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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 जून, 2023

  • 27 Jun 2023
  • 7 min read

मशरूम की खेती से असम के कोकराझार ज़िले में उल्लेखनीय प्रगति

'एक ज़िला एक उत्पाद' पहल और वर्ष 2021 में शुरू किये गए मशरूम मिशन को संरेखित करने तथा मध्याह्न भोजन योजना में मशरूम की शुरुआत के कारण मशरूम उत्पादन में काफी वृद्धि देखने को मिली है। असम के कोकराझार ज़िले ने इस संदर्भ में उल्लेखनीय प्रगति की है। बच्चों के भोजन में पोषक तत्त्वों से भरपूर मशरूम को शामिल करने से कम वज़न वाले, कमज़ोर और एनीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या में क्रमशः 56%, 55% तथा 76% की कमी आई है। इस ज़िले में मातृ मृत्यु दर में भी 72.37% और शिशु मृत्यु दर में 30.56% की कमी आई है। मशरूम अत्यधिक पौष्टिक होता है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें कैलोरी और वसा की मात्रा कम होती है जिस कारण यह वज़न प्रबंधन के लिये एक बेहतर विकल्प के रूप में मान जाता है। मशरूम विटामिन एवं खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है, जिनमें विटामिन बी, तांबा, सेलेनियम और पोटेशियम शामिल हैं। मशरूम पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूती प्रदान करने वाले डायट्री फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भी प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त मशरूम हड्डियों के स्वास्थ्य के लिये आवश्यक विटामिन डी के कुछ गैर-पशु स्रोतों में से एक है।


DPCGC ने OTT प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री के खिलाफ कार्रवाई की

हाल ही में भारत में ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट प्रदाताओं (OCCPs) के लिये एक स्व-नियामक निकाय, डिजिटल प्रकाशक सामग्री शिकायत परिषद (DPCGC) ने स्पष्ट और अश्लील सामग्री प्रसारित करने हेतु ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म ULLU के खिलाफ कार्रवाई की है। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी की अध्यक्षता में परिषद ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों (2021) के उल्लंघन तथा एक असंतुष्ट दर्शक द्वारा उठाई गई शिकायतों का हवाला देते हुए 15 दिनों के भीतर ऐसी सामग्री को हटाने की मांग करते हुए एक आदेश जारी किया। DPCGC उपभोक्ता शिकायतों और सामग्री से संबंधित मुद्दों का समाधान करता है। यह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत काम करता है तथा सरकार द्वारा निर्धारित आचार संहिता व नियमों को लागू करता है। DPCGC में एक OCCP परिषद और एक शिकायत निवारण बोर्ड शामिल है।

और पढ़ें… ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म, ओवर-द-टॉप की चुनौतियाँ


पौधों में मिला फाइबोनैचि सर्पिल

एक हालिया अध्ययन ने आम धारणा पर प्रश्न उठाया है कि पौधे प्राचीन एवं सुसंगत प्रारूप को प्रदर्शित करते हैं जिन्हें फाइबोनैचि सर्पिल के रूप में जाना जाता है। इन सर्पिलों को पत्तियों एवं प्रजनन संरचनाओं सहित पौधों के विभिन्न भागों में देखा जा सकता है। हालाँकि 407 मिलियन वर्ष प्राचीन जीवाश्म पौधों का अध्ययन करने वाले शोधकर्त्ताओं ने पाया कि इस विशेष प्रजाति में सर्पिल फाइबोनैचि अनुक्रम के अनुरूप नहीं थी। फाइबोनैचि अनुक्रम संख्याओं की एक शृंखला है जिसमें प्रत्येक संख्या दो पूर्ववर्ती संख्याओं का योग होती है। यह अनुक्रम 0 और 1 से शुरू होता है तथा प्रत्येक बाद की संख्या उसके ठीक पहले की दो संख्याओं को जोड़कर प्राप्त की जाती है। यह अनुक्रम इस प्रकार शुरू होता है: 0, 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, 89 इत्यादि। नई खोज से पता चलता है कि शुरुआती पौधों में सर्पिल व्यवस्था का एक भिन्न प्रारूप था जिसमें गैर-फाइबोनैचि सर्पिल अधिक प्रचलित थे। यह दर्शाता है कि पत्ती व्यवस्था वाले और फाइबोनैचि सर्पिल के विकास का कुछ पौधों के समूहों में एक अलग इतिहास रहा है जैसे कि क्लबमॉस जो फर्न (सुंदर बारीक पत्तियों वाला एक पौधा) तथा फूल वाले पौधों जैसे अन्य जीवित पौधों के समूहों से भिन्न है। यह शोध खोज कार्य या गतिविधि के नए रास्ते खोलता है तथा प्रकृति में मौजूद इन प्रारूपों की व्यापकता के रहस्य को जानने में सहायता कर सकता है।


चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के नाम बरकरार रहेंगे

चंद्रयान-2 मिशन के दुर्भाग्यपूर्ण परिणामों, जिसमें विक्रम नाम का लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अगले चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर के लिये समान नामों का उपयोग करने के अपने निर्णय की घोषणा की है। चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रमुख व्यक्ति विक्रम साराभाई के सम्मान में 'विक्रम' रखा जाएगा, जबकि रोवर को 'प्रज्ञान' कहा जाएगा। लॉन्च जुलाई 2023 के मध्य में निर्धारित है और मिशन लैंडर, रोवर एवं प्रोपल्शन मॉड्यूल पर विभिन्न पेलोड के माध्यम से प्रयोग करेगा तथा डेटा एकत्र करेगा।

और पढ़ें… भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, चंद्रयान-3 मिशन

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