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CPSEs का पुनर्वर्गीकरण

  • 28 Oct 2025
  • 49 min read

स्रोत: ET

चर्चा में क्यों?

सरकार मौजूदा महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न श्रेणियों के अलावा दो नई ‘रत्न’ श्रेणियाँ जोड़कर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSEs) के वर्गीकरण और प्रदर्शन मूल्यांकन मानदंडों में संशोधन करने की योजना बना रही है।

CPSEs के पुनर्वर्गीकरण के प्रमुख पहलू क्या हैं?

  • नए मूल्यांकन मानक: जिन नए मूल्यांकन मानकों पर विचार किया जा रहा है, उनमें कॉर्पोरेट शासन, उत्तराधिकार योजना और नेतृत्व विकास, पूंजीगत व्यय, लाभांश वितरण, सतत् व्यापार प्रथाएँ और विज़न 2047 के साथ सामंजस्य शामिल हैं।
  • पुनर्मूल्यांकन समिति: कैबिनेट सचिव टी. वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में 10-सदस्यीय समिति यह पुनर्मूल्यांकन कर रही है, जिसकी रिपोर्ट केंद्रीय बजट 2026–27 से पहले प्रस्तुत की जाएगी।
  • संशोधन का उद्देश्य: इसका लक्ष्य सार्वजनिक क्षेत्र का आधुनिकीकरण करना और इसे भारत की राष्ट्रीय आर्थिक रणनीति के अनुरूप बनाना है, ताकि ऐसे अगली पीढ़ी के CPSEs विकसित किये जा सकें जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम हों।
    • यह भारत की भावी आर्थिक सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के प्रति जवाबदेही, प्रदर्शन-आधारित शासन, दक्षता और रणनीतिक संसाधन संरेखण पर केंद्रित है।
  • वर्तमान रत्न श्रेणियाँ: भारत में वर्तमान में 14 महारत्न, 26 नवरत्न और 74 मिनीरत्न कंपनियाँ हैं। यह दर्जा पूंजीगत व्यय, संयुक्त उद्यमों और निवेश में वित्तीय और परिचालन स्वतंत्रता प्रदान करता है।

CPSE क्या है?

  • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE): एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) एक कंपनी है, जिसका बहुमत स्वामित्व और नियंत्रण भारत सरकार के पास होता है और इसके कम-से-कम 51% शेयर केंद्र सरकार के पास प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अन्य CPSE के माध्यम से होते हैं।
    • इस परिभाषा में ऐसे उद्यमों की सहायक कंपनियाँ भी शामिल हैं।
  • गठन: यह एक ऐसी इकाई है जो या तो भारतीय कंपनी कानून (जैसे कंपनी अधिनियम, 2013) के तहत निगमित की गई हो या संसद के किसी विशिष्ट अधिनियम द्वारा स्थापित की गई हो।
  • CPSE का वर्तमान वर्गीकरण:

CPSE का वर्गीकरण 

श्रेणी

लॉन्च 

मानदंड

उदाहरण

महारत्न

  • मई 2010 में CPSE के लिये महारत्न योजना शुरू की गई थी ताकि बड़े CPSE को अपने परिचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने में सक्षम बनाया जा सके।
  • नवरत्न का दर्जा प्राप्त हो।
  • भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो।
  • पिछले 3 वर्षों के दौरान 25,000 करोड़ रुपए से अधिक का औसत वार्षिक कारोबार हो।
  • पिछले 3 वर्षों के दौरान 15,000 करोड़ रुपए से अधिक की औसत वार्षिक निवल परिसंपत्ति हो।
  • पिछले 3 वर्षों के दौरान 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर के बाद औसत वार्षिक निवल लाभ हो।
  • महत्त्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति/अंतर्राष्ट्रीय परिचालन होना चाहिये।
  • भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, आदि।

नवरत्न

  • नवरत्न योजना वर्ष 1997 में शुरू की गई थी ताकि उन CPSE की पहचान की जा सके, जो अपने संबंधित क्षेत्रों में तुलनात्मक लाभ का आनंद लेते हैं और वैश्विक भागीदार बनने के उनके अभियान में उनका समर्थन करते हैं।
  • मिनीरत्न श्रेणी-I और अनुसूची 'A' CPSE, जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में से तीन वर्षों में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत 'उत्कृष्ट' या 'बहुत अच्छा' रेटिंग प्राप्त की है तथा छह चयनित प्रदर्शन मापदंडों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर है अर्थात्
    • निवल लाभ से निवल मूल्य।
    • उत्पादन/सेवाओं की कुल लागत में जनशक्ति लागत।
    • नियोजित पूंजी में मूल्यह्रास, ब्याज और करों से पहले लाभ।
    • टर्नओवर में ब्याज और करों से पहले लाभ।
    • प्रति शेयर आय।
    • अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन।
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, आदि।

मिनीरत्न

  • मिनीरत्न योजना वर्ष 1997 में नीति के अनुसरण में शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्द्धी बनाना तथा लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अधिक स्वायत्तता और शक्तियाँ सौंपना था।
  • मिनीरत्न श्रेणी-I: जिन CPSE ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया है, कम से कम तीन वर्षों में से एक वर्ष में कर-पूर्व लाभ 30 करोड़ रुपए या उससे अधिक है और जिनकी निवल परिसंपत्ति सकारात्मक है, उन्हें मिनीरत्न-I का दर्जा दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। 
  • मिनीरत्न श्रेणी-II: जिन CPSE ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया है और जिनकी निवल परिसंपत्ति सकारात्मक है, उन्हें मिनीरत्न-II का दर्जा दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। 
  • मिनीरत्न CPSE को सरकार को देय किसी भी ऋण पर ऋण/ब्याज भुगतान के पुनर्भुगतान में चूक नहीं करनी चाहिये। 
  • मिनीरत्न CPSE बजटीय सहायता या सरकारी गारंटी पर निर्भर नहीं होंगे।
  • श्रेणी-I: एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, आदि। 
  • श्रेणी-II: कृत्रिम अंग निर्माण कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड, आदि।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. CPSE क्या है?

एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) ≥51% सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी होती है, जिसका निगमन कंपनी कानून या संसद के अधिनियम के तहत होता है, जिसमें उसकी सहायक कंपनियाँ भी शामिल होती हैं।

2. CPSE वर्गीकरण का पुनर्मूल्यांकन कौन कर रहा है?

कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय समिति CPSE वर्गीकरण की समीक्षा कर रही है और केंद्रीय बजट 2026-27 से पहले अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

3. प्रस्तावित नया 'रत्न' विभेदन मौजूदा विभेदन से कैसे भिन्न है?

वित्तीय आकार और कारोबार पर निर्भर मौजूदा श्रेणियों के विपरीत, नए स्तर CPSE को महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में राष्ट्रीय आर्थिक लक्ष्यों के लिये उनके रणनीतिक महत्त्व के आधार पर मान्यता देंगे।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स:

प्रश्न: भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)

  1. यह एक पब्लिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है।  
  2. यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

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