इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

ओवर-द-टॉप की चुनौतियाँ

  • 05 Nov 2022
  • 10 min read

यह एडिटोरियल 01/11/2022 को ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “The over-the-top debate ends here” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म के विनियमन एवं अन्य संबंधित मुद्दों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

फिल्म और टीवी शो हमेशा सिनेमा हॉल/थिएटर और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से देखे जाते रहे हैं। लेकिन आजकल उन्नत प्रौद्योगिकी ने ऑनलाइन स्ट्रीमिंग या ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाओं के माध्यम से फिल्म/मूवी/शो देखना अधिक सुविधाजनक बना दिया है।

  • वर्ष 2017 से 2022 के बीच भारतीय मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग के समग्र विकास में ओवर-द-टॉप (OTT) वीडियो स्ट्रीमिंग ने 46% हिस्सेदारी दर्ज की।
  • इसके साथ ही टेलीकॉम कंपनियों (Telcos) और ओटीटी प्रदाताओं के बीच एक तीव्र बहस की शुरूआत हुई है। टेलीकॉम कंपनियों का आरोप है कि ओटीटी अपनी अवसंरचना पर ‘फ्री राइड’ ले रहे हैं और उन्हें एक ‘एक्सेस चार्ज’ (Access Charge) चुकाना चाहिये। इस परिदृश्य में, उभरते मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग के सुचारू कार्यकरण के लिये इस दिशा में उपयुक्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म क्या हैं?

  • ओटीटी प्लेटफॉर्म ऑडियो एवं वीडियो होस्टिंग और स्ट्रीमिंग सेवाएँ हैं, जो कॉन्टेंट होस्टिंग प्लेटफॉर्म के रूप में शुरू हुए, लेकिन फिर जल्द ही लघु फ़िल्मों, फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों और वेब-सीरीज़ के निर्माण एवं रिलीज से भी संलग्न हो गए।
    • नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, अमेज़ॅन प्राइम, हुलु, प्लूटो टीवी आदि कुछ प्रमुख ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं।
  • ये प्लेटफॉर्म कई प्रकार के कॉन्टेंट उपलब्ध कराते हैं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग कर प्लेटफॉर्म पर दर्शकों की पूर्व की गतिविधियों के आधार पर उन्हें कॉन्टेंट के सुझाव देते हैं।
  • भारत वर्तमान में विश्व का सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ ओटीटी बाज़ार है और वर्ष 2024 तक विश्व के छठे सबसे बड़े बाज़ार के रूप में उभरने के लिये तैयार है।

भारत में ओटीटी के विकास के लिये उत्तरदायी कारक

  • शहरीकरण और पश्चिमीकरण: बड़े शहरों की ओर प्रवास और मीडिया के उपभोग में सांस्कृतिक परिवर्तन ने ओटीटी के अनुकूलित (Customized) इंटरफेस को उपयोगकर्ताओं के लिये और अधिक आकर्षक बना दिया है।
  • डिजिटल सेवाओं तक पहुँच: कम मूल्यों पर हाई-स्पीड मोबाइल इंटरनेट, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में दोगुनी वृद्धि, डिजिटल भुगतान के बढ़ते प्रयोग आदि ने ओटीटी को एक प्रतिस्पर्द्धात्म्क बढ़त प्रदान की है।
  • मीडिया का लोकतंत्रीकरण: ओटीटी उद्योग भारत में बड़ी संख्या में ऐसे छोटे कॉन्टेंट निर्माताओं और कलाकारों को लाभान्वित करता है, जिन्होंने अपने शिल्प में महारत हासिल की है।
    • यह देश भर में और साथ ही साथ विश्व स्तर पर क्षेत्रीय फ़िल्मों तक पहुँच को भी सुगम बनाने में मदद करता है।
  • सुविधाएँ: सीमित विज्ञापन, पॉज़ एंड प्ले विकल्प, किसी भी समय कहीं भी (जैसे यात्रा करते समय) मूवी स्ट्रीम कर सकने के अवसर आदि ने संयुक्त रूप से भारत में ओटीटी उद्योग के आकर्षक विकास को बढ़ावा दिया है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म का विनियमन

  • भारत सरकार ने ओटीटी सेवा प्रदाताओं और डिजिटल कॉन्टेंट प्रदाताओं को विनियमित करने हेतु नए नियमों की घोषणा की है।
    • इन नए नियमों को ‘सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021’ के रूप में जाना जाता है ।
      • नए नियमों के अनुसार ओटीटी प्लेटफॉर्मों को सामग्री को पाँच आयु-आधारित श्रेणियों में स्व-वर्गीकृत करना होगा: U (यूनिवर्सल/सभी के लिये), U/A (7 वर्ष से अधिक के दर्शकों के लिये), U/A (13 वर्ष से अधिक के दर्शकों के लिये), U/A (16 वर्ष से अधिक के दर्शकों के लिये) और A (वयस्क दर्शकों के लिये)।
      • ये नियम ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिये एक आचार संहिता और एक त्रिस्तरीय शिकायत निवारण तंत्र के साथ एक मृदु स्व-नियामक संचरना का भी निर्धारण करते हैं।
      • प्रत्येक पब्लिशर को शिकायतें प्राप्त करने और 15 दिनों में उनका निवारण करने के लिये भारत में कार्यरत एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी।
  • लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्री-स्क्रीन कॉन्टेंट को विनियमित करने के लिये फिलहाल कोई नियम या प्राधिकार मौजूद नहीं है। हालाँकि, सरकार के पास आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत कुछ सूचनाओं को सार्वजनिक पहुँच से प्रतिबंधित करने के लिये निर्देश जारी करने की शक्तियाँ मौजूद हैं।

भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म से संबद्ध प्रमुख मुद्दे

  • प्रत्यक्ष विनियमन का अभाव: ओटीटी प्लेटफॉर्मों के विनियमन के लिये कोई अलग कानून या निकाय मौजूद नहीं है। वे केवल इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeITy) द्वारा शासित होते हैं ।
  • साइबर अपराध का खतरा: ओटीटी प्लेटफॉर्म की सदस्यता लेने की प्रक्रिया में लोग अपनी गोपनीय जानकारी (जैसे बैंक विवरण, क्रेडिट कार्ड विवरण आदि) साझा करते हैं जिसका दुरुपयोग किया जा सकता है या जहाँ साइबर अपराध का खतरा मौजूद होता है।
  • दूरसंचार राजस्व स्ट्रीम पर प्रभाव: वॉयस कॉल और एसएमएस संदेशों के लिये व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म एयरटेल एवं जियो जैसे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदत्त नेटवर्क अवसंरचना का उपयोग करते हैं।
    • दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (Telecom Service Providers- TSPs) का आरोप है कि ये सुविधाएँ वॉयस कॉल, एसएमएस आदि के रूप में उनके राजस्व प्रवाह को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं।
  • समाज के नैतिक ताने-बाने के लिये जोखिम: आलोचकों ने हमेशा इस ओर ध्यान दिलाया है कि इन प्लेटफॉर्मों पर मौजूद कॉन्टेंट में व्याप्त फूहड़ता एवं अश्लीलता युवाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है।
    • सेंसरशिप की कमी के कारण ओटीटी प्लेटफॉर्म के कॉन्टेंट सामाजिक सद्भाव और समाज के नैतिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकते हैं।

आगे की राह

  • निष्पक्ष नियामक निकाय की तैनाती: वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कॉन्टेंट को विनियमित करने के लिये एक निष्पक्ष नियामक निकाय की आवश्यकता है।
    • सरकार को उपभोक्ता हित और साइबर धोखाधड़ी के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए ओटीटी पर कॉन्टेंट के सृजन के लिये सख्त दिशानिर्देश लागू करने चाहिये; साथ ही व्हाट्सएप, सिग्नल और टेलीग्राम जैसी ओटीटी संचार सेवाओं के लिये हल्के विनियमनों (light-touch regulations) का प्रबंध करना चाहिये।
  • गुणवत्ता बनाए रखना, समानता को बढ़ावा देना: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ओटीटी प्लेटफॉर्मों में उत्पादित होने वाले डिजिटल कॉन्टेंट की गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिये, लोगों की भावनाओं को महत्त्व देना चाहिये और नई प्रतिभा एवं सामाजिक कॉन्टेंट को प्रोत्साहित करना चाहिये।
  • दर्शकों की ज़िम्मेदारी: यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि घरों में बच्चे ओटीटी कॉन्टेंट तक अबाध पहुँच नहीं रखते हों, जब तक कि अंडरएज कॉन्टेंट तक पहुँच को सीमित करने के उद्देश्य से एक सख्त पहुँच एवं नियामक नीति स्थापित न हो गई हो।

अभ्यास प्रश्न: भारत में ओटीटी विनियमन से संबंधित प्रमुख मुद्दे कौन-से हैं? इस प्रसंग में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की मुख्य विशेषताओं की भी चर्चा कीजिये।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow