवेदन तक कई उद्देश्यों के लिये एक व्यापक दस्तावेज़ के रूप में काम करेंगे।

जन्म और मृत्यु (संशोधन) विधेयक, 2023 का पंजीकरण:

  • परिचय:
    • जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 जन्म और मृत्यु पंजीकरण (RBD) अधिनियम, 1969 में संशोधन करना चाहता है।
      • जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 जन्म और मृत्यु के विनियमन तथा पंजीकरण का प्रावधान करता है। जन्म और मृत्यु का पंजीकरण समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, जो संसद तथा राज्य विधानसभाओं दोनों को इस विषय पर कानून बनाने की शक्ति देता है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र: यह विधेयक डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र की अवधारणा पेश करता है, जो कई उद्देश्यों के लिये एक व्यापक दस्तावेज़ के रूप में काम करेगा, जिससे जन्म विवरण सत्यापित करने के लिये कई दस्तावेज़ों की आवश्यकता कम हो जाएगी।
    • आधार विवरण: विधेयक में माता-पिता और सूचना देने वालों के आधार विवरण को जन्म प्रमाण पत्र से जोड़ने का प्रस्ताव है।
      • आधार समावेशन का दायरा चिकित्सा अधिकारियों, जेलरों और संस्थानों के प्रबंधकों सहित विभिन्न रिपोर्टिंग प्राधिकरणों तक विस्तारित है।
    • केंद्रीकृत डेटाबेस: जन्म और मृत्यु रिकॉर्ड को प्रबंधित करने, कुशल सेवा वितरण की सुविधा प्रदान करने तथा सटीक एवं अद्यतन जानकारी बनाए रखने के लिये एक केंद्रीकृत डेटाबेस स्थापित किया जाएगा।
      • जन्म प्रमाण पत्र के अलावा केंद्रीकृत डेटाबेस राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR), राशन कार्ड और संपत्ति पंजीकरण को भी अपडेट करेगा।
      • विधेयक में राज्यों के लिये केंद्र के नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) पोर्टल पर जन्म और मृत्यु को पंजीकृत करना तथा डेटा को भारत के महापंजीयक, (Registrar General of India) जो कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करता है, के साथ साझा कर अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव है।
  • लाभ:
    • केंद्रीकृत डेटाबेस से सूचना का एक विश्वसनीय और एकीकृत स्रोत प्रदान करने से  प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि की उम्मीद है।
    • एकल डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र का उपयोग नागरिकों के लिये शैक्षिक प्रवेश, सरकारी नौकरियाँ, पासपोर्ट आदि जैसी विभिन्न सेवाओं तक सुव्यवस्थित पहुँच सुनिश्चित करेगा
    • यह विधेयक भारत द्वारा डिजिटल परिवर्तन हेतु किये जाने वाले प्रयासों के अनुरूप है, जो बेहतर नागरिक सेवाओं के लिये प्रशासनिक प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • चिंताएँ:
    • जन्म प्रमाण पत्र के अभाव के आधार पर बच्चों को विद्यालयों में प्रवेश न देना, शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।
      • इस विधेयक ने नागरिकों की निजता के अधिकार की सुरक्षा और प्रशासनिक दक्षता के लिये लाभ प्रदान करने वाली प्रौद्योगिकी के मध्य संतुलन को लेकर विवाद उत्पन्न कर दिया है।
      • विधेयक के प्रावधान संभावित रूप से शिक्षा के अधिकार और निजता के अधिकार जैसे संवैधानिक अधिकारों के मध्य टकराव की स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं।
    • इस विधेयक को पारदर्शिता के आधार पर विरोध का सामना करना पड़ा है, जबकि आलोचकों ने डेटा संग्रह और उसके उपयोग के लिये सरकार के दृष्टिकोण पर भी सवाल उठाया है।
    • आलोचकों का यह भी तर्क है कि डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र अनजाने में उन व्यक्तियों को बाहर कर सकता है जिनकी डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुँच नहीं है, जिसके कारण सेवाओं तक पहुँच में असमानता की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
    • ऐसी आशंका है कि यह विधेयक किशोर न्याय अधिनियम, 2015 एवं अन्य प्रासंगिक कानूनों के प्रावधानों के अनुरूप न हो

स्रोत: द हिंदू

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